छ्पी-अनछपी: अमेरिका में एक लाख भारतीयों की नौकरी खतरे में, शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारतीयों के लिए लगातार परेशानी की बात सामने आ रही है और अब यह कहा जा रहा है कि एक लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है, बिहार से शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण और सुशील मोदी को पद्म भूषण दिया गया है। झारखंड में 109 करोड़ रुपये के घोटाले में आरोपी को सीवान से गिरफ्तार किया गया है। उत्तराखंड में 27 जनवरी से यूनिफॉर्म सिविल कोड की शुरुआत हो रही है।
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अमेरिका में ट्रंप राज के साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। डीईआई यानी डाइवर्सिटी, इक्वलिटी और इंक्लूसिविटी प्रोग्राम पर रोक के आदेशों से एक लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डीईआई भर्तियों पर रोक लगाकर सभी डीईआई कर्मियों को 31 जनवरी तक पेड़ लीव पर भेज दिया है। राज्यों में डीईआई के दफ्तरों को भी बंद करने के आदेश दिए हैं। एक फरवरी को डीईआई कर्मियों के भविष्य के बारे में फैसला किया जाएगा। सभी फेडरल दफ्तरों से डी आई को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है।
शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण
बिहार की सात शख्सियतों को पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार ने लोकगायिका पद्म भूषण शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण की उपाधि से नवाजा है। वहीं, पिछले वर्ष दिवंगत हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी को पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास के सचिव रहे आचार्य किशोर कुणाल को मरणोपरांत पद्म श्री दिया गया है।
109 करोड़ के घोटाले में सीवान से गिरफ्तारी
प्रभात खबर के अनुसार झारखंड में ऊर्जा विकास निगम के 109 करोड़ रुपए की अवैध निकासी मामले में एसआईटी ने श्रवण कुमार शर्मा को गिरफ्तार किया है। यह बिहार के सिवान जिले के बसंतपुर थाना अंतर्गत बड़का गांव का निवासी है। इसके पास से घोटाले में इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन व सिम बरामद किया गया है। वहीं इस मामले में पूर्व में गिरफ्तार सेंट्रल बैंक आफ इंडिया बिरसा चौक शाखा के मैनेजर लोलस लकड़ा की निशानदेही पर डोरंडा थाना क्षेत्र के नया बस्ती करडू निवासी राम लखन यादव के पास से 60 लाख रुपये नगद बरामद किये गए हैं।
उत्तराखंड में कल से लागू हो रहा यूनिफॉर्म सिविल कोड
हिन्दुस्तान के अनुसार उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून (यूसीसी) 27 जनवरी से लागू हो जाएगी। इसी दिन से यूसीसी पोर्टल भी शुरू हो जाएगा। इस संबंध में सचिव गृह शैलेश बगौली ने शनिवार को आदेश जारी किए। सचिव गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 27 जनवरी सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में अपराह्न साढ़े 12 बजे कार्यक्रम आयोजित होगा। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड- 2024 को लागू किए जाने के लिए नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण करेंगे। इसके साथ ही पोर्टल आमजन के लिए खोल दिया जाएगा। बता दें कि पहले उत्तराखंड में यूसीसी को लागू करने के लिए 14 जनवरी (मकर संक्रांति) की तिथि तय की गई थी, लेकिन बाद में इसे 26 जनवरी कर दिया गया। इसके बाद अंतिम तौर पर अब 27 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है।
डोनाल्ड ट्रंप ने सहायता कार्यक्रमों से अमेरिका को अलग किया
भास्कर के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नए प्रशासन ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी। हालांकि इस आदेश में इसराइल और मिस्र को छूट दी गई है। लीक रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने सहायता को तत्काल प्रभाव से रोकने को कहा है। बता दें कि 2023-24 में अमेरिका ने 180 देश को कल 5.51 लाख करोड़ की सहायता दी थी। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार यह दुनिया में सबसे अधिक थी। इस दौरान अमेरिका ने भारत को भी 1322 करोड़ रुपए की मदद की थी। ट्रंप प्रशासन के फैसले के चलते अब यह सहायता रुक गई है।
रेवड़ियों से कंगाल होंगे राज्य: एसबीआई
हिन्दुस्तान के अनुसार महिलाओं पर केंद्रित मुफ्त योजनाओं (सीधे खाते में पैसे भेजने वाली योजनाएं) की सुनामी राज्यों का दिवाला निकाल सकती हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं को खाते में सीधे नकद भेजने की योजनाओं का चलन हाल के वर्षों में और विशेष रूप से चुनावों के दौरान काफी बढ़ा है। इस तरह की पहल राज्य की वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकती है। रिपोर्ट में कुछ राज्यों की ओर से की गई ऐसी घोषणाओं को विशुद्ध चुनावी राजनीति से प्रेरित बताया गया है।
कुछ और सुर्खियां
- पटना से काठमांडू, सिंगापुर, म्यांमार और बैंकाक के लिए मई से उड़ान
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- NEET UG में अब 200 की जगह 180 सवाल, 45-45 सवाल फिज़िक्स-केमिस्ट्री के, 90 बायलॉजी के
- मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राना को भारत लाने का रास्ता साफ
अनछपी: आज पूरे भारत में जहां गणतंत्र दिवस मनाए जाने की धूम है, वहीं हम आज बिहार के बांका जिले की एक बेहद चिंताजनक घटना की चर्चा करने को मजबूर हैं जहां मदरसे में पढ़ने वाले कुछ बच्चों से जबरदस्ती जय श्री राम का नारा लगवाया गया और ऐसा न करने पर उन्हें मारने की धमकी दी गई। यह घटना वैसे तो 24 जनवरी दोपहर लगभग तीन बजे की है लेकिन पटना के हिंदी अखबारों में इसकी चर्चा या तो नहीं हुई या ऐसी जगह हुई जहां किसी को पता नहीं चला। कुछ यूट्यूब चैनलों पर इसकी जानकारी आई और उसके बाद अंग्रेजी अखबारों ने इसे कवर किया। बिहार के लिए यह बेहद खतरनाक संकेत है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहे जितने दावे करें कि उनके शासनकाल में हिंदू-मुसलमान झगड़ा नहीं होता, असलियत इससे अलग नजर आ रही है। खबरों में बताया गया कि बांका के इस मदरसे के बच्चे दोपहर में मैदान में खेल रहे थे। उसी वक़्त चार लोगों ने उन्हें पकड़कर यह नारे लगवाए। एक और चिंताजनक बात यह है कि जिन लोगों ने मदरसा के बच्चों को जय श्री राम कहने पर मजबूर किया और मारने की धमकी दी, वह सभी अभी जूविनाइल हैं यानी उनकी उम्र 18 वर्ष से कम है। जिन लोगों ने इन बच्चों को जय श्री राम कहने पर मजबूर किया उन्होंने उसका वीडियो भी बनाया और जब मदरसा के बच्चे डर के मारे जय श्री राम का नारा लगा चुके तो उन्होंने कहा कि तुम अब हिंदू बन चुके हो। यानी जिन्होंने मदरसा के बच्चों को यह नारा लगाने पर मजबूर किया उनके लिए मकसद यह था कि वह उन्हें हिंदू बनाएं। जय श्री राम का नारा जबरदस्ती लगवाने की घटनाएं बिहार से बाहर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में तो होती रहती थीं लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अब इस मामले में कमजोर पड़ चुके हैं और बिहार भी इससे अछूता नहीं रहा। दूसरे राज्यों की तरह बिहार में भी भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की अल्पसंख्यक विरोधी मानसिकता बच्चों में भी फैल रही है। यह बात याद दिलाने की है कि जय श्री राम का नारा एक मुस्लिम विरोधी नारा है और उन्हें डराने धमकाने के लिए यह नारा लगाया-लगवाया जाता है। बिहार में सामाजिक सौहार्द का काम करने वालों के लिए यह चौकन्ना होने का समय है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गंभीर सवाल करने का भी, जो कहते हैं कि वह उन्होंने कम्यूनलिज्म से समझौता नहीं किया लेकिन बिहार में भी कम्यूनलिज्म की गतिविधियां बढ़ ही रही हैं।
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