छपी-अनछपी: राहुल की सांसदी चटपट खत्म की गई, सीबीआई-ईडी की कार्रवाई के लिए गाइडलाइन की गुहार
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वायनाड से लोकसभा पहुंचे राहुल गांधी की संसद सदस्यता चटपट खत्म कर दी गई जबकि उनके पास मानहानि मामले में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ अपील के लिए पूरा महीना पड़ा था। इससे जुड़ी खबरें छाई हुई हैं। ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के लिए गाइडलाइन जारी करने की अर्ज़ी के साथ 14 दल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं जिसकी खबर भी प्रमुखता से ली गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले को उलटते हुए कहा है कि प्रतिबंधित संस्था का सदस्य होना ही अपराध है। यह खबर भी अहम है।
भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: राहुल बेदखल कांग्रेस सड़क पर। जागरण ने लिखा है राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म। हिन्दुस्तान की हेडलाइन है: कार्रवाई: राहुल की संसद सदस्यता रद्द। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को संसद सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को इस बारे में अधिसूचना जारी की। यह कार्रवाई सूरत की एक अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मानहानि के एक मामले में दो साल की सजा सुनाए जाने के मद्देनजर की गई है। अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी हो गया। राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। शुक्रवार सुबह राहुल संसद सत्र में हिस्सा लेने लोकसभा भी पहुंचे। बाद में वह बाहर आ गए।
अब आगे क्या होगा?
राहुल की सदस्यता खत्म होने के साथ लोकसभा सचिवालय ने वायनाड सीट को खाली घोषित कर दिया है। चुनाव आयोग अब इस सीट पर उपचुनाव का ऐलान कर सकता है। दिल्ली में राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने को भी कहा जा सकता है। अगर राहुल गांधी की सजा का फैसला ऊपरी अदालतें भी बरकरार रखती हैं तो वे अगले आठ साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। दो साल की सजा पूरी करने के बाद वह छह साल के लिए अयोग्य रहेंगे। कांग्रेस ने फैसले की वैधानिकता पर भी सवाल उठाया है कि राष्ट्रपति ही चुनाव आयोग के साथ विमर्श कर किसी सांसद को अयोग्य घोषित कर सकते हैं।
किसने क्या कहा
- केंद्र सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है: ललन सिंह
- चक्रव्यू रच विपक्षी नेताओं को कर रहे परेशान: तेजस्वी
- राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म करने से देश अचंभित: विजय चौधरी
- कांग्रेस नेता को पिछड़ों का अपमान करने की सजा मिली: सुशील मोदी
विपक्षी दल आए एक साथ
जागरण की खबर है: राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने के फैसले ने समूचे विपक्ष को किया एकजुट। अखबार लिखता है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भले ही सूरत कोर्ट की ओर से सुनाई गई दो साल की सजा के चलते लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने का फैसला लिया गया है लेकिन उनके खिलाफ इस कार्रवाई ने समूचे विपक्ष को एकजुट कर दिया है। सभी विपक्षी दलों ने कार्यवाई का सिर्फ विरोध ही नहीं किया बल्कि इसे लोकतंत्र पर खतरा बताया जिस तरह से विपक्ष में गोलबंद हो रहा है उससे कांग्रेस भीतर ही भीतर उत्साहित है।
भाजपा का साजिशी सवाल
जागरण ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का बयान प्रमुखता से छापा है: कांग्रेस के भीतर के लोग राहुल को बचाने के नहीं थे इच्छुक। हिन्दुस्तान में उनके दूसरे बयान पर सुर्खी लगाई है: झूठे आरोप लगाना आदत बनी: अनुराग। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस नेताओं के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा राहुल गांधी और कांग्रेस को झूठे आरोप लगाने की आदत बन गई है। उन्होंने फैसले को संविधान और न्यायसम्मत बताया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी अपने आप को देश, संवैधानिक संस्थाओं और संसद से बड़ा समझते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या कांग्रेस राहुल की सदस्यता को लेकर गंभीर थी? पवन खेड़ा के मामले में तुरंत अदालत पहुंचे, लेकिन राहुल के मामले में ऐसा नहीं किया। कांग्रेस में तो बड़े-बड़े वकील है क्या एक भी सही राय देने वाला नहीं था?
14 दलों की गुहार
भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: राजद जदयू समेत 14 दलों की सुप्रीम कोर्ट से गुहार सीबीआई ईडी की गिरफ्तारी की गाइड लाइन तय करें। अख़बार का कहना है कि 14 दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार पर आईडी व सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। इन दलों का कहना है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिए विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसलिए इन एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी और जमानत के मामलों में कोर्ट गाइडलाइन तय करे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 5 अप्रैल को सुनवाई करेगी। याचिका में कहा गया है कि इस समय विपक्षी दलों के 95% नेताओं के खिलाफ ईडी व सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है।
विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी
जागरण की खबर है: विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर 130 लोगों से 60 लाख की ठगी। करीब तीन दर्जन पीड़ित शुक्रवार को एसके पुरी थाने पहुंचे और पुलिस को पूरी बात बतायी। ठगों का दफ्तर बोरिंग रोड स्थित अपूर्वा राधा कांप्लेक्स में था। एक साथ कई युवकों का पासपोर्ट व रुपये लेकर ठगों ने दफ्तर में ताला लगा दिया और वहां से भाग निकले। एसके पुरी के थानेदार धीरज कुमार ने बताया कि पुलिस ठगी मामले की छानबीन कर रही है। बेरोजगारों से ठगी करने के लिये जालसाजों ने कहीं भी विज्ञापन नहीं दिया था। इसके लिए एजेंट बहाल थे। एजेंटों की जिम्मेदारी बेरोजगारों को फांसकर बोरिंग रोड स्थित ठगों के दफ्तर तक लाने की थी। एजेंट विदेशों में नौकरी करने के इच्छुक युवकों को तलाशते थे। वे लॉज, हॉस्टल व शैक्षणिक संस्थानों के आसपास घूमते थे। पीड़ित युवकों ने बताया कि कंपनी के निदेशक का नाम यशवंत है।
अपने ही फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने गलत बताया
हिन्दुस्तान की खबर है: प्रतिबंधित संस्था का सदस्य होना अपराध: सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 2011 के अपने उस फैसले को कानून की दृष्टि से खराब बताया, जो प्रतिबंधित संगठनों की सदस्यता से संबंधित है। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंधित संस्था या संगठन का सदस्य होना भी अपराध की श्रेणी में आएगा। न्यायमूर्ति एमआर शाह, सीटी रविकुमार और संजय करोल की पीठ ने दो जजों की एक पीठ द्वारा 2014 में भेजे गए संदर्भ में फैसला करते हुए कहा कि किसी प्रतिबंधित संगठन का मात्र सदस्य होने से भी व्यक्ति अपराधी होगा और गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। यह संदर्भ केंद्र सरकार की अपील पर भेजा गया था। पीठ ने यूएपीए की धारा 10(ए)(1) को सही ठहराते हुए कहा कि प्रतिबंधित संगठनों की सदस्यता के संबंध में 2011 में दो जज (तत्कालीन जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू और ज्ञानसुधा मिश्रा) के फैसले के अनुसार उच्च न्यायालयों द्वारा पारित बाद के फैसले कानून के अनुसार गलत हैं और उन्हें खारिज किया जाता है।
कुछ और सुर्खियां
- सरकारी कर्मचारियों की न्यू पेंशन स्कीम में बदलाव के लिए सरकार तैयार
- 10 साल पहले राहुल ने अध्यादेश नहीं फाड़ा होता तो बच जाती सांसदी
- केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विनोद चंद्रन बने पटना हाई कोर्ट के नए चीफ जस्टिस
- तेजस्वी यादव से आज सीबीआई नौकरी के बदले जमीन मामले में करेगी पूछताछ
- सदस्यता रद्द करने के खिलाफ जन आंदोलन करेंगे कांग्रेस
- अदानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग पर विपक्षी दलों का मार्च
- फारुक का विवादित बयान, कहा- भगवान राम को अल्लाह ने भेजा
- ऐच्छिक तबादले का लाभ सभी शिक्षकों को: मंत्री
- डीजीपी को चीफ जस्टिस बन फोन करने के केस में एक एडीजे और एक न्यायिक अफसर जांच के दायरे में
अनछपी: राहुल गांधी के लोकसभा सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई कहने को तो अदालत के फैसले के बाद की गई है लेकिन राजनीति समझने वाले सब यह समझते हैं कि यह दरअसल उनके भविष्य का रास्ता बंद करने की कार्रवाई है। यह बात वास्तव में आश्चर्य की है कि जिस राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी ‘पप्पू’ बताती है उसी के खिलाफ कार्रवाई में सबसे ज़्यादा मुस्तैदी भी दिखाती है। सीधी सी बात है कि इस समय भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा खतरा राहुल गांधी से ही नजर आता है। इसमें कोई दो राय नहीं है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने की तुलना उनकी दादी इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने से की जा रही है लेकिन यह सही नहीं है। राहुल गांधी की सदस्यता लेने के लिए उनके एक छोटे से राजनीतिक बयान को सहारा बनाया गया है जबकि इंदिरा गांधी का मामला बिल्कुल अलग था। फिलहाल कई लोग यह मान रहे हैं कि राहुल गांधी के लिए यह आपदा के साथ अवसर भी है। विपक्ष के कई नेता जो कांग्रेस से अब तक दूरी बनाए हुए थे इस मामले में वे कांग्रेस के साथ हो गए हैं। उन नेताओं को शायद यह लग रहा हो कि चूंकि राहुल गांधी फिलहाल कानूनी अड़चनों में फंसे रहेंगे इसलिए बतौर विपक्ष नेता उनके लिए संभावनाओं का द्वार खुल गया है। बहुत से लोग यह भी मान रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी को लोकप्रिय बनाने में काफी भूमिका निभाई है। भारतीय राजनीति का यह बेहद अहम मोड़ है जिससे यह तय हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी 2024 में सत्ता से बाहर होगी या वह अगले 5 साल के लिए सत्ता पर फिर से क़ाबिज़ हो जाएगी।
1,590 total views