छ्पी-अनछपी: मोदी सरकार बोली- बिहार को विशेष दर्जा नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने रोका नेम प्लेट का आदेश
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बिहार को विशेष दर्जा देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों व कर्मचारियों का नाम लिखने के आदेश पर रोक लगा दी है। केंद्र की तरह बिहार में भी पेपर लीक के खिलाफ कानून बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा लगता है कि एक दिन पहले ही नीट यूजी का पेपर लीक हो गया था।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही लोकसभा और राज्यसभा में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा एवं विशेष पैकेज देने की मांग उठी। लोकसभा में जहां एक प्रश्न के जरिए यह मुद्दा उठाया गया, वहीं राज्यसभा में राजद के मनोज झा ने इसकी मांग की। हालांकि, केंद्र सरकार ने पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है। लोकसभा में जदयू के सदस्य रामप्रीत मंडल ने प्रश्न किया कि क्या सरकार का आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार और अन्य अत्यधिक पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करने का विचार है। इसके लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि पूर्व में विशेष श्रेणी के दर्जे के बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) द्वारा विचार किया गया था। जिसने 30 मार्च 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आईएमजी ने यह निष्कर्ष निकाला था कि राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) के मौजूदा मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है।
कांवड़ रूट पर नेम प्लेट ज़रूरी नहीं
भास्कर की सुर्खी है: खाना शाकाहारी है या मांसाहारी, यह बताएं, मालिक का नाम नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानदारों व कर्मचारियों का नाम लिखने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कांवरियों के रास्ते में आने वाले ढाबा, रेस्टोरेंट मालिक, खाद्य पदार्थ, सब्जी विक्रेता, फेरी वाले आदि खाने का मेनू प्रदर्शित कर सकते हैं। यह लिखा जा सकता है कि खाना मांसाहारी है या शाकाहारी। लेकिन उन्हें मालिक, संचालक और कर्मचारियों का नाम पहचान लिखने पर मजबूर नहीं करना चाहिए। जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। नेम प्लेट लगाने के आदेश को प्रोफेसर अपूर्वानंद, मानव अधिकार कार्यकर्ता आकारर पटेल और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने चुनौती दी थी।
पेपर लीक के खिलाफ क़ानून
प्रभात खबर के अनुसार बिहार में सरकारी नौकरियों को लेकर आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए विधानसभा में सरकार इसी सत्र में बिहार लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) विधेयक 2024 पेश करेगी। इसके लिए सोमवार को सत्र के पहले दिन विधेयक का मसौदा सदस्यों के समक्ष रखा गया। इसमें प्रावधान किया गया है कि पेपर लीक या इससे जुड़ी किसी भी गतिविधि में शामिल होने वाले इस कानून के तहत दोषी होंगे। उन्हें 10 साल तक सजा और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा। इस कानून के अधीन सभी अपराध संज्ञेय व गैरजमानती होंगे।
पेपर लीक एक दिन पहले हुआ: सुप्रीम कोर्ट
हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बिहार पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों के बयान से पता चलता है कि नीट यूजी-2024 पेपर लीक परीक्षा से एक दिन पहले चार मई को ही हो गया था। शीर्ष अदालत ने मामले में आरोपी अनुराग यादव व अन्य के बयानों को देखने के बाद यह मौखिक टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रजूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ दोबारा नीट आयोजित करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
नीतीश का लक्ष्य- 2025 में 225 सीट
जागरण के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के घटक दलों के लिए 2025 के विधानसभा चुनाव में 225 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य हासिल करना संभव है। उनके अनुसार वह लगातार जनता के हित में काम कर रहे हैं। नीतीश सोमवार को यहां एनडीए विधानमंडल दल की बैठक को संबोधित कर रहे थे पूर्ण राम इसमें भारतीय जनता पार्टी, जेडीयू, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और रालोजपा के विधायक एवं विधान परिषद सदस्य शामिल हुए।
केंद्र का बजट आज
जागरण की सबसे बड़ी खबर है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर 6.5% से 7% रहने का अनुमान है। यह बात आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में कही गई है। इस सर्वेक्षण ने केंद्र सरकार को रोजगार, आय को लेकर बढ़ती असमानता, चीन के साथ कारोबारी रिश्तों और स्वास्थ्य सेक्टर में बढ़ रही चुनौतियों जैसी कुछ जमीनी सच्चाइयों से भी रूबरू कराया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। वह मंगलवार को केंद्रीय बजट पेश करेंगी।
मोदी का आरोप, विपक्ष ने गला घोंटा
हिन्दुस्तान के अनुसार संसद के बजट सत्र में विपक्ष के संभावित हंगामे और पिछले सत्र के अनुभवों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सत्र शुरू होने के पहले विपक्ष को आड़े हाथ लिया। उन्होंने विपक्ष पर नकारात्मक राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि पिछले सत्र में उनके भाषण में विपक्ष के भारी व्यवधान ने ढाई घंटे तक देश के प्रधानमंत्री का गला घोंटने का और उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया।
पत्नी के 12 टुकड़े किये
जागरण के अनुसार अलवर जिले के मेहंदिया थाना क्षेत्र के जमुहारी गांव में एक रिटायर्ड टीचर ने सोमवार की दोपहर पत्नी को धारदार हथियार (गंडासा) से 12 टुकड़ों में काटकर नृशंस तरीके से हत्या कर दी और पास में ही बैठा रहा। पुलिस ने 76 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक बीरबल प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया है। टुकड़ों में बंटे शव को समेट कर पोस्टमार्टम के लिए अरवल भेजा गया है। पुलिस ने बताया कि इस हत्याकांड का कारण अभी साफ नहीं हो सका है।
कुछ और सुर्खियां
- भागलपुर इलाके के नारायणपुर प्रखंड में गंगा में दोस्त को बचाने गए चार युवक डूबे, सभी की मौत
- बिहार के 10 शहरों में 20 सीट तक वाले विमान उड़ेंगे
- नीट यूजी के एक सवाल पर विवाद, सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी से राय मांगी
- बिहार शिक्षा भर्ती परीक्षा के दौरान 57 फर्जी परीक्षार्थी गिरफ्तार, अगस्त में निकलेगा रिजल्ट
- आरएसएस ने सरकारी कर्मचारियों से प्रतिबंध हटाने के फैसले को सराहा
अनछपी: कांवड़ रूट पर हर फल दुकानदार और ढाबा चलाने वालों को अनिवार्य रूप से अपना नाम लिखने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से कुछ राहत तो मिली है लेकिन ऐसे आदेश से समाज में जो नफरत फैलती है उसे दूर करने में काफी समय लगेगा। फैसला सुनाते हुए एक जज साहब ने यह भी कहा कि उन्होंने शुद्ध शाकाहारी भोजन के लिए एक मुस्लिम होटल को इसलिए चुना था क्योंकि वह ज्यादा साफ सुथरा रहता था। इस विवाद से अगर हटकर सोचा जाए तो सरकार से यह पूछा जा सकता है कि होटल में साफ सफाई हो, इसके लिए उसका ध्यान क्यों नहीं जाता? या फलों के ठेले को साफ सुथरा तरीके से चलाया जाए, इसके लिए सरकार कभी कोई कोशिश क्यों नहीं करती? उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार हो या उत्तराखंड की भाजपा सरकार दोनों वैसे तो यह कहती है कि उसने कांवड़ रूट पर पवित्रता को ध्यान में रखकर यह आदेश दिया था लेकिन आम समझ यह है कि इसका मकसद कांवड़ यात्रियों को दरअसल यह संदेश देना था कि मुस्लिम व्यापारियों से सामान ना लिए जाएं और उनका आर्थिक बायकॉट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बहुत जश्न नहीं मनाया जा सकता क्योंकि असल सवाल यह है कि सरकारी ऐसा क्यों करती है और आम लोगों को कितनी बार सुप्रीम कोर्ट जाना होगा और कितनी बार से सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगा? असली सवाल यह है कि सरकार चलाने वाले लोगों के दिलों में इतनी नफरत है उससे आम आदमी को कैसे बचाया जाए? सुप्रीम कोर्ट को दरअसल ऐसे नेताओं के जनप्रतिनिधि होने की योग्यता पर भी सवाल पूछना चाहिए। सीधी सी बात है कि ऐसे नफरत फैलाने वाले लोग जनप्रतिनिधि होने की योग्यता नहीं रखते और अगर वह चुनकर आते भी हैं तो उन्हें अयोग्य घोषित करना ही समाज के लिए जरूरी है। सरकार की अलोकतांत्रिक और नफरत फैलाने वाली नीतियों के विरोध के लिए अदालत के साथ-साथ आम लोगों के बीच भी जाना जरूरी है और वहां यह बात समझाने की है कि दरअसल फूट डालने की यह नीति महज इसलिए है ताकि वह अपनी सरकार चला सकें। भारतीय समाज में नफरत फैलाने वाले इन नेताओं की हरकतों का नुकसान अंततः भारतीय समाज का ही होगा, यह बात भी समझाने की है। फिलहाल इस बात पर संतोष किया जा सकता है कि समाज में ऐसे लोग अभी मौजूद हैं जो इन हरकतों के खिलाफ आवाज़ उठाने का माद्दा रखते हैं।
336 total views