छ्पी-अनछपी: लालू से ईडी का सवाल- ज़मीन के बदले नौकरी कैसे दी, संघ बोला- औरंगजेब प्रासंगिक नहीं
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। रेलवे में लैंड फॉर जॉब के कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद से ईडी ने पूछताछ की है। मुगल बादशाह औरंगजेब के मामले में चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि वह प्रासंगिक नहीं हैं। 13 महीने से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया है। लंबे इंतजार के बाद धरती पर लौटीं अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का हर जगह स्वागत हुआ है। यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के राष्ट्रपति ट्रंप के सभी पैंतरे फिलहाल नाकाम नजर आ रहे हैं।
और, जानिएगा कि बिहार में कितने लाख परिवार का कोई न कोई सदस्य कुपोषण के शिकार हैं।
भास्कर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार लैंड फॉर जॉब केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने बुधवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से चार घंटे तक पूछताछ की। लालू प्रसाद सुबह करीब 11:00 पटना के बैंक रोड स्थित ईडी ऑफिस पहुंचे। पहले तो ईडी के अधिकारियों ने उनका हाल-चाल पूछा। लालू ने कहा, ठीक बानी। इसके बाद लालू के सामने सवालों की लंबी लिस्ट रख दी। बारी-बारी से जमीन के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े कई सवाल पूछे। लालू ने भी अपने अंदाज में सवालों का जवाब दिया। ईडी ने पूछा कि राबड़ी देवी के नाम जमीन रजिस्ट्री होने के बाद ही लोगों को रेलवे में नौकरी क्यों मिली? जिन जिन लोगों को रेलवे में नौकरी मिली उन्होंने अपनी जमीन आपके परिवार के नाम क्यों रजिस्ट्री की? पूछताछ शुरू होने से पहले लालू प्रसाद को एक रूम में बैठाया गया।
औरंगजेब प्रासंगिक नहीं: आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस ने हिंसा को समाज के लिए हानिकारक बताया है। नागपुर में हुई हिंसा को लेकर पूछे एक सवाल पर संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा किसी भी प्रकार की हिंसा समाज के लिए अच्छी नहीं है। “मुझे लगता है कि पुलिस ने इस मामले का संज्ञान लिया है और वह इसकी विस्तृत जांच करेगी। इस सवाल पर कि क्या औरंगजेब आज प्रासंगिक हैं और उनकी कब्र दूसरी जगह स्थापित करनी चाहिए, आंबेकर ने कहा मुझे नहीं लगता कि वह प्रासंगिक हैं।
पंजाब पुलिस ने किसानों को हिरासत में लिया
चंडीगढ़ से हिन्दुस्तान की खबर है कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर शंभू और खनौरी सीमा पर 13 महीनों से धरना दे रहे किसानों को पंजाब पुलिस ने बुधवार को हटा दिया। जेसीबी से किसानों के मंच और टेंट उखाड़ दिए गए। ऐहतियातन कई स्थानों पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों की बुधवार को चंडीगढ़ में हुई बैठक बेनतीजा रही। चार मई को अगली बैठक होगी। बैठक खत्म होने के बाद खनौरी और शंभू सीमा पर लौट रहे किसान नेताओं को मोहाली में पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
सुनीता विलियम्स का स्वागत
नौ महीने और 14 दिन अंतरिक्ष स्टेशन में फंसी रहीं भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स बुधवार तड़के सुरक्षित लौट आईं। उनके साथ बुच विल्मोर और दो अन्य अंतरिक्ष यात्री भी लौटे। भारत समेत दुनियाभर ने उनकी सकुशल वापसी का स्वागत किया। नासा के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर लौटा स्पेसएक्स का ड्रैगन यान ‘फ्रीडम’ भारतीय समयानुसार तड़के 327 बजे फ्लोरिडा के पास समुद्री क्षेत्र में उतरा। करीब एक घंटे के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को यान से बाहर निकाला गया। यान से बाहर आते ही उन्होंने अभिवादन किया। इसके बाद उन्हें चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया।
पुतिन को युद्ध रोकने पर मन नहीं पाए ट्रंप
भास्कर के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रूस के साथ युद्धविराम की कोशिश के दौरान कूटनीतिक हार का सामना करना पड़ा है। ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस बहु प्रतीक्षित वार्ता में कैदियों की अदला बदली और बातचीत के वादे के अलावा कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। पुतिन ने बातचीत को लंबा खींच कर ट्रंप को कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। ट्रंप को लगा था कि वह पुतिन को मना सकते हैं लेकिन वह अपने पहले कूटनीतिक प्रयास में असफल रहे।
बिहार के 11 लाख परिवार कुपोषण के शिकार
हिन्दुस्तान के अनुसार जीविका दीदियों ने राज्य के 11 लाख 24 हजार 768 ऐसे परिवारों को चिन्हित किया है, जहां परिवार का कोई न कोई सदस्य कुपोषण का शिकार है। ऐसे परिवार को अब स्वास्थ्य, पारिवारिक आहार और पोषण के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए जीविका दीदी संबंधित परिवारों में पोषण के लिए जरूरी खाद्य पदार्थों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। जीविका दीदियों ने अक्टूबर से दिसंबर तक इन परिवारों को चिन्हित किया है। इसके लिए प्रखंड और पंचायत स्तर पर जीविका दीदियां गांव-गांव जाकर परिवारों से मिलीं। आंगनबाड़ी सेविकाओं ने ऐसे परिवार को चिन्हित करने में सहयोग दिया। जीविका दीदियां कुल 50 लाख परिवारों से मिलीं। सर्वे के बाद 11 लाख 24 हजार परिवारों में कोई ना कोई सदस्य कुपोषण का शिकार मिला।
कुछ और सुर्खियां:
- पटना विश्वविद्यालय में शिक्षकों, कर्मियों और छात्र-छात्राओं की बायोमेट्रिक हाजिरी बनेगी
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 30 मार्च को बिहार आएंगे
- बिहार में वाणिज्य कर विभाग में 460 पद सृजित होंगे
- पटना नगर निगम का बजट ₹776 करोड़ बढ़ेगा, कुल बजट आकार 2830 करोड़ का
- बिहार विधानमंडल के वर्तमान और पूर्व सदस्यों को हाउसिंग सोसायटी के माध्यम से मिल सकती है जमीन
अनछपी: इस बात पर बहस हो सकती है कि लालू प्रसाद और उनके परिवार से कथित लैंड फॉर जॉब मामले में पूछताछ का समय बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तय किया गया है या नहीं लेकिन यह बात तो तथ्यों से साबित हो रही है कि ईडी जिन लोगों पर मुकदमे करती है उनका संबंध विपक्ष से होता है और वह इल्जाम साबित करने में बुरी तरह नाकाम रही है। यह एक अलग सवाल है लेकिन पूछा जाना चाहिए कि आखिर ईडी की पूछताछ के सवालों की जानकारी मीडिया को कौन लीक कर रहा है? सुप्रीम कोर्ट भी ईडी के कार्यकलापों पर तीखी टिप्पणी कर चुका है और यह पूछा जाना चाहिए कि क्या ईडी अपने सवालों की लिस्ट मीडिया को देने में एसओपी, यानी जो मानक प्रक्रिया है, उसका पालन कर रही है? केंद्र सरकार ने संसद में जो जानकारी दी है उससे साफ पता चलता है कि ईडी सांसदों, विधायकों सहित नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में अपने इल्जाम को कोर्ट में सही साबित नहीं कर पा रही है। पिछले 10 वर्षों में ईडी ने राजनीतिक व्यक्तियों के खिलाफ 193 केस दर्ज किया लेकिन केवल दो में आरोप सिद्ध हुआ और अभियुक्त दोषी करार दिए गए। सीपीएम के सांसद एए रहीम ने राज्यसभा में पूछा था कि ईडी ने 10 वर्षों में कितने नेताओं पर केस दर्ज किया? क्या विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई बढ़ी है? सरकार ने इन सवालों के जवाब में कहा कि ईडी जांच केवल विश्वसनीय साक्ष्य और सामग्री के आधार पर करती है तो यह सवाल भी पैदा होता है कि अपने आरोपों को ईडी सिद्ध क्यों नहीं कर पाती है? यह केवल इत्तेफाक नहीं हो सकता कि महाराष्ट्र विधानसभा और झारखंड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले भी ईडी ने कार्रवाई की थी। इससे यह पता चलता है कि या तो ईडी के अधिकारी इतनी निकम्मे हैं कि वह अपने आरोपों के मामले को सिद्ध नहीं कर पाते या उन पर इतना सरकारी दबाव होता है कि वह गलत तरीके से लोगों को फंसाते हैं और फिर यह मामला अदालत में खारिज हो जाता है। लेकिन इस दौरान विपक्ष के नेताओं की छवि बेहद धूमिल हो जाती है और उनका राजनीतिक नुकसान होता है। साथ ही साथ सरकारी पार्टी को अपना दबदबा बनाए रखने में भी मदद मिलती है। इसलिए ईडी की भूमिका पर गंभीर चिंतन और सरकार द्वारा इसके गलत इस्तेमाल को रोकने की तत्काल जरूरत है।
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