छ्पी-अनछपी: गाली पर मोदी की राजनीति- कल बिहार बन्द, उत्तर भारत मे बारिश का कहर
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। गाली दिए जाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक रुख अपनाया है और भारतीय जनता पार्टी ने कल बिहार बन्द का ऐलान किया है। उत्तर भारत में बारिश से परेशानियां जारी हैं। बिहार में सात और जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है। उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत की अर्जी 5 साल बिना ट्रायल जेल में रहने के बावजूद खारिज कर दी गई है।
और, जनिएगा कि सड़क दुर्घटना होने पर इलाज के लिए डेढ़ लाख तक की कैशलेस सुविधा मिलेगी।
पहली ख़बर
भास्कर के अनुसार बिहार में वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मां को गाली देने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और राजद पर पलटवार किया है। उन्होंने मंगलवार को बिहार की महिलाओं के लिए एक नए सहकारी संगठन की वर्चुअल शुरुआत करते हुए कहा कि उनकी दिवंगत मां को गाली दी गई। इससे उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। मैं व्यक्तिगत रूप से राजद और कांग्रेस को माफ कर सकता हूं लेकिन देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी। मोदी ने बिहार की राजनीति को भावनात्मक मोड़ दिया। उन्होंने इसे व्यक्तिगत अपमान ना मानकर भारतीय संस्कृति, धार्मिक आस्था और मातृत्व की मर्यादा से जोड़ दिया। मोदी ने कहा, “इस संस्कारवान बिहार में कुछ दिन पहले जो हुआ उसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। बिहार में राजद व कांग्रेस के मंच से मेरी मां को गालियां दी गईं। मेरी मां का राजनीति से कोई संबंध नहीं था फिर उन्हें गाली क्यों दी गई?”
कल एनडीए का बिहार बंद
प्रभात खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को अपशब्द कहने के प्रतिकार में एनडीए के घटक दलों के महिला मोर्चे की ओर से 4 सितंबर को बिहार बंद करने की घोषणा की गई है। सुबह 7:00 से दोपहर 12:00 तक आवश्यक सेवाओं और रेल को छोड़कर एनडीए की महिला मोर्चा की कार्यकर्ता बिहार बंद कराएंगी। भाजपा के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को उसकी जानकारी एनडीए में शामिल दलों के प्रदेश अध्यक्षों व महिला मोर्चा की पदाधिकारियों ने दी।
उत्तर भारत में बाढ़ का कहर
हिन्दुस्तान की खबर है कि भारी बारिश और भूस्खलन के कहर से उत्तर भारत कराह उठा है। मंगलवार को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल , उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। भारतीय मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक उत्तर-पश्चिम भारत, खासकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। हिमाचल प्रदेश में ट्रेन सेवा स्थगित होने के साथ ही छह राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 1,311 सड़कें बंद कर दी गईं हैं।
सात और जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा
प्रभात खबर के अनुसार बिहार सरकार ने राज्य में 7 नए मेडिकल कॉलेज अस्पताल खोलने की स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में 7 नए मेडिकल कॉलेज खोलने के साथ कुल 48 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। राज्य में जिन नए सात सरकारी मेडिकल कॉलेज को स्वीकृति दी गई है वह किशनगंज, कटिहार, रोहतास, शिवहर, लखीसराय, अरवल और शेखपुरा जिले में खुलेंगे। इन जिलों में मेडिकल कॉलेज अस्पताल नहीं थे। अब राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की संख्या बढ़कर 34 हो जाएगी।
उमर खालिद और शरजील इमाम को जमानत नहीं मिली
बीबीसी के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर ख़ालिद, शरजील इमाम और आठ अन्य अभियुक्तों की ज़मानत याचिकाएँ ख़ारिज कर दी हैं. ये याचिकाएँ 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी थीं। आरोप है कि दिल्ली दंगे किसी ‘बड़ी साज़िश’ का हिस्सा थे।।जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने नौ अभियुक्तों की ज़मानत याचिकाएँ ख़ारिज की हैं. आदेश की लिखित प्रति अभी जारी नहीं हुई है। जिनकी ज़मानत याचिका खारिज हुई है, वे हैं: शरजील इमाम, उमर ख़ालिद, गुलफ़िशाँ फ़ातिमा, अतहर ख़ान, अब्दुल ख़ालिद सैफ़ी, मोहम्मद सलीम ख़ान, शिफ़ा-उर-रहमान, मीरान हैदर और शादाब अहमद। दिल्ली हाई कोर्ट की एक और बेंच ने मंगलवार को इस मामले में तसलीम अहमद की ज़मानत याचिका भी ख़ारिज कर दी। सभी अभियुक्तों पर ग़ैर क़ानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत आतंकवाद के आरोप हैं। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि इन लोगों ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध के दौरान फ़रवरी 2020 में दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों की साज़िश रची थी। अभियुक्तों की ओर से दलील दी गई थी कि उन्हें बिना मुक़दमे के पाँच साल से जेल में रखा गया है और अब तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। उनका कहना था कि मुक़दमे में अभी और वक़्त लगेगा, इसलिए उन्हें ज़मानत दी जाए।
दफ्तरी ग्रुप की 100 एकड़ से अधिक बेनामी संपत्ति उजागर
किशनगंज से जागरण की खबर है कि प्रतिष्ठित व्यापारिक समूह दफ्तरी ग्रुप पर आयकर विभाग की छापेमारी मंगलवार को लगातार पांचवें दिन भी जारी रही। जांच में 100 करोड़ रुपए से अधिक की बेनामी संपत्ति का पता चला है। शुक्रवार सुबह से शुरू हुई इस कार्रवाई में आयकर विभाग की लगभग 100 सदस्यों वाली टीम शामिल रही। इस दौरान 50 से अधिक वाहनों का काफिला एक साथ निकाला और शहर के विभिन्न ठिकानों के अलावा कटिहार, कोलकाता, राजस्थान और गुजरात में भी ग्रुप से जुड़े स्थानों पर छापेमारी की गई। इस बीच सोमवार की रात दफ्तरी ग्रुप के निदेशक राजकरण दफ्तरी की तबीयत बिगड़ गई। छाती में दर्द की शिकायत पर उन्हें पहले स्थानीय निजी अस्पताल लिया है गया। वहां से हालत गंभीर होने पर उन्हें सिलीगुड़ी और बाद में कोलकाता रेफर किया गया।
सड़क दुर्घटना पर डेढ़ लाख तक कैशलेस इलाज
हिन्दुस्तान के अनुसार सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति का तुरंत इलाज शुरू हो। अस्पताल में पहुंचने मात्र से इलाज में देरी ना हो, इसके लिए डेढ़ लाख की राशि दी जाएगी। कैशलेस ट्रीटमेंट ऑफ रोड एक्सीडेंट विक्टिम्स योजना 2025 के तहत यह शुरू किया गया है। इस योजना से राज्य भर के तमाम सरकारी और निजी हॉस्पिटल को जोड़ा गया है। इससे सड़क दुर्घटना में घायल होने के गोल्डेन ऑवर के तहत इलाज में देरी नहीं होगी। इस राशि की सुविधा घायल व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर दी जाएगी। यह डेढ़ लाख की राशि जेनरल इंश्योरेंस कंपनियां और केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। इसके लिए परिवहन विभाग ने टीएमएस यानी ट्रांस्जेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम बनाया है। इस सिस्टम से सभी हॉस्पिटल को जोड़ा जा रहा है। जैसे ही किसी हॉस्पिटल में सड़क दुर्घटना से कोई व्यक्ति घायल होगा, इसकी जानकारी हॉस्पिटल द्वारा इस सिस्टम में डाला जाएगा। वहीं संबंधित थाना द्वारा सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की जानकारी ऑनलाइन परिवहन विभाग को भेजा जाएगा। सड़क दुर्घटना के गोल्डेन ऑवर में इलाज नहीं होने पर कई बार मृत्यु हो जाती है। बिहार की बात करें तो सड़क दुर्घटना में ऐसे 20 फीसदी लोगों की मृत्यु हो जाती है, जिसका गोल्डेन ऑवर में इलाज नहीं हो पाया।
कुछ और सुर्खियां:
- बिहार में माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा ‘एसटीईटी’ 4 अक्टूबर से होगी
- पटना जिले के पुनपुन अंचल के डुमरी गांव में 101 एकड़ भूमि का अधिकरण कर स्टेडियम बनाया जाएगा, 575 करोड़ रुपए मंजूर
- तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अपनी बेटी के. कविता को अपनी पार्टी बीआरएस से सस्पेंड किया
- केंद्र सरकार का फैसला- 31 दिसंबर 2024 तक आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई समुदाय के लोग बिना दस्तावेज भारत में रह सकेंगे
अनछपी: मां-बहन की गाली देना और दूसरे अपशब्द कहना हमारे समाज की एक गंभीर कुरीति है लेकिन इस मुद्दे को राजनीतिक तौर पर भुनाने की कोशिश करना उससे भी बड़ी कुरीति है। राहुल गांधी की वोटर चोरी यात्रा के दौरान एक कथित कार्यकर्ता ने मोदी के नाम पर गाली दी तो भारतीय जनता पार्टी ने इसे एक सामाजिक कुरीति न मानकर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की भरपूर कोशिश शुरू कर दी। उसके कई दिनों बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जो बयान दिए हैं उन्हें राजनीतिक बयान ही माना जा रहा है। बिल्कुल संक्षेप में कहा जाए तो भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी का संदेश यह है कि चूंकि उन्हें गाली दी गई है इसलिए इसका बदला कांग्रेस और राजद से राजनीतिक तौर पर लिया जाए। आमतौर पर मांग यह की जाती है कि जिस व्यक्ति ने ऐसी हरकत की है उस पर कानूनी कार्रवाई की जाए लेकिन यहां एक तरह की इमोशनल ब्लैकमेलिंग शुरू हो गई है और लोगों को राजद और कांग्रेस के खिलाफ करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। जब भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी ने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की तो उनसे भी सवाल पूछे गए। किसी महिला के लिए, जो एक मां भी है, जर्सी गाय जैसे शब्द का प्रयोग करना या बार बाला कहकर उसे अपमानित करने की कोशिश करना, यह किस भारतीय संस्कार और संस्कृति का परिचायक है? प्रधानमंत्री मोदी से यह सवाल भी किया जा रहा है कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो बिलकीस बानो का मामला हुआ और बलात्कार्यों को जेल से रिहा करने का आदेश उनकी पार्टी की सरकार ने ही दिया। लोग पूछ रहे हैं कि उस समय उन्हें महिलाओं का सम्मान और भारतीय संस्कृति की याद क्यों नहीं आई? ऐसे और कई मौके हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाली या महिलाओं के अपमान पर अपनी बात कह सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मोदी को गाली देने वाले अभियुक्त की गिरफ्तारी हो चुकी है और कानूनी कार्रवाई की जा रही है लेकिन इस तरह इस मसले को एक सामाजिक समस्या ना समझ कर राजनीतिक हथियार बनाना किसी मां का सम्मान नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी से शायद यह उम्मीद की जा सकती थी कि वह भारतीय समाज में गाली देने की कुरीति को खत्म करने के बारे में अपने विचार रखें लेकिन ऐसा ना हुआ और अतीत की तरह ही उन्होंने एक सामाजिक मसले को व्यक्तिगत मुद्दा बनाकर इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की। यह देखना दिलचस्प होगा कि इससे बिहार के वोटर किस हद तक प्रभावित होते हैं और किस हद तक वह यह समझते हैं कि यह दरअसल एक राजनीतिक लाभ के लिए भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
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