छ्पी-अनछपी: वोटर लिस्ट के मुद्दे पर इलेक्शन बायकॉट होगा? जदयू सांसद ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाया

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में वोटर वेरीफिकेशन के विवादित फरमान पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि इलेक्शन बायकॉट पर सोच विचार किया जाएगा। जदयू के लोकसभा सांसद ने चुनाव आयोग के फरमान पर सवाल उठाया है। मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही तीसरे दिन भी ठप रही। 10 से ज्यादा कामगारों वाली दुकानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। ग़ज़ा में भुखमरी से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है।

और, जानिएगा कि कैसे गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाया जा रहा था।

पहली ख़बर

भास्कर के अनुसार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि हम बिहार विधानसभा चुनाव के बायकॉट पर पार्टियों और जनता से चर्चा करेंगे। “पहले पार्टियों से बात होगी, फिर पता करेंगे की जनता क्या चाहती है? जब चुनाव ईमानदारी से कराया ही नहीं जा रहा है तो चुनाव ही क्यों करवा रहे हैं? दे दो भाजपा को एक्सटेंशन।” वे मीडिया से मुखातिब थे। इससे पहले उन्होंने विधानसभा में सवाल उठाया कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हम सभी विधायक क्या फर्जी वोट पाकर आए हैं?” दरअसल उनका कहना था कि “2003 के बाद मतदाता पुनरीक्षण नहीं हुआ। जबकि 2003 से 2020 के बीच कई चुनाव हुए। प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सांसद विधायक बने। चुनाव आयोग के अभी के हिसाब से तो यह सभी फर्जी कहलाएंगे? उन्होंने कहा पहले वोटर सरकार चुनते थे, अब सरकार वोटर्स चुन रही है। चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रही है।” बुधवार शाम अपने सरकारी आवास पर पत्रकारों से बातचीत में बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि बेईमानी से यह तय कर लिया गया है कि इसे इतनी सीट देनी है, उसे इतनी, तो चुनाव कराएं न कराएं।

हमारा विरोध प्रक्रिया से है: तेजस्वी

हिन्दुस्तान के अनुसार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर वोटर लिस्ट से नाम कट गया तो लोगों को पेंशन, राशन, छात्रवृति, आवास योजना सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं से वंचित किया जाएगा। हमारा विरोध एसआईआर से नहीं बल्कि इसकी प्रक्रिया से है। जो काम एक-दो साल में हो सकता है, उसे इतने कम समय में कैसे पूरा किया जा सकता है। भाजपा के 52 हजार से अधिक बीएलए ने बिहार में विदेशी घुसपैठिया का जिक्र नहीं किया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दिए सात सौ से अधिक पन्ने के हलफनामा में भी इसका जिक्र नहीं किया है। वैसे भी जब केंद्र व बिहार में एनडीए सरकार है तो घुसपैठिए के लिए जिम्मेवार कौन है।

जदयू सांसद ने चुनाव आयोग पर उठाया सवाल

जागरण के अनुसार बांका से जदयू सांसद गिरिधारी यादव ने बुधवार को बिहार में सट्टा रोड एनडीए से अलग राज्य जताते हुए मतदाता सूची के विशेष ग्रहण पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सवाल उठाया और कहा कि इससे पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे पर सवाल उठेंगे। यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग को एसआईआर प्रक्रिया को कम से कम 6 महीने के लिए स्थगित कर देना चाहिए ताकि पात्र मतदाताओं को आवश्यक प्रमाण पत्र दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके और उन लोगों का नाम हटाया जा सके जिनके पास मतदान का अधिकार नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा इस समय वोटर लिस्ट वेरीफिकेशन करने पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने राज्य और उसके लोगों के प्रति अज्ञानता ही प्रदर्शित की है यानी उसे व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। जब उनसे पार्टी के एसआईआर के समर्थन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह लोकसभा के सांसद के रूप में एक स्वतंत्र दृष्टिकोण व्यक्त कर रहे हैं।

10 से अधिक कामगारों वाली दुकानों और प्रतिष्ठानों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी

जागरण के अनुसार अब बिहार में 10 या उससे अधिक कामगार रखने वाले दुकानों-प्रतिष्ठानों को लेबर डिपार्टमेंट से रजिस्ट्रेशन करना होगा। यह अनिवार्य है। उन्हें अपने कामगारों को वेतन और ओवरटाइम के पैसे का भुगतान बैंक या डाकघर के खाते में करना होगा। श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने बुधवार को विधानसभा में बिहार दुकान और प्रतिष्ठान (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) विधेयक पेश किया। इसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिल गई।

भुखमरी की चपेट में ग़ज़ा, 15 की मौत

ग़ज़ा सिटी के अस्पताल में बुधवार को 6 सप्ताह के यूसुफ की जान चली गई। डॉक्टर सभी कोशिश कर उसे थोड़ा सा लिक्विड दे पाए लेकिन उनकी कोशिश नाकाफी साबित हुई। डॉक्टर ने उसकी मौत के कारण भूख को बताया है। युसूफ ग़ज़ा में 24 घंटे में भूख से मरने अभागे 15  लोगों में शामिल था। बीते दो महीनों में फलस्तीनी क्षेत्र में अनगिनत बच्चे और बुजुर्ग भूख और कुपोषण से दम तोड़ चुके हैं।

ग़ाज़ियाबाद बाद में फ़र्ज़ी दूतावास, वह भी 2017 से

भास्कर के अनुसार उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गाजियाबाद के कवि नगर में एक किराए के बंगले में 2017 से चल रहे फर्जी दूतावास का पर्दाफाश किया है। आरोपी हर्षवर्धन जैन ने बंगले को वेस्ट अर्कटिका नामक काल्पनिक देश का दूतावास बना दिया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है पूर्ण राम वह खुद को वहां का राजदूत बताता था। इसके अलावा वह साबोरिया, पोलविया और लंदोनिया जैसे काल्पनिक देशों का भी प्रतिनिधि होने का दावा करता था। बंगले को दूतावास जैसा रूप देने के लिए उसने वहां झंडा बोर्ड और अन्य राजनीतिक प्रत्येक लगाए थे। इससे वह लोगों को भ्रमित कर अपने अपने झांसे में लेता था। पुलिस ने उसके पास से 44 लाख से अधिक नकदी, विदेशी मुद्रा, 12 फर्जी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट, लग्जरी गाड़ियां, दो फर्जी प्रेस कार्ड, विदेश मंत्रालय की सील लगे दस्तावेज और 34 देशों की सील बरामद की है। हर्षवर्धन लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देता था।

कुछ और सुर्खियां:

  • हाजीपुर-महुआ मेन रोड पर ट्रक से टक्कर में डंपर के टैंक में लगी आग, पिता-पुत्र समेत तीन लोग जिंदा जले
  • मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में न्यूज क्लिक पोर्टल के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और निदेशक प्रांजल पांडे को अग्रिम जमानत
  • एसबीआई 25000 से 5 लाख की धनराशि को तत्काल (आईएमपीएस) भेजने पर फीस लगेगा
  • विधानसभा का घेराव करने जा रहे जन सुराज के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज
  • कोडरमा में रील बना रहे युवक को हाथी ने पटक पटक कर मार डाला
  • 5 साल की रोक के बाद चीनी नागरिकों को भारत का वीजा फिर से मिलने लगा

अनछपी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर बार-बार चिंता जताई जा रही है लेकिन क्योंकि इसकी कहीं से पुष्टि नहीं होती इसलिए इस पर बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता। फिर भी बुधवार को बिहार विधानसभा में जिस तरह नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के सवालों का अजीबोगरीब जवाब दिया उससे यही लगता है कि वह शायद पुरानी बातों में ही अटके हुए हैं और नई समस्याओं को या तो वह समझ नहीं पा रहे हैं या उन्हें समझने नहीं दिया जा रहा है। तेजस्वी यादव बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के बारे में बात कर रहे थे और यह समझा रहे थे कि चुनाव आयोग का यह फरमान और उसकी प्रक्रिया कितनी परेशानी में डालने वाली है। तेजस्वी यादव यह सवाल भी कर रहे थे कि जिस घुसपैठ के की बात हो रही है उसे भारतीय जनता पार्टी के 52 हज़ार बूथ लेवल एजेंट क्यों नहीं साबित कर पा रहे हैं। तेजस्वी ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दायर किया है उसमें भी कहीं घुसपैठियों का जिक्र नहीं है। कायदे से यह उम्मीद की जा सकती थी कि नीतीश कुमार इस विषय पर बोलेंगे और वोटर वेरीफिकेशन के नाम पर आम लोगों को होने वाली परेशानियों को दूर करने का आश्वासन देंगे लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोला। उन्होंने 2005 के पहले के बिहार की चर्चा की, लालू राबड़ी राज की चर्चा की, तेजस्वी यादव के बच्चा होने की चर्चा की और मुसलमानों के लिए काम करने की चर्चा की लेकिन उस विषय पर नहीं बोले जिस पर इतनी सारी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। नीतीश कुमार की अपनी पार्टी जदयू के बांका से सांसद गिरिधारी यादव ने चुनाव आयोग के फरमान पर गंभीर सवाल उठाए हैं लेकिन सवाल यह है कि नीतीश कुमार उस पर कब ध्यान देंगे? ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार की पार्टी में गिरिधारी यादव जैसे लोगों की बात को दरकिनार करने वाले लोगों का ही वर्चस्व चल रहा है। नीतीश कुमार मुसलमानों के बारे में काम करने का दावा तो करते हैं लेकिन शायद उन्हें इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं कि वक़्फ़ संशोधन कानून का उनकी पार्टी ने जिस तरह समर्थन किया है उसे नीतीश कुमार मुसलमानों का समर्थन पूरी तरह खो चुके हैं। नीतीश कुमार शायद इन बातों को समझने की स्थिति में नहीं हैं या उन्होंने जिन लोगों को पार्टी का शीर्ष पद दिया है वह उन्हें इन बातों को समझने नहीं देना चाहते हैं।

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