छ्पी-अनछपी: ग़ज़ा में जंग रोकने के प्रस्ताव का भारत ने साथ नहीं दिया, 67वीं बीपीएससी का रिजल्ट निकला

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। ग़ज़ा में जंग रोकने के लिए यूएन में लाए गए प्रस्ताव से भारत के अलग रहने की महत्वपूर्ण खबर को अक्सर अखबारों ने कम तवज्जो दी है हालांकि जागरण में यह दूसरी सबसे बड़ी खबर है। 67वीं बीपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट निकलने की खबर सभी जगह लीड बनी है।

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: संघर्ष विराम प्रस्ताव से दूर रहा भारत। संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसराइल समाज संघर्ष पर तुरंत विराम लगाने से संबंधित प्रस्ताव पास किया गया लेकिन भारत ने इससे दूरी बनाई। बताया गया कि इसकी बड़ी वजह रही हमास की ओर से 7 अक्टूबर को इसराइल पर किए गए आतंकी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा नहीं किया जाना। जॉर्डन की ओर से लाए गए प्रस्ताव का चीन, फ्रांस, रूस पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव्स समेत 121 देशों ने समर्थन किया जबकि इसराइल और अमेरिका समेत 14 देश इसके विरोध में रहे। इनके अलावा भारत समेत 44 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

केंद्र सरकार के रुख से हैरान: प्रियंका

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि भारत सरकार के रूख से स्तब्ध और शर्मिंदा हूं। एक्स पर पोस्ट में प्रियंका ने महात्मा गांधी के उस कथन का उल्लेख किया कि आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है। हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी। इन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया।

इसराइल ने हमले तेज किए

इसराइली सेना ने गजा पर जमीनी हमले और तेज कर दिए हैं। इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने हमास को आखिरी चेतावनी दी है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि हम राष्ट्र के लिए युद्ध में हैं। इसमें या तो हम बचेंगे या फिर वो। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी से फोन पर बात की। दोनों नेताओं युद्ध से बढ़ रहे खतरों पर चर्चा हुई।

इसराइल ने तुर्किये से राजनयिक वापस बुलाए

इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने शनिवार को तुर्किये से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि इजरायल-तुर्किये संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए यह कदम उठाया गया है। तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन एक बार फिर दोहराया कि हमास आतंकवादी संगठन नहीं है। इसके तुरंत बाद कोहेन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए तुर्किये से राजनयिकों को वापस बुला लिया।

बीपीएससी का रिज़ल्ट

हिन्दुस्तान समेत सभी अखबारों की लीड 67वीं बीपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का रिज़ल्ट निकलने और टॉपर की खबर है। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने शनिवार को 67वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का अंतिम परीक्षाफल जारी कर दिया है। अंतिम रूप से 799 अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। बाढ़ (पटना) के अमन आनंद राज्य टॉपर बने हैं। वहीं, दूसरे स्थान पर जहानाबाद की निकिता कुमारी हैं। भागलपुर के सुल्तानगंज में जीविका ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर अंकिता चौधरी तीसरे स्थान पर रहीं। रिजल्ट के अनुसार शीर्ष-10 में चार और शीर्ष-3 में दो छात्राएं शामिल हैं। सफल घोषित 799 अभ्यर्थियों में प्रशासनिक सेवा में 88, बिहार पुलिस सेवा में 21, जेल सुपरिंटेंडेंट में तीन, सब इलेक्शन ऑफिसर के लिए चार, बिहार शिक्षा सेवा के लिए 12, एक्साइज सुपरिंटेंडेंट के लिए दो, सब रजिस्ट्रार और ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार के लिए पांच, नियोजन अधिकारी और जिला नियोजन अधिकारी के लिए दो, श्रम अधीक्षक के लिए दो, एडिशनल डायरेक्टर के लिए दो चुने गए हैं।

हज भवन के 43 कामयाब

हिन्दुस्तान के अनुसार हज भवन, पटना में संचालित कोचिंग एवं मार्गदर्शन कोषांग में अध्ययनरत रहे 43 अभ्यर्थियों का चयन 67 वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के तहत अंतिम रूप से किया गया है। कोचिंग एवं मार्गदर्शन कोषांग का संचालन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत होता है। शनिवार को बिहार राज्य हज समिति के मीडिया कोषांग के प्रभारी सगीर अहमद ने इसकी जानकारी दी। 150 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें 45 अभ्यर्थियों ने साक्षात्कार के लिए सफलता प्राप्त की। वहीं, दूसरे शिक्षण संस्थानों से साक्षात्कार के लिए चयनित 55 अभ्यर्थियों, कुल 100 अभ्यर्थियों को मॉक साक्षात्कार के तहत मार्गदर्शन दिया गया। इनमें 43 अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयनित हुए। इनमें चार अभ्यर्थियों का चयन अनुमंडल समाहर्ता (एसडीएम) पद के लिए और तीन अभ्यर्थियों का चयन अनुमंडलीय पुलिस पदाधिकारी (डीएसपी) के लिए हुआ है।

मुसलमान आत्ममंथन करें: इंद्रेश

जागरण की खबर है: मुसलमान को आत्ममंथन की जरूरत: इंद्रेश कुमार। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा है कि देश के मुसलमान को आत्म मंथन की जरूरत है। 99% मुसलमान के पूर्वज हिंदू हैं। जागरण प्रकाशन समूह के उर्दू अखबार इंकलाब के संपादक वदूद साजिद के साथ विशेष बातचीत में इंद्रेश कुमार ने कहा कि सभी 142 करोड़ भारतीयों का डीएनए एक ही है। वह मुस्लिम नेतृत्व से शिकायत दर्ज कराते हुए कहते हैं कि अनुचित व्यवहार और आपत्तिजनक नारों की आलोचना की जानी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आनुषांगिक संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख के तौर पर इंद्रेश कुमार कहते हैं कि बड़ी संख्या में मुसलमान उनके करीब आ रहे हैं। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले चल रहे आंदोलन में इमाम, विद्वान, मुफ्ती और बुद्धिजीवी शामिल हो रहे हैं। उनका दावा है कि अनुच्छेद 370 हटाने के हस्ताक्षर अभियान में 8 लाख मुसलमान ने दस्तखत किए।

रसोई गैस और एसी से हृदय रोग

हिन्दुस्तान की खबर है कि रसोई गैस और एयर कंडिशनर भी युवाओं में हृदय रोग का बड़ा कारण बन रहे है। रसोई गैस का चूल्हा, एसी से भी वायु प्रदूषण होता है। इनसे निकलनेवाले सूक्ष्म कण और कुछ हानिकारक गैसें हृदय की धमनियों में रुकावट (ब्लॉकेज) पैदा करती हैं और युवाओं के अचानक मौत का कारण बनती हैं। ये बातें कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष व लीलावती अस्पताल मुंबई के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय हरिकृष्ण बंग ने कार्डिकॉन 2023 के दौरान शनिवार को कही।

कुछ और सुर्खियां

  • 23 नवंबर से 3 दिसंबर तक सेना भर्ती रैली, 7 जिले के अभ्यर्थी होंगे शामिल
  • यूपी के जदयू नेताओं का अनुरोध, नीतीश कुमार फूलपुर से लड़े चुनाव
  • हृदय में छेद वाले बिहारी बच्चों का ऑपरेशन अब यहीं होगा
  • बांग्लादेश में जवाबी रैलियों के बाद भड़की हिंसा, पुलिसकर्मी की मौत, 200 घायल
  • दिवाली के पूर्व राज्य कर्मियों के महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत वृद्धि संभव
  • मुकेश अंबानी से ईमेल से मांगी 220 करोड़ रंगदारी, हत्या की धमकी दी

अनछ्पी: इसराइल और फलस्तीन के मुद्दे पर भारत सरकार का रवैया ढुलमुल होता जा रहा है। 7000 से अधिक लोग फलस्तीन में मारे जा चुके हैं और वहां जंग बंदी के लिए लाए गए प्रस्ताव से भारत ने अपने को अलग रखा है। जंग बंदी के इस प्रस्ताव पर समर्थन न करने का कोई आधिकारिक कारण तो नहीं बताया गया लेकिन सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि हमास की निंदा नहीं होने के कारण इस प्रस्ताव में भारत ने भाग नहीं लिया। वास्तव में भारत का यह रवैया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस पहले ट्वीट पर आधारित है जो हमास के हमले के बाद उन्होंने इसराइल के समर्थन में किया था। प्रधानमंत्री के इस ट्वीट में इसराइल का तो भरपूर समर्थन किया गया था लेकिन उनकी बात में जंग बंदी या फ़लस्तीन के लोगों के मारे जाने पर किसी अफसोस का इजहार नहीं किया गया था। हालांकि इसके बाद विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में फलस्तीन के प्रति भारत के पुराने रख को दोहराते हुए कहा था कि उसे हर संभव मदद की जाएगी। यही नहीं भारतीय सेना ने काफी मात्रा में फलस्तीन को मदद भी भेजी है। इसके बावजूद फलस्तीन में शांति स्थापना और युद्ध विराम के प्रस्ताव को समर्थन न करना थोड़ा अटपटा लगता है। मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि इसराइल से रक्षा संबंधी समझौतों के कारण भारत में इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। सोचने की बात यह भी है कि अमेरिका और इसराइल जैसे देशों के विरोध को छोड़कर अधिकतर बड़े देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। युद्ध विराम के प्रस्ताव का समर्थन न कर भारत ने एक दूसरा जोखिम मोल लिया है। इस प्रस्ताव को अरब देशों का समर्थन प्राप्त था और भारत की छवि वहां ऐसी बनी है जिससे भारत-अरब संबंध को धक्का पहुंच सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत अगले कुछ दिनों में महात्मा गांधी के रास्ते पर चलते हुए फलस्तीन में न केवल शांति प्रयासों का समर्थन करेगा बल्कि उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगा। यही भारत के राष्ट्रीय हित में है।

 

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