छपी-अनछपीः पटना को जलजमाव से बचाने के लिए ‘बहेंगे’ 957 करोड़, ऐसा गंदा आईएएस अफसर!
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना।
पटना में हर साल बरसात में मुहल्लों में पानी लगने की बात आम है। पानी से निजात दिलाने के नाम पर पैसे बहाने की बात भी आम है लेकिन हकीकत यह है कि पैसे और मुहल्ले दोनों डूबते हैं और जलजमाव से निजात नहीं मिलती। मंगलवार को बिहार सरकार ने फिर फैसला लिया है कि पटना में नया ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाएगा। इस योजना पर 957 करोड़ खर्च होंगे। इस योजना में कुल नौ जोन बनाये गये हैं जिसमें दो जोन खगौल और फुलवारी शरीफ होंगे। हिन्दुस्तान, भास्कर और प्रभात खबर की यही लीड है।
जागरण की लीड अलग है- वीवो ने चीन को भेजे 47 हजार करोड़। ईडी ने इस चीनी कंपनी के पटना कार्यालय पर भी छापा मारा था।
पुनपुन में दो प्राॅपर्टी डीलर को गोलियों से भूनने के बाद उनके शवों को काटकर भूसे में छिपाने की खबर भी प्रमुखता से छपी है। अखबारों के अनुसार 12 कट्ठा जमीन और 95 लाख रुपये हड़पने के लिए इतने जघन्य तरीके से हत्या की गयी है। दोनों जमीन कारोबारी चचेरे भाई थे और इनकी उम्र 32 व 27 साल थी। इस कांड से गुस्साये लोगों ने आरोपित के घर और एक गाड़ी में आग लगा दी। हिन्दुस्तान और प्रभात खबर ने इसे प्रमुखता से छापा है।
इसके अलावा नौबतपुर के पूर्व जिला पार्षद की दानापुर में हत्या की खबर भी प्रमुखता से छपी है। उनकी लाश उनके ही फ्लैट में खून से लथपथ मिली है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के तबीयत अधिक बिगड़ने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनके बारे में जानकारी ली है और आज उनके दिल्ली जाने की संभावना की खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी है।
सोशल मीडिया पर सरकार अपना कंट्रोल बढ़ाते जा रही है और इससे ट्विटर जैसे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफाॅर्म भी परेशान हैं। टाइम्स आॅफ इंडिया ने इसी खबर को सबसे अधिक प्रमुखता देते हुए लिखा है- कंटेंट को ब्लाॅक करने के सरकारी आदेश के खिलाफ ट्विटर हाईकोर्ट पहुंचा। उसकी ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा है कि खासकर राजनैतिक पार्टियों के हैंडल्स से की सामग्रियों पर पाबंदी लगाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन होगा।
हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि गो एयर के विमान में गड़बड़ी के बाद पटना के करीब पहुंचने के बावजदू उसे दिल्ली लौटाना पड़ा।
अजमेर दरगाह के कथित खादिम ने नुपूर शर्मा को हत्या की धमकी देने की खबर भी प्रमुखता से छपी है।
अनछपीः टाइम्स आॅफ इंडिया ने पहले पेज पर खबर दी है कि झारखंड के खूंटी में एसडीओ के पद पर रहे आईएएस अफसर सैयद रियाज अहमद पर आईआईटी से अपने ग्रुप के साथ आयी एक लड़की से छेड़खानी के आरोप में उन्हें जेल भेज दिया गया है। इस अफसर ने रात में भी खुद शराब पी, दूसरों को भी जबर्दस्ती पिलाने की कोशिश की। इसने अपनी सफाई में आरोप को गलत बताया है लेकिन आईएएस अफसर की गिरफ्तारी इतनी आसानी से नहीं होती। पूरी लाॅबी लग जाती है, इसके खिलाफ। अब यहां ऐसा हुआ है तो दाल में काला जरूर है। इस बारे में यह बात भी सोचना जरूरी है कि कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों का बड़ा जोर रहता है आईएएस अफसर बनाने पर। मगर ऐसे ही अफसर बनने हैं जो न इस्लाम का ध्यान रखे, न इंसानियत का तो इससे क्या फायदा? इसलिए चाहे कोई मौलाना बने या किसी को आईएएस अफसर बनाया जाए उसकी इस्लामी तरबीयत की भी व्यवस्था होनी चाहिए। मौलाना का उल्लेख इसलिए किया गया है कि कई बार वे भी ऐसी गंदी हरकतों में पकड़े गये हैं हालांकि उन्हें बनाने पर मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों का कोई योगदान नहीं रहता।
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