छ्पी-अनछपी: 45 हज़ार गांवों में ज़मीन का सर्वे शुरू, भारी विरोध के बाद लैटरल एंट्री का विज्ञापन वापस

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के 45 हज़ार गांवों में जमीन के सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने भारी विरोध के बाद लैटरल एंट्री का यूपीएससी का विज्ञापन वापस ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर एक टास्क फोर्स गठित की है। पटना के एक नामी कॉलेज की आठ छात्राओं ने शिकायत दर्ज कराई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अश्लील फोटो और वीडियो बनाकर उनसे ब्लैकमेलिंग की गई है। बांग्लादेश की अशांत स्थिति को देखते हुए महिला टी 20 विश्व कप क्रिकेट अब संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित होगी।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार के सभी 534 अंचलों के तकरीबन 45 हजार गांवों में जमीन सर्वे का काम मंगलवार से शुरू हो गया। सर्वे के लिए सभी अंचल मुख्यालय में एक सर्वे शिविर या कैंप कार्यालय बनाया गया है। अधिकांश स्थानों पर इसे अंचल कार्यालय कैंपस में ही बनाया गया है। हाल में बहाल किए गए लगभग सभी 9 हजार 888 सर्वे कर्मियों की ट्रेनिंग देने के बाद इन्हें सर्वे के काम में लगा दिया गया है। इन कर्मियों में अमीन, कानूनगो समेत अन्य शामिल हैं। सर्वे का यह काम 2025 तक पूरा कराने का लक्ष्य फिलहाल निर्धारित किया गया है। राज्य में 60 फीसदी गांव ऐसे हैं, जिनमें खेसरा या जमीन के प्लॉट की संख्या 2 हजार से कम है। पहले इनमें सर्वे किया जाएगा। शेष गांवों में खेसरा की संख्या 5 से 10 हजार के बीच है, जिनका सर्वे इनके बाद होगा।

लैटरल एंट्री का विज्ञापन वापस

प्रभात खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर यूपीएससी ने मंगलवार को केंद्र के अनुरोध पर नौकरशाही में लैटरल एंट्री के लिए जारी विज्ञापन रद्द कर दिया। यूपीएससी ने 17 अगस्त को लैटरल एंट्री के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद लैटरल एंट्री को लेकर एक ओर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमला रहा वहीं एनडीए के कई सहयोगियों ने भी इस पर अपनी असहमति जताई थी।

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट की टास्क फोर्स

भास्कर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आईजी कर मेडिकल कॉलेज दुष्कर्म और हत्याकांड में स्वतः संज्ञान लेते हुए मंगलवार को सुनवाई की। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस बर्बर कांड के बाद लापरवाही को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को बड़ी कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में सुरक्षा में कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश बदलाव के लिए एक और दुष्कर्म यह हत्या का इंतजार नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि सभी इंटर्न और रेजीडेंट डॉक्टर 36 घंटे तक काम कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे पर 10 सदस्यों वाली नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं। कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स को तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में अंतिम रिपोर्ट देने को कहा है।

छात्राओं का अश्लील फ़ोटो व वीडियो बनाकर की ब्लैकमेलिंग

प्रभात खबर की खास खबर के अनुसार पटना के एक प्रतिष्ठित कॉलेज की कई छात्राओं का अश्लील फोटो और वीडियो बनाकर उनसे ब्लैकमेलिंग की गई और उनमें से कई से रुपए भी ऐंठे गए। इसका पता तब चला जब इस कॉलेज की करीब आठ छात्राओं ने पटना के साइबर थाने में शिकायत की। छात्राओं ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से उनके फोटो को सोशल मीडिया से निकलकर आपत्तिजनक बना दिया गया है और ब्लैकमेलिंग हो रही है। कुछ छात्राओं ने बदनामी के डर से उन लोगों को पैसे तक भेज दिए। जिन छात्राओं ने पैसे नहीं दिए उनके नाम से फर्जी आईडी बनाकर आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल तक कर दिया गया है।

महिला टी 20 विश्व कप अब यूएई में

प्रभात खबर के अनुसार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने मंगलवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर जाने के बाद बांग्लादेश में जारी अशांति के कारण महिला टी 20 विश्व कप को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में स्थानांतरित किया जाएगा। इस खेल के संचालक ने कहा कि इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले देशों की सरकारों द्वारा बांग्लादेश की यात्रा न करने की सलाह के बाद इस टूर्नामेंट का वहां आयोजन करना संभव नहीं था। इस विश्व कप को तीन से 20 अक्टूबर तक दुबई और शारजाह में आयोजित किया जाएगा।

सीनेट की जगह सरकार बनाएगी योजनाएं

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन और योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब सीनेट नहीं, सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की विकास योजनाएं तय की जाएंगी। इसके लिए सरकार ने योजनाएं तय करने की प्रक्रिया बदल दी है। नई प्रक्रिया के तहत निर्माण कार्य, जीर्णोद्धार एवं विकास कार्यों के लिए सरकार ने तीन कमेटी गठित की है। माना जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से राज्य के विश्वविद्यालयों में खलबली मचेगी।

बांग्लादेश ने की शेख हसीना को सौंपने की मांग

जागरण के अनुसार बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ माहौल और खराब हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने भारत से अगस्त प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना का प्रत्यर्पण करने को कहा है। बीएनपी नेता ने भारत के समक्ष उन्हें बांग्लादेश को सौंपने की मांग इसलिए रखी है ताकि शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में आंदोलन को दबाने की साजिश के आरोप में उन पर मुकदमा चलाए जा सके।

संपन्न दलित ले रहे 95% आरक्षण का लाभ: मांझी

प्रभात खबर के अनुसार हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि एससी-एसटी की जो जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हैं उन्हें आरक्षण में उपवर्गीकरण (कोटा में कोटा) का लाभ दिया जाना चाहिए। उनके अनुसार संपन्न दलित यह झूठ फैला रहे हैं कि आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के 78 साल बाद भी संपन्न दलित ही 95% नौकरी और तमाम सुविधाओं का लाभ लेते रहे हैं। उन्होंने मांग की कि आरक्षण में जातियों के उप वर्गीकरण को जल्द से जल्द लागू कर सुप्रीम कोर्ट की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 18 अनुसूचित जातियों का उपवर्गीकरण कर उन्हें 10% आरक्षण मिलना चाहिए।

कुछ और सुर्खियां

  • कोटा के अंदर कोटा देने के खिलाफ दलित संगठनों का भारत बंद आज
  • मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए 23 अगस्त को जारी होगी मेरिट लिस्ट
  • बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार
  • महाराष्ट्र के ठाणे के बदलापुर के स्कूल में बच्चियों से यौन शोषण के विरोध में रेल ट्रैक पर प्रदर्शन
  • अजमेर के 32 साल पुराने मामले में 100 लड़कियों से दुष्कर्म में 6 दोषियों को उम्रकैद
  • जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की 24 सीटों के लिए अधिसूचना जारी

अनछपी: बिहार में जमीन के सर्वे का काम पहले भी हुआ था और अब इसे दोबारा शुरू किया गया है जो एक अच्छी खबर मानी जा सकती है लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि लोगों की जो चिंताएं हैं उस पर भी ध्यान दिया जाए। जमीन के सर्वे में जो सबसे बड़ी समस्या आएगी वह यह है कि जिनकी जमीन है उन्हें जमीन के नियमों के बारे में बहुत जानकारी नहीं है और कई के पास तो बिना कागज़ात के दूसरी और तीसरी पीढ़ी की जमीन है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह सही समझते हैं कि जमीन के कारण बहुत झगड़े होते हैं और लोगों की जान भी जाती है इसलिए इसका सर्वे करा कर हल निकाला जाए। क्या यह बेहतर नहीं होता कि सरकार सर्वे शुरू करने से पहले लोगों को इसका नियम बताती और उनसे यह जानती कि इन नियमों के पालन में क्या दिक्कत होगी। उदाहरण के लिए बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने गांव में नहीं रहते और उनकी जमीन वहां है। उनके लिए यह तो कहा जा रहा है कि ऑनलाइन आवेदन करें लेकिन सिर्फ ऑनलाइन आवेदन से काम पूरा होने वाला नहीं है। इसी तरह कई दस्तावेज जमा करने के लिए कहा जा रहा है जिनका आसानी से उपलब्ध होना मुश्किल है। इन कागजात में अपनी जमीन का रकबा बताना है, चौहद्दी बताना है और खेसरा की जानकारी घोषणा पत्र से देनी है। जमाबंदी यानी मालगुजारी रसीद की फोटो कॉपी देनी है। मालगुजारी जमा करने में भी काफी परेशानी हो रही है और अक्सर लोगों की शिकायत है कि नाम में गड़बड़ी की गई है। अगर गड़बड़ नाम के साथ ही सर्वे कराया जाए तो इस सर्वे का क्या फायदा होगा और बाद में झगड़े होते रहेंगे। इसी तरह खतियान के नकल देने को भी कहा गया है लेकिन यह बताया नहीं गया कि जिन्हें खतियान का नकल नहीं मिले उन्हें क्या करना है। इसके अलावा मृत जमाबंदी रैयत की मृत्यु की तिथि और मृत्यु के प्रमाण पत्र की छाया प्रति देनी है। अगर आम आदमी से पूछा जाए तो डेथ सर्टिफिकेट देने का काम बेहद मुश्किल है और अब अगर इसे बनाने की कोशिश की जाए तो यह एक असंभव काम होगा। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि जिसके नाम जमीन का हस्तांतरण करना उसको मृतक का वारिस होने के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड देना जरूरी है। इन कागज़ात की मांग को पूरा करना बहुत मुश्किल है और बहुत संभावना है कि इसकी वजह से घूसखोरी का एक नया दौर शुरू हो जाए। इसलिए सरकार को चाहिए कि इस बात पर ध्यान दे। ज़रूरी है कि इस काम के लिए पूरा समय मिले और सरकारी कर्मचारी लोगों की मदद करें।

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