बिहार के 17.7 % मुसलमान बैकवर्ड-फारवर्ड में उलझेंगे या नौकरी और राजनीति में हिस्सेदारी के लिए होंगे एकजुट?

सैयद जावेद हसन

1931 के बाद पहली बार बिहार में हुए जाति आधारित गणना 2022 के आंकड़े सामने आ गए हैं। बेरानवे साल पहले 51 जातियों की गिनती हुई थी, अब 215 जातियों की गणना हुई है। कुल 13 करोड़ 7 लाख की आबादी वाली इस रियासत में मुसलमानों की तादाद 2 करोड़, 31 लाख, 49 हजार, 925 है। बिहार की कुल आबादी का यह 17.70 फीसद है। हिन्दुओं (10,71,92,958 आबादी/81.99 फीसद) के बाद आबादी के लिहाज से मुसलमान दूसरे नंबर पर हैं।

पांच हिस्सों में बंटा समाज
जाति आधारित गणना में समाज को पांच हिस्सों में बांटा गया है। इसके मुताबिक विभिन्न हिस्सों की आबादी और प्रतिशत इस तरह है-
पिछड़ी जाति- 3,54,63,936 (27.1286)
अत्यंत पिछड़ी जाति- 4,70,80,514 (36.0148)
अनुसूचित जाति- 2,56,89,820 (19.6518)
अनुसूचित जनजाति- 21,99,361 (1.6824)
सामान्य/अनारक्षित- 2,02,91,679 (15.5224)

रिजर्व्ड कटेगरी
इस तरह देखा जाए तो बिहार की आबादी का 84.48 फीसद रिजर्व्ड कटेगरी में चला जाता है जिसे आरक्ष्राण का लाभ मिलता है।

महत्वूपर्ण सामाजिक समूह
अत्यंत पिछड़ी जाति में 113 जातियां शामिल हैं। 36.01 प्रतिशत के लिहाज से आबादी का यह सबसे बड़ा हिस्सा है। पिछड़ी जातियों का प्रतिशत 27.12 है। इन दोनों को अगर मिला दें तो यह 63.13 प्रतिशत हो जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर इसे अन्य पिछड़ी जाति (अदर बैकवर्ड क्लास/ओबीसी) के रूप में जाना जाता है। प्रदेश की कुल आबादी में यह एक महत्वूपर्ण सामाजिक समूह है।

सवर्ण हिन्दू
सवर्ण हिन्दुओं का प्रतिशत 10.65 है। इसमें ब्राह्मण 3.65 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत, भूमिहार 2.86 प्रतिशत और कायस्थ 0.60 प्रतिशत शामिल हैं।

सवर्ण मुसलमान
आला जात के मुसलमान को अशराफ या फारवर्ड कहते हैं। इनमें शेख, पठान और सैयद शामिल हैं। ये तीनों जेनरल कटिगरी में आते हैं। इन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिलता।
इन तीनों में 3.82 फीसद के साथ शेख की आबादी सबसे ज्यादा 49,95,897 है।
दूसरे नंबर पर पठान या खान हैं। 0.7548 प्रतिशत के साथ इनकी आबादी 9,86,665 है।
तीसरे नंबर पर सैयद जाति है। 0.2279 प्रतिशत के साथ इनकी आबादी 2,97,975 है।
पठान और सैयद कुल आबादी का एक-एक प्रतिशत हैं।
तीनों जातियां कुल मिलाकर 4.8 प्रतिशत हैं।

पसमांदा मुसलमान
बिहार की अत्यंत पिछड़ा वर्ग (एक्स्ट्रीम बैकवर्ड क्लास) में कुल 112 जातियां हैं और कुल आबादी में इनका फीसद 36.01 है। इसमें से हिन्दू-मुसलमान समेत 12 जातियों की ही आबादी 24.09 फीसद है। इसमें अंसारी टॉप पर हैं।
पिछड़े मुसलमानों को पसमांदा या बैकवर्ड मुसलमान या के तौर पर जाना जाता है। इनमें अंसारी, सुरजापुरी, धुनिया, कुंजड़ा और मलिक शामिल हैं।
सबसे बड़ी तादाद में अंसारी हैं। आबादी के लिहाज से ये सातवें नंबर पर हैं। इन्हें मोमिन और जुलाहा भी कहते हैं। ये रिजर्व कटेगिरी में आते हैं जिन्हें आरक्षण का लाभ मिलता है। 3.54 फीसद के साथ इनकी आबादी 46,34,245 है।
सुरजापुरी का क्षेत्र सीमांचल है। 1.87 फीसद के साथ इनकी आबादी 24,46,212 है।
मुस्लिम धुनिया तीसरे नंबर पर आते हैं। 1.42 फीसद के साथ इनकी कुल आबादी 18,68,192 है।
कुंजड़ा को राईन भी कहते हैं। 1.39 फीसद के साथ इनकी आबादी कुल आबादी 18,28,584 है।
मलिक चौथे नंबर पर सवर्ण मुस्लिम में शुमार किए जाते थे। कुछ वर्षों पहले इन्हें पिछड़ा वर्ग में शामिल किया गया। फिलहाल 0.0854 प्रतिशत के साथ इनकी कुल आबादी 1,11,655 है।

बिहार के मुसलमान और ये तथ्य
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं। इस जाति का प्रतिशत सिर्फ 2.87 प्रतिशत है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव जाति के हैं। यादवों की संख्या 14.26 प्रतिशत है। गौर तलब है कि 1990 के बाद से इन्हीं दो जातियों का सत्ता पर कब्जा रहा है। मुसलमानों की हैसियत ‘कुछ लेदे कर काम चलाने’ वाली रही है।

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 61 विधायक के साथ यादव जाति का प्रतिनिधित्व सबसे ज्यादा है। अनुसूचित जाति के विधायकों की संख्या 39 है। तीसरे नंबर पर मुस्लिम हैं जिनकी संख्या 24 है। इसके अलावा 20 राजपूत, 11 ब्राहमण, 18 भूमिहार, 12 कुर्मी और 2 अनुसूचित जनजाति के विधायक हैं।

बिहार में अब तक 23 मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इनमें अब्दुलगफूर के रूप में सिर्फ एक मुसलमान सीएम हुए। 5 ब्राह्मण, 4 यादव, 4 राजपूत, 2 कायस्थ और 2 जाटव सीएम हुए। वहीं एक-एक बार भूमिहार, कुर्मी, कोयरी, मुसहर और नाई जाति के मुख्यमंत्री हुए हैं।

मुसलमान निभा सकते हैं बड़ी भूमिका
अगर शेख (3.82 फीसद), अंसारी (3.54 फीसद), सुरजापुरी (1.87 फीसद), मुस्लिम धुनिया (1.42 फीसद), और राईन (1.39 फीसद) एकजुट हो जाएं तो ये मुस्लिम आबादी का कुल 50.65 फीसद हो जाते हैं। मुस्लिम समुदाय की एक बड़ी ताकत बनकर ये पक्ष-विपक्ष की पार्टियों के साथ डायलॉग करके अपना एजेंडा पेश कर सकते हैं। अपने हक में फैसले करा सकते हैं। इनके एक प्लेटफार्म पर आने से शेष मुसलमान भी एकजुट होंगे। लेकिन अगर सिर्फ अपनी-अपनी जाति को लेकर इनमें सिर फुटव्वल शुरू हुआ तो फिर ये बेमानी होकर रह जाएंगे।

1 फीसद से कम मुस्लिम आबादी
बिहार में 190 जातियां ऐसी हैं जिनकी आबादी एक फीसद से कम है। इनमें 28 मुस्लिम जातियां शामिल हैं। इनकी आबादी और फीसद इस तरह है।
इदरीसिया/दर्जी-3,29,661 (0.2522)
ईंटफरोश/ईंटाफरोश/गदहेड़ी/ईंटपज इब्राहीमी-9,462 (0.0072)
कसाब/कसाई- 1,33,807 (0.1024)
चिक- 50,404 (0.0386)
चूड़ीहार- 2,07,914 (0.1590)
जट (मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, खगड़िया और अररिया जिले में)- 44,949 (0.0344)
ठकुराई- 1,47,482 (0.1128)
डफाली- 73,259 (0.0560)
धोबी- 4,09,796 (0.3135)
नट- 61,629 (0.0471)
नालबंद- 11900 (0.0091)
पमरिया- 64,890 (0.0496)
बक्खो- 36,830 (0.0282)
भठियारा-27,263 (0.0209)
भाट- 89,052 (0.0681)
मडरिया (सिर्फ भागलपुर जिले के संहौला प्रखंड और बांका जिले के धौरेया प्रखंड के लिए- 86,658 (0.0663)
मदारी- 11,620 (0.0089)
मुकेरी- 56,522 (0.0432)
मिरियासीन- 15,415 (0.0118)
मेहतर/लालबेगी/हलालखोर/भंगी- 69,914 (0.0535)
मोरशिकार (मीरशिकार)- 66,607 (0.0510)
रंगरेज- 43,347 (0.0332)
शेरशाहाबादी- 13, 02,644 (0.9965)
साईं/फकीर/दिवान/मदार- 6,63,197 (0.5073)
सैकलगर (सिकलगर)- 18,936 (0.0145)

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