छपी-अनछपी: तबरेज़ लिंचिंग केस में 10 को 10-10 साल जेल, शरद पर फिलहाल भारी अजित पवार

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। झारखंड की राजधानी रांची से 135 किलोमीटर दक्षिणपूर्व स्थित सरायकेला के चर्चित मॉब लिंचिंग मामले में 10 मुजरिमों को 10-10 साल की सज़ा हुई है, हालांकि पटना के अखबारों ने इस खबर को तवज्जो नहीं दी है। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष शरद पवार पर उनके भतीजे अजीत पवार भारी साबित हुए हैं जिसकी खबर प्रमुखता से ली गई है। शिक्षा विभाग के मंत्री और सबसे बड़े अफसर के के पाठक के बीच चल रहे विवाद की खबर भी प्रमुखता से ली गई है।

भास्कर ने अपने आखिरी पेज पर खबर दी है: तबरेज अंसारी लिंचिंग केस में 10 दोषियों को 10-10 साल की सजा। झारखंड के सबसे चर्चित तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में 4 साल बाद बुधवार को सज़ा का फैसला आया। सरायकेला-खरसावां के तबरेज अंसारी की मॉब लिंचिंग मामले में अदालत ने सभी दस दोषियों को दस-दस साल जेल और 15-15 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। 18 जून 2019 की रात सरायकेला के धातकीडीह में हुई मॉब लिंचिंग की इस घटना की गूंज संसद तक सुनाई पड़ी थी। एडीजे वन अमित शेखर की अदालत ने फैसला सुनाया। इससे पहले 27 जून को कोर्ट ने इन सभी को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया था। चोरी के आरोप में भीड़ ने तबरेज को पकड़कर बुरी तरह से पीटा था। 4 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में तबरेज की पत्नी शाइस्ता परवीन ने 13 नामजद समेत 100 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी।  इस केस में प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल, भीमसेन मंडल, कमल महतो, मदन नायक, अतुल माहली, महेश माहली, विक्रम मंडल, चामू नायक, प्रेमचंद्र महाली एवं सूनामों प्रधान को सजा सुनाई गई।

सज़ा कम है, हाई कोर्ट जाएंगे: शाइस्ता

तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में बुधवार को एडीजे वन अमित शेखर की अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद पत्नी शाइस्ता परवीन ने कहा कि दोषियों को सजा कम मिली है, हम हाईकोर्ट जाएंगे। वहीं उनके अधिवक्ता अल्फताफ हुसैन ने कहा कि शाइस्ता को न्याय दिलाकर रहेंगे।

शरद पर भारी अजित पवार

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: चाचा शरद पर भारी पड़े अजित पवार, राकांपा अध्यक्ष पद पर भी ठोका दावा। भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर भी यही है: 35 विधायकों के साथ अजित बोले- आप 80 पार, रिटायर क्यों नहीं होते। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में रविवार को बड़ी फूट के बाद बुधवार को शरद पवार गुट और अजित पवार गुट ने अपने कार्यकर्ताओं एवं चुने हुए जनप्रतिनिधियों की बैठकें कीं। इसमें अजित पवार अपने चाचा शरद पवार पर भारी पड़े। अजीत गुट की बैठक में पार्टी के 53 में से 32 विधायक शामिल हुए जबकि शरद पवार गुट की बैठक में कुल 16 विधायक उपस्थित रहे। चार विधायक दोनों बैठकों में नहीं पहुंचे। एक विधायक नवाब मलिक जेल में हैं। अजित गुट ने बताया कि अजित पवार को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है और प्रफुल्ल पटेल कार्यकारी अध्यक्ष बने हुए हैं। उन्होंने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर भी दावा किया है। खास बात यह है कि इस बारे में अजित गुट ने शपथ लेने से 2 दिन पहले यानी 30 जून को ही चुनाव आयोग को पत्र भेज दिया था।

मंत्री-अफसर विवाद

शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर और अपर मुख्य सचिव केके पाठक में बढ़ती तकरार पर भास्कर ने सबसे बड़ी सुर्खी लगाई है: सचिव-पत्र से कुत्सित मानसिकता जाहिर होती है मंत्री- राजनीतिक नेतृत्व की नजर में रॉबिनहुड न बनें। जागरण की पहली खबर भी यही है: पाठक पर मंत्री विधायक आमने-सामने। हिन्दुस्तान ने लिखा है: पाठक ने पीतपत्र भेजने वाले मंत्री के आप्त सचिव के विभाग में प्रवेश पर रोक लगाई। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पीतपत्र भेजने वाले विभागीय मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के आप्त सचिव (बाह्य) डॉ. कृष्णा नंद यादव के विभाग में प्रवेश पर रोक लगा दी है।

पत्र के जवाब में पत्र

शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी ने डॉ. कृष्णा नंद यादव को पीतपत्र के बदले में पत्र लिखा है। इसमें उन्हें लिखा गया है, “आपकी सेवाएं लौटाने के लिए सक्षम प्राधिकारी को विभाग पहले ही लिख चुका है। अब आप शिक्षा विभाग के कार्यालय में भौतिक रूप से प्रवेश नहीं कर सकते हैं।” डॉ. यादव ने शिक्षा मंत्री की ओर से केके पाठक समेत कुछ बड़े पदाधिकारियों को पीतपत्र भेजकर विभाग की कार्यशाली पर आपत्ति जतायी थी। इसमें कहा गया था कि सुनिश्चित किया जाय कि लोक सेवक छवि को चमकाने, राबिनहुड की छवि बनाने के लिए विभाग के संसाधनों तथा सरकार का सहारा ना ले सकें।

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी ज़रूरी नहीं

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सहायक प्रोफेसर पद पर सीधी भर्ती के लिए पीएचडी की अनिवार्यता खत्म कर दी है। हिन्दुस्तान के अनुसार एक जुलाई से लागू हुए नए नियमों के तहत राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट), राज्य पात्रता परीक्षा (सेट) तथा राज्य स्तर पात्रता परीक्षा (एसएलईटी) उत्तीर्ण करने वाले सहायक प्रोफेसर बन सकेंगे। यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को ट्वीट कर नए बदलावों की जानकारी दी। यूजीसी ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। कुछ साल पहले यूजीसी ने सहायक प्रोफेसर के लिए पीएचडी को अनिवार्य बना दिया था।

माइक्रोफाइनेंस से लोन लेने में बिहार टॉप पर

भास्कर की खबर है: माइक्रोफाइनेंस से लोन लेने में तमिलनाडु से आगे बिहार। अखबार लिखता है कि मार्च 2023 तक माइक्रोफाइनेंस सेक्टर का कुल लोन पोर्टफोलियो 337.6 हज़ार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। क्रेडिट ब्यूरो क्रिफ हाईमार्क के माइक्रोफाइनेंस पर तिमाही पब्लिकेशन माइक्रोलैंड से यह जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो में टॉप टेन राज्यों की 85.2% हिस्सेदारी है। ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो में बिहार तमिलनाडु से आकर निकलकर शीर्ष पर पहुंच गया है। प्रति क़र्ज़ धारक औसत लोन की बात करें तो बिहार ₹27200 के साथ शीर्ष पर है। इसके बाद ₹26600 के साथ तमिलनाडु और ₹26300 के साथ उत्तर प्रदेश का नंबर है।

कुछ और सुर्खियां

  • बिहार की एक दर्जन नदियों में उफान, मंडराने लगा बाढ़ का खतरा
  • यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने भी जताया विरोध
  • चुनाव में मारपीट मामले में मढ़ौरा विधायक और मंत्री जितेंद्र राय दोषमुक्त
  • निजी डेटा लीक हुआ तो कंपनियों पर 500 करोड़ तक का जुर्माना संभव
  • पशुपति पारस ने कहा- चिराग एनडीए में नहीं, मैं हाजीपुर से ही लोकसभा चुनाव लड़ूंगा
  • बिहार में 75 हज़ार एचआईवी पॉजिटिव, इनमें 57 हज़ार को हर महीने दिए जा रहे ₹1500
  • मध्य प्रदेश के सीधी जिले में आदिवासी युवक पर पेशाब करने के आरोपित के घर पर चला बुलडोजर
  • हम मुकदमों से नहीं डरते, उखाड़ फेंक एंगे मोदी को: लालू

अनछपी: झारखंड के तबरेज अंसारी लिंचिंग मामले मैं सजा होने की खबर की पटना के अखबारों में अनदेखी बेहद अफसोसनाक है। कुछ ही दिनों पहले छपरा के पास मॉब लिंचिंग में एक ट्रक ड्राइवर की हत्या कर दी गई थी। अगर उसे ही ध्यान में रखा जाता तो इस खबर को अच्छी जगह मिलती। मॉब लिंचिंग जैसे गंभीर मामले में सजा होने की खबर को नजरअंदाज करना समझ से परे है। वैसे तो भीड़ द्वारा हत्या के बाद हमारे समाज में बहुत हलचल नहीं होती है, लेकिन झारखंड के कोर्ट के इस फैसले के बाद समाज में एक स्पष्ट संदेश जाने की उम्मीद है।  मॉब लिंचिंग का एक अहम पहलू इसका धार्मिक आधार होना भी है क्योंकि कई मामलों में पीड़ित ने अपने धर्म की वजह से जान गंवाई है। झारखंड में मॉब लिंचिंग के लिए विशेष कानून भी बनाया गया है लेकिन हत्या के बदले सिर्फ 10 साल की सजा से कई लोग संतुष्ट नहीं हैं। इसीलिए तबरेज अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन ने हाई कोर्ट जाने की बात कही है। 10 साल से अधिक सजा नहीं होने की वजह यह बताई जा रही है कि कोर्ट ने हत्या को गैर इरादतन माना है। इस मामले में तबरेज की पत्नी शाइस्ता की कानूनी लड़ाई भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि मॉब लिंचिंग के मामले में परिवार कानूनी लड़ाई लड़ने में कमजोर पड़ जाता है जिसका लाभ मुल्जिमों को होता है। इस फैसले का दूसरा पहलू यह भी है कि तबरेज अंसारी के परिवार को सरकार की ओर से क्या मुआवजा दिया गया। मॉब लिंचिंग के लिए क़ानून एससी-एसटी एक्ट की तरह होना चाहिए जिसमें मुजरिमों को सजा देने के साथ-साथ पीड़ितों को उचित मुआवजा भी मिले। हालात यह हैं कि इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक कानून बनाने की जरूरत है लेकिन शायद अभी की केंद्र सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही।

 

 

 

 

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