छ्पी-अनछपी: जातियों की गिनती में ओबीसी 63%, कोरोना का टीका बनाने वालों को नोबेल प्राइज

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अदालती रुकावटों और कई परेशानियों के बावजूद 2 अक्टूबर को बिहार जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी कर दिए गए। वर्ग के लिहाज से ओबीसी सबसे अधिक 63 प्रतिशत तो जाति के हिसाब से यादव सबसे अधिक चौदह प्रतिशत मिले। आज के अखबारों में जाति गणना की जानकारी भरी हुई है। उधर, कोरोना का टीका बनाने वालों को नोबेल प्राइज देने की घोषणा भी सभी जगह है।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: बिहार में पिछड़े 63 फ़ीसदी से ज्यादा। जागरण की सबसे बड़ी सुर्खी है: बिहार में सर्वाधिक 36 प्रतिशत अत्यंत पिछड़ा वर्ग। प्रभात खबर की पहली खबर है: ओबीसी 63% से ज्यादा, अनारक्षित आबादी 15.52%। भास्कर की मेन हेडलाइन है: बिहार में 13.7 करोड़ की आबादी में सबसे अधिक यादव 14.26 प्रतिशत, दूसरे पर पासवान तो तीसरे पर रविदास। बिहार सरकार ने सोमवार को जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए। इसके साथ ही बिहार आजादी के बाद ये आंकड़े जारी करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 63 फीसदी है, जबकि अनारक्षित वर्ग (हिंदू एवं मुस्लिमों की जनरल कैटगरी की जातियां) कुल आबादी का 15.52 फीसदी है। बिहार के विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने जातीय गणना के आंकड़े जारी किए। जाति आधारित गणना के 2022 के आंकड़ों की वर्ष 1931 में हुई गणना से तुलना करने पर यह पता चलता है कि पिछड़ों के अलावा अति पिछड़ा, यादव, दलित एवं मुस्लिमों की आबादी में इजाफा हुआ है। वहीं, सवर्णो की आबादी में कमी आई है।

किसकी आबादी बढ़ी-घटी

1931 और 2023 के आंकड़ों के अनुसार, अति पिछड़ा समाज की आबादी 33 फीसदी से बढ़कर 36.01, यादव 10 से बढ़कर 14.26 फीसदी, अनुसूचित जाति (दलित) की आबादी 14.1 से बढ़कर 19.65 प्रतिशत और मुस्लिमों की आबादी 12.5 से बढ़कर 17.70 फीसदी हो गई है। वहीं, सवर्णों (ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और कायस्थ) की आबादी 13 से घटकर 10.56 प्रतिशत रह गई है। ब्राह्मण 4.7 की जगह 3.65 प्रतिशत, भूमिहार 2.9 प्रतिशत की जगह 2.86 प्रतिशत, राजपूत 4.2 प्रतिशत की जगह 3.45 प्रतिशत एवं कायस्थ 1.2 प्रतिशत से कम हो कर 0.60 प्रतिशत हो गए हैं।

मुसलमानों की आबादी 17.70 %

जातीय सर्वे के आंकड़े के अनुसार हिंदुओं की संख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हज़ार 958 है जो कुल का 81.99% है। मुसलमान की संख्या 2 करोड़ 31 लाख 49 हज़ार 925 बताई गई है जो 17.70% है। प्रभात खबर के अनुसार 17.70 फ़ीसदी मुसलमान में से 11-12 फीसदी पिछड़ा वर्ग से हैं। अनारक्षित मुसलमान में शेख 3.82 फ़ीसदी और पठान-खान की आबादी 0.75 फ़ीसदी है। ईसाई धर्म के 75 हज़ार 238,  सिख धर्म के 14 हज़ार 753 और बौद्ध धर्म के एक लाख 11 हज़ार 201 लोग पाए गए हैं। जैन धर्म के 12 हज़ार 523 जबकि अन्य धर्म के एक लाख 66 हज़ार 566 लोग हैं। 21 हज़ार 460 लोगों ने अपना कोई धर्म नहीं लिखवाया।

पिछड़ा वर्ग में यादव सबसे ज़्यादा

प्रभात खबर की हेडिंग है: पिछड़ा वर्ग में यादव, एससी में दुसाध-रविदास व अनारक्षित में ब्राह्मण-राजपूत सबसे अधिक। अख़बार लिखता है कि जातीय गणना के आंकड़ों में राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से प्रभुत्व रखने वाली जातियों के साथ ही इन मानकों पर पीछे रही जातियों की संख्या का भी पता लग गया है। 215 जातियों में से 190 जातियों की आबादी एक फ़ीसदी से भी काम है। अनुपात में देखें तो सबसे अधिक 14.2 फ़ीसदी आबादी यादव जाति की है। उनके बाद दुसाध 5.31 फ़ीसदी, रविदास 5.25 फ़ीसदी, कुशवाहा 4.21 प्रतिशत हैं। अनारक्षित श्रेणी में ब्राह्मण 3.64% सबसे अधिक उनके बाद राजपूत 3.45% और भूमिहार 2.86% हैं।

कुछ और जानकारी

  • बिहार में बीसी की कुल 112 जातियों की आबादी 36.01% इनमें से 12 जातियां केवल 24.09 प्रतिशत
  • 190 जातियां ऐसी जिनकी आबादी एक प्रतिशत से कम
  • 27 जातियों की आबादी 1000 से भी कम, भास्कर जनजाति से जुड़े महज़ 37 लोग
  • अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 4 करोड़ 70 लाख 80 हजार 514
  • पिछड़ा वर्ग की आबादी 3 करोड़ 54 लाख 63 हज़ार 936
  • अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 2 करोड़ 56 लाख 89 हज़ार 820
  • अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 21 लाख 99 हज़ार 361
  • जनरल कैटेगरी की आबादी 2 करोड़ 2 लाख 91 हज़ार 669

कोरोना टीका बनाने के लिए नोबेल इनाम

नोबेल पुरस्कारों की घोषणा सोमवार से शुरू हो गई। पहले दिन कोरोनारोधी टीके का फार्मूला तैयार करने वाले वैज्ञानिक कैटालिन कारिको और ड्रू वीजमैन को चिकित्सा के क्षेत्र में यह पुरस्कार देने की घोषणा की गई। इन दोनों वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए तकनीक के टीके विकासित किए, जिनके जरिये हम महामारी के दौर में अपने प्रतिरक्षण तंत्र को मजबूत रख सके। नोबेल असेंबली के सचिव थॉमस पर्लमैन ने पुरस्कार की घोषणा की।

पेपर लीक में यूपी और हरियाणा के गैंग

भास्कर की खबर है: पेपर लीक में यूपी व हरियाणा के गैंग में शामिल, ईओयू करेगी जांच। अख़बार लिखता है कि सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा से दो दिन पहले ही सॉल्वर गैंग तक पहुंच गया था। पुलिस की शुरुआती जांच में इसकी पुष्टि भी हुई है। अब इस पेपर लीक मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) करेगी। ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने सभी जिले के एसपी को पत्र लिखकर सिपाही बहाली की परीक्षा के दौरान या उससे पहले सॉल्वर गैंग कदाचार से जुड़े जितने भी केस दर्ज हुए हैं उसकी पूरी जानकारी 3 अक्टूबर तक मांगी है।

देवरिया में एक साथ छह क़त्ल

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के फतेहपुर ग्राम पंचायत में सोमवार की सुबह हुए भूमि विवाद को लेकर छह लोगों की हत्या कर दी गई जबकि एक बच्चा गंभीर है। मृतकों में एक परिवार के पांच लोग हैं, जबकि दूसरी तरफ के एक पूर्व जिला पंचायत सदस्य की हत्या हुई है। गांव में तनाव को देखते हुए करीब दो दर्जन थानों की पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। मौके का कमिश्नर और आईजी ने पहुंच कर जायजा लिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • डेंगू ठीक होने के बाद भी कई मरीजों को दोबारा आ रहा बुखार, डॉक्टर बोले- एक-दो दिन में खुद ठीक हो जाएंगे
  • महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 12 बच्चों समेत 24 मरीजों की मौत, वजह- दवाओं की कमी
  • व्हाट्ऐएप ने 74 लाख खाता बंद किए
  • दिल्ली में झारखंड का रहने वाला आईएस आतंकी शाहनवाज आलम उर्फ अब्दुल्ला गिरफ्तार
  • एसटीईटी का रिजल्ट आज निकलेगा
  • सारा सत्ती भारत की पहली मूक बधिर वकील बनीं

अनछपी: बिहार में जातियों की गिनती के आंकड़े सबके सामने आ चुके हैं और इस पर राजनीति भी जोरों पर है। कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जातीय गिनती भारतीय जनता पार्टी की हिंदुत्व की राजनीति की तोड़ साबित होगी। कहा जा रहा है कि जातीय सर्वे से सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि पूरे भारत की राजनीति प्रभावित होगी। अभी जातियों की गिनती आई है और किसके पास कितनी नौकरी और संपत्ति है, इसकी जानकारी भी आएगी। उसके बाद यह सवाल तैयार होगा कि आबादी के लिहाज से किसके पास कितने हिस्सेदारी है। किस जाति के लोगों को कितनी नौकरी मिली है और किसके पास कितनी दौलत है। भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने इस जातीय गणना में त्रुटियां निकालनना शुरू कर दी है। विपक्ष में होने के नाते एनडीए के अन्य साथियों ने भी भाजपा का साथ दिया है लेकिन उनके लिए मुश्किल यह है कि वह जातीय गणना का सीधे तौर पर विरोध नहीं कर सकते। बातें वही पुरानी है कि अगर भारतीय जनता पार्टी जातीय गणना के समर्थन में है तो वह क्यों नहीं राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना कराती है? इसी तरह यह सवाल भी किया जाता है कि भारतीय जनता पार्टी अपने राज्यों में जातीय गणना क्यों नहीं कराती? सबको पता है कि जातीय गणना का परिणाम सामने आने के बाद हर जाति आबादी के हिसाब से अपने लिए सरकार और राजनीति में हिस्सा मांगेगी। भारतीय जनता पार्टी यह आरोप लगाती है कि इससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है लेकिन यह सवाल भी अपनी जगह है कि सभी जातियों को अपनी आबादी के लिहाज से भागीदारी क्यों नहीं मिलनी चाहिए। विपक्षी इंडिया गठबंधन और विशेष तौर पर कांग्रेस जाति गणना को अगले चुनाव का एक अहम मुद्दा बनाना चाहती है और भारतीय जनता पार्टी इस मामले में बैकफुट पर नजर आती है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि आज जातीय गिनती प्रकाशित हुई हो और कल भारतीय जनता पार्टी को आसानी से हराया जा सकता है। यह जरूर है कि जाति गणना पर अगर इसी तरह विपक्षी दल काम करते रहे तो भारतीय जनता पार्टी के लिए आगे आने वाले दिन मुश्किल भरे होंगे। कुल मिलाकर जाति गणना भारत की राजनीति में अगले कुछ महीनों तक काफी कमाल दिखा सकती है।

 

 

 987 total views

Share Now

Leave a Reply