नीतू ने अपने गायन से भोजपुरी शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर को किया जीवंत

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 17 दिसंबर: शेख़्सपीयर के रूप में प्रसिद्ध भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसम्बर 1887 को बिहार के सारन जिले के कुतुबपुर (दियारा) गाँव में एक नाई परिवार में हुआ था।

भिखारी ठाकुर के जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां सांस्कृति संस्था नवगीतिका लोक रसधार के तत्वावधान में एक परिचर्चा और गीत प्रस्तुति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर नीतू कुमारी नवगीत ने भिखारी ठाकुर रचित कई गीतों को अपनी आवाज़ में प्रस्तुत किया।

नीतू कुमारी ने बिहार लोक संवाद डाॅट नेट के मुख्य संपादक सैयद जावेद हसन से बातचीत करते हुए कहा कि उनका प्रयास भिखारी ठाकुर की रचनाओं को नई नस्ल से परिचित कराना है।

वहीं, दूरदर्शन के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी एसपी सिंह, साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी और प्रख्यात उर्दू शायद क़ासिम खुर्शीद समेत अन्य वक्ताओं ने भिखारी ठाकुर की समृद्ध साहित्यिक परंपरा को संरक्षित करने पर ज़ोर दिया और उनकी याद में सरकार से एक रंगशाला के निर्माण की मांग की।

भिखारी ठाकुर के पिताका नाम दल सिंगार ठाकुर और मां का नाम शिवकली देवी था।

भिाखारी ठाकुर रोज़ी-रोटी के लिये गाँव छोड़कर खड़गपुर चले गये। वहाँ उन्होने काफी पैसा कमाया लेकिन वे अपने काम से संतुष्ट नहीं थे। रामलीला में उनका मन बस गया था। इसके बाद वे जगन्नाथ पुरी चले गये।

अपने गाँव आकर उन्होने एक नृत्य मण्डली बनायी और रामलीला खेलने लगे। इसके साथ ही वे गाना गाते और सामाजिक कार्यों से भी जुड़े। वो कवि, नाटककार, अभिनेता और निर्देशक भी थी। उनके नाटक, गीत और पुस्तकंे काफी प्रसिद्ध हैं। उनकी पुस्तकों की भाषा बहुत सरल थी जिसके प्रति लोग काफी आकृष्ट हुए।

उनकी रचनाओं में बिदेसिया, भाई-बिरोध, बेटी-बियोग या बेटि-बेचवा, कलयुग प्रेम, गबर घिचोर शामिल हैं।

भिखारी ठाकुर का 10 जुलाई, 1971 को चैरासी वर्ष की आयु में निधन हो गया।

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