छपी-अनछपी: लोकसभा में मणिपुर पर घमासान, बिहार की कई नदियां लाल निशान पार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में मणिपुर की हिंसा के बारे में पक्ष- विपक्ष का घमासान मचा रहा। इससे जुड़ी खबर सभी जगह पहले पेज पर प्रमुखता से ली गई है। पिछले कई दिनों की बारिश के बाद बिहार की कई नदियां लाल निशान के पार बह रही हैं। इसकी खबर भी पहले पेज पर है।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: लोकसभा में चरम पर पारा। जागरण ने दो हेडलाइन लगाई हैं: 1. मणिपुर की घटनाएं शर्मनाक, हिंसा पर राजनीति ज्यादा शर्मनाक: शाह। 2. मणिपुर के बाद हरियाणा और पूरे देश को जला रही भाजपा: राहुल। भास्कर ने लिखा है मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या: राहुल, हिंसक तांडव परिस्थितिजन्य: शाह। मानसून सत्र में बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस राहुल गांधी के भाषण के साथ शुरू हुई। राहुल ने कहा, हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार को पूरे देश की बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने मणिपुर में ‘भारत माता की हत्या’ की। इसलिए देशभक्त नहीं, देशद्रोही हैं भारत माता के रखवाले नहीं हत्यारे हैं। देर रात सदन के रिकॉर्ड से राहुल के संबोधन से हत्या और देशद्रोही शब्दों को हटा दिया गया। राहुल ने कहा कि जैसे रावण केवल दो लोगों मेघनाथ और कुंभकरण की बात सुनता था प्रधानमंत्री केवल दो लोगों अमित शाह और गौतम अडानी की बात सुनते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा लोगों की बात नहीं सुनने को अहंकार बताते हुए उन्होंने कहा कि लंका को हनुमान ने नहीं, रावण के अहंकार ने जलाया था और रावण को राम ने नहीं बल्कि उसके अहंकार ने मारा था।

अमित शाह विपक्ष से सहमत

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दूसरे दिन बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव की मंशा पर सवाल उठाए। गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर की घटना निंदनीय है, लेकिन उस पर राजनीति करना शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि वह विपक्ष की इस बात से सहमत हैं कि मणिपुर में हिंसक घटनाएं हुईं। वहां जो कुछ भी हुआ, वह शर्मनाक है। वहां जो दंगे हुए वे परिस्थितिजन्य थे। इस पर राजनीति उचित नहीं है।

नदियां उफान पर

हिन्दुस्तान के अनुसार नेपाल में लगातार हो रही बारिश के बाद प्रदेश की नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगा है। गंगा समेत आठ बड़ी नदियां बुधवार को खतरे के निशान को पार कर गईं। इनका जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। गंगा के अलावा कोसी, गंडक, बागमती, घाघरा, कमला बलान, ललबकिया, परमान नदी का जलस्तर विभिन्न स्थानों पर लाल निशान से ऊपर पहुंच गया। इसके बाद बड़े इलाके में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। नदियों के बढ़ते जलस्तर के बीच जल संसाधन विभाग ने पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया है।

कम एडमिशन वाले कॉलेजों का होगा विलय

राज्य के जिन अंगीभूत कॉलेजों में विद्यार्थियों का नामांकन नगण्य होगा अथवा उनकी उपस्थिति बहुत कम होगी, उनका नजदीक के कॉलेज में विलय होगा। साथ ही ऐसे कॉलेजों के प्राचार्य पर कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने सख्त हिदायत दी है। विभाग के सभागार में बुधवार को विश्वविद्यालय वार समीक्षा बैठक शुरू हुई। पहले दिन मुंगेर विश्वविद्यालय की बैठक हुई, जिसमें उसके कुलपति, कुलसचिव समेत तमाम पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि जिन कॉलेजों में बच्चों की उपस्थिति नहीं है, उनका विलय करने का प्रस्ताव भेजें। बैठक में यह बात सामने आई कि कुछ कॉलेज हैं, जहां बच्चों की उपस्थिति 12-14 प्रतिशत ही रहती है।

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे

हिन्दुस्तान के अनुसार ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम ने बुधवार को उत्तरी और दक्षिणी तहखानों की जांच की। इससे पहले टीम ने गुंबदों और मीनारों की नाप-जोख की थी। सर्वे टीम ने मस्जिद के प्रवेश द्वार से सटे तहखाने की लंबाई-चौड़ाई आदि की माप लेने के बाद उनमें बनीं कलाकृतियों को भी रिकॉर्ड पर लिया गया। इस तहखाने की जांच पूरी होने के बाद टीम ने दक्षिणी तहखाने में सर्वे शुरू किया। इसे व्यासजी का भी तहखाना कहा जाता है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार भाजपा के 38 पदाधिकारी में 17 सवर्ण एक यादव, अल्पसंख्यक एक भी नहीं
  • अगस्त में 213 मिलीमीटर बारिश 9 दिनों में 22% की हुई भरपाई, अब ज्ञात 26%
  • एचटीईटी के लिए 23 तक आवेदन, 5 नए विषय किए गए शामिल
  • बीपीएससी 69वीं के लिए 2.67 लाख आवेदन
  • कंस्ट्रक्शन कामगारों को बेटी होने पर जन्म के समय ही 50 हज़ार देने का प्रस्ताव
  • पटना में बारिश के कारण अनुमति नहीं मिलने से इंडिगो का विमान 45 मिनट हवा में ही रहा

अनछपी: एक ऐसे समय में जबकि मैट्रिक परीक्षा देने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है बिहार में कॉलेजों का इस कारण विलय का प्रस्ताव आया है कि वहां एडमिशन कम हो रहे हैं या उपस्थिति कम रह रही है। शिक्षा विभाग को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि आखिर एडमिशन कम क्यों हो रहे हैं और उपस्थिति कम क्यों हो रही है। एडमिशन कम होने के कई कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि आजकल के अभिभावक चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ने में चाहे जैसा हो कम से कम मैट्रिक कर ले इसलिए आगे की पढ़ाई में उनकी दिलचस्पी नहीं होती है और इसका असर एडमिशन पर पड़ता है। एडमिशन की कमी का एक कारण यह भी होता है कि बहुत सारे छात्र बिहार में नहीं पढ़ना चाहते क्योंकि यहां सेशन बहुत लेट चलता है और वह बिहार से बाहर एडमिशन लेते हैं। एक तीसरा कारण शायद यह भी है कि छात्रों की संख्या का लिहाज न रखते हुए ऐसी जगह पर कॉलेज बन गए जहां एडमिशन लेना बहुत लाभकारी नहीं है। इन कॉलेजों को एफीलिएशन देते समय वहां के एडमिशन के बारे में पूछताछ की जाती तो शायद उनके विलय की नौबत न आती। जहां तक हाजिरी में कमी की बात है तो इसके लिए शिक्षक और छात्र दोनों दोषी बताए जाते हैं। छात्रों का कहना है कि शिक्षक पढ़ना नहीं आते तो दूसरी ओर शिक्षकों की शिकायत रहती है कि छात्र आते ही नहीं है तो किन्हे पढ़ाया जाए। छात्रों की उपस्थिति का एक बहुत बड़ा कारण फ्लाइंग एडमिशन भी है। छात्र एडमिशन ले कर दूसरी जगह पर कोचिंग वगैरह करते हैं और क्लास बंद करते हैं जिसके लिए कॉलेज का प्रबंधन भी तैयार रहता है। कॉलेजों के विलय के लिए खुद कॉलेज वाले कितना तैयार होंगे यह देखने की बात है लेकिन एडमिशन और उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।

 

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