छ्पी-अनछपी: मणिपुर के सीएम ने सरकार गिरने के डर से इस्तीफा दिया, छत्तीसगढ़ में 31 नक्सली ढेर

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव में हार के डर के बाद इस्तीफा दे दिया है। छत्तीसगढ़ में पुलिस ने 31 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया है। बिहार में फिलहाल आधार से जुड़े बिना भी छात्रों के खाते में पैसे भेजने का फैसला किया गया है। पटना नगर निगम क्षेत्र में श्मशान घाट की तरह कब्रिस्तान में भी अब मौतों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था होगी।

और जानिएगा कि अमेरिका में रहने के लिए अपने घर वालों से कैसे-कैसे हलफनामे देने को कह रहे हैं भारतीय प्रवासी।

भास्कर के अनुसार मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच 3 मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के 21 महीने बाद आखिर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। वह रविवार सुबह दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले थे। वहां से लौटने के 2 घंटे बाद 14 विधायकों के साथ राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया। वे अगली व्यवस्था तक कार्यपालक मुख्यमंत्री बने रहेंगे। दरअसल एक हफ्ते पहले 33 विधायकों ने सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में बीरेन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दी थी। इनमें 19 विधायक भाजपा के थे। ऐसा होता तो सरकार गिर जाती। यह 33 विधायक थर्ड फ्रंट की सरकार बना सकते थे।

अविश्वास प्रस्ताव के डर से बीरेन ने दिया इस्तीफा: राहुल

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा, कांग्रेस के अवश्विास प्रस्ताव लाने से पहले ही मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भारी दबाव के बाद रविवार को इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा को मणिपुर के लोगों की चिंता होती तो उन्हें पहले ही हटा देती। राहुल गांधी ने कहा, मुख्यमंत्री के इस्तीफे से पता चलता है कि बढ़ते जन दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव ने उन्हें यह फैसला लेने को मजबूर कर दिया।

मुठभेड़ में 31 नक्सली ढेर

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के सफाई का अभियान तेज कर दिया है। इसी के तहत बीजापुर में रविवार को सुरक्षा बलों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया जिसमें 11 महिलाएं हैं। फरसेगढ़ थाना अंतर्गत इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में महाराष्ट्र सीमा के पास छोटे काकलेर व लोद्देड़ के जंगल में हुई मुठभेड़ में मारे गए सभी नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। इस दौरान जिला रिजर्व गार्ड के हेड कांस्टेबल और एसटीएफ के एक जवान की भी मौत हो गई। पुलिस के अनुसार जंगल में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर शुक्रवार को ही संयुक्त टीम भेजी गई थी।

आधार से जुड़े बिना भी छात्रों के खातों में भेजे जाएंगे पैसे

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार बिहार के सरकारी विद्यालयों की पहली से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को साईकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति आदि योजनाओं की राशि का भुगतान बिना आधार (सीडिंग) से जुड़े बैंक खातों में भी होगा। विद्यार्थियों के आधार सिडिंग खातों की बेहद कम संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने अपने पूर्व के फैसले में बदलाव किया है। इसके साथ ही कक्षा में 75 प्रतिशत हाजिरी दर्ज कराने वाले सभी छात्र-छात्राओं को योजनाओं की राशि मिलने का रास्ता साफ हो गया है। विभाग का लक्ष्य फरवरी में सभी बच्चों के खाते में राशि का भुगतान करने का है। विभाग के नये फैसले से 80 लाख से अधिक उन बच्चों को लाभ होगा, जो पूर्व की शर्त पर योजनाओं की राशि से वंचित हो सकते थे।

पटना नगर निगम में कब्रिस्तान में मौत का रजिस्ट्रेशन होगा

नगर निगम क्षेत्र में स्थित कब्रिस्तानों में शव दफनाने के बाद पंजीकरण की सुविधा जल्द ही नगर निगम शुरू करने जा रहा है। अब तक कब्रिस्तानों में शव को दफनाने के बाद कब्रिस्तान कमेटी ही मृतक का डेटा दर्ज करती है, जो सरकारी दस्तावेज नहीं होने से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया लंबी हो जाती है। इससे लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। नगर निगम के पास भी कब्रिस्तान से संबंधित कोई डेटा नहीं रह पाता है। अंत्येष्टि स्थल और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार करने के बाद सरकारी दस्तावेजों में एकरूपता और पारदर्शिता लाने के लिए नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति ने निगम प्रशासन को कब्रिस्तानों में भी नगर निगम का पंजीकरण लॉग बुक रखने के प्रस्ताव को पास किया है। पहले बड़े कब्रिस्तानों में इसकी सुविधा शुरू की जाएगी। कब्रिस्तानों में निगम का पंजीकरण लॉग बुक में मृतक का ब्योरा दर्ज होने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र बनावाने में सिर्फ लॉग बुक में दर्ज पंजीकरण नंबर ही पर्याप्त होगा। वर्तमान में कब्रिस्तान में दफन मृतकों का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पांच लोगों की गवाही और कार्यकारी दंडाधिकारी से एफिडेविट की जरूरत पड़ती है।

तेली समाज हमारा साथ दे: तेजस्वी

बिहार तैलिक साहु सभा ने पटना के मिलर स्कूल मैदान में ‘तेली हुंकार रैली’ की। महागठबंधन समर्थित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने रैली का उद्घाटन किया। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि तेली समाज हमारा साथ दे, आपको आगे बढ़ाने की चिंता हम करेंगे। विकसित बिहार बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलेंगे। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद द्वारा तेली समाज के उत्थान के लिए किये कार्यों की जानकारी दी।

अमेरिका में शरण के लिए कैसे कैसे शपथ पत्र

भास्कर के अनुसार अमेरिका से 104 भारतीयों को डिपोर्ट किए जाने के बाद कई नई जानकारियां सामने आ रही हैं। इससे पता चलता है कि कुछ लोग डॉलर के लालच में अपनी मातृभूमि को बदनाम करने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। अमेरिका से डिपोर्ट होने वाली फ्लाइट में गुजरात और पंजाब के लोग अधिक थे। कई गुजराती अवैध रास्तों और डंकी रूट से स्थायी शरणार्थी के रूप में रहने के लिए अवैध रूप से विदेश पहुंचे हैं वह अपने परिवारों से एक हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए कहते हैं जिसमें कहा जाता है कि उनकी जान को भारत में किसी राजनीतिक दल या राजनीतिक रूप से प्रभावी व्यक्ति से खतरा है। “चूंकि वह एक पार्टी का समर्थन करते हैं इसलिए उन्हें सत्तारूढ़ पार्टी से जान का खतरा है और उन्हें बार-बार धमकियां भी मिल रही हैं।” इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान कारोबार सहित सब कुछ बर्बाद होने और सरकार से मदद नहीं मिलने के नाम पर भी शरण मांगा जा रहा है।

कुछ और सुर्खियां:

  • सर्वर में गड़बड़ी की वजह से दस्तावेज और ऑनलाइन वंशावली जमा करने की प्रक्रिया 21 फरवरी तक बंद
  • पटना और मुजफ्फरपुर के बीच नमो भारत ट्रेन चलेगी
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मनेर शरीफ में हजरत मखदूम शाह कमालुद्दीन अहमद याहया मनेरी के मजार पर चादरपोशी की
  • आठ लाख रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय के ऑडिटर को गिरफ्तार किया

अनछपी: मणिपुर में 3 मई 2023 के बाद से जातीय हिंसा में जिसे सिविल वॉर भी कहा जा सकता है, कम से कम ढाई सौ लोगों की मौत हुई है लेकिन मीडिया और समाज में इस पर चर्चा बहुत कम देखी जाती है। इसकी वजह वैसे तो मैतेई और कुकी समुदाय के बीच का झगड़ा माना जाता है लेकिन मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का रोल भी लगभग उसी तरह खतरनाक है जिस तरह 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने राज्य में था। मामला केवल इतना नहीं है कि बीरेन सिंह के खिलाफ 33 विधायक हो गए और वह अविश्वास प्रस्ताव में हार जाते। सुप्रीम कोर्ट में बीरेन सिंह के एक ऑडियो की जांच का मामला भी चल रहा है जिसमें कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट ने दावा किया था कि उन्होंने मैतेइयों को हिंसा भड़काने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब को इस ऑडियो क्लिप की जांच रिपोर्ट देने को कहा है। इस समय मणिपुर में 60 हज़ार लोग अपने घरों से बाहर कैंपों में रह रहे हैं और स्कूल कॉलेज का भी बुरा हाल है। कुकी महिलाओं के साथ कितना अत्याचार हुआ और इसकी चर्चा उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई जब कुछ कुकी महिलाओं को निर्वस्त्र कर गलियों में घुमाया गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। लेकिन स्वस्थ राजनीति का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी का हाल यह रहा कि लोगों की मौत, महिलाओं के साथ अत्याचार और दूसरी समस्याओं के बावजूद बीरेन सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया। डबल इंजन सरकार का दम भरने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस्तीफे के लिए तब तक इंतजार किया जब तक कि सरकार गिरने का खतरा पैदा नहीं हुआ। उम्मीद की जाने चाहिए कि जो नए मुख्यमंत्री बनेंगे वह हर समुदाय का विश्वास प्राप्त करेंगे और प्राथमिकता के आधार पर पीड़ित लोगों को इंसाफ और मुआवजा दिलाएंगे। इसके अलावा उनकी कोशिश यह भी होनी चाहिए कि स्कूल व कॉलेज नियमित रूप से चलें, खास कर उन शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की सही व्यवस्था हो जहां दूसरे राज्यों के बच्चे भी पढ़ते हैं।

 625 total views

Share Now