0000000000 बिहार में इस फोन नंबर वालों की भी हुई कोविड जांच

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना
बिहार में कोरोना काल में कितने फर्जी आंकड़े पेश किये गये, इसका एक अंदाजा अखबार इंडियन एक्सप्रेस की जांच-पड़ताल से होता है। इस फर्जीवाड़ा के बारे में छप रही रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे फर्जी नंबर डालकर कोरोना जांच की खानापूर्ति की गयी है। अखबार के मुताबिक जमुई जिले के बरहट प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 48 में से 28 लोगों का दर्ज किया गया मोबाइल फोन नंबर हैः 0000000000। इनकी जांच 16 जनवरी को दिखायी गयी है। यही नंबर 25 जनवरी को की गयी जांच के खाने में दर्ज है।
इसी तरह जमुई सदर के पीएचसी में 73 से 150 तक की इंट्री में दस जीरो वाला मोबाइल फोन नंबर दर्ज किया गया है।
इस बारे में दो तरह की बातें कही जा रही हैं। पहली बात यह कही जा रही है कि जिनके पास मोबाइल फोन नहीं होता है, उनके नाम के आगे 0 दर्ज किया जता है। दूसरी ओर एक अधिकारी का कहना है कि यह बात मानने लायक नहीं कि जिनकी जांच की गयी उनके पास फोन नहीं होगा। उनके अनुसार अगर किसी के पास फोन नहीं होता है तो कायदा यह है कि उसके किसी जानने वाले का नंबर दर्ज किया जाता है ताकि कोेविड पाॅजिटिव रिपोर्ट आने पर उसे सूचित किया जा सके।
उधर शेखपुरा जिले के बरबीघा और अरियरी में 21 से 28 जनवरी के बीच दिखायी गयी कोविड जांच में संपर्क का काॅलम कई जगह खाली मिला है।
इंडियन एक्सप्रेस की पड़ताल में कई लोगों के नाम और नंबर तो सही मिले लेकिन उनकी कोविड जांच हुई ही नहीं, इसके बावजूद उनकी जांच दिखायी गयी है। अखबार के मुताबिक ऐसे ही एक व्यक्ति सुरेश पासवान ने बताया कि पिछले माह स्वास्थ्य विभाग की टीम हमारे इलाके में कोई सर्वे करने आयी थी। उन्होंने हमारा नाम और नंबर लेकर बताया था कि हमारी कोविड जांच होगी लेकिर उसके बाद कुछ हुआ नहीं और सकरारी आकंड़े में उनकी जांच दिखा दी गयी। कुछ मामलों में एक ही आदमी का फोन नंबर कई लोगों के नाम के आगे दर्ज कर दिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में शेखपुरा, जमुई और पटना जिले के आंकड़े की पड़ताल की गयी है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में कोरोना की जांच में इससे कहीं बड़े पैमाने पर धांधली की गयी है। इस बीच, बिहार सरकार ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है।

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