छपी-अनछपी: पीके बोले- मंत्री ने ली 200 करोड़ की बेनामी संपत्ति, ग़ज़ा में जंग रुकवाने के खिलाफ अमेरिका का वीटो
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने जदयू कोटे के बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी पर 200 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति लेने का आरोप लगाया है। ग़ज़ा में जंग रुकवाने के प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वीटो लगा दिया है। पटना हाई कोर्ट ने कहा है की परीक्षा में शामिल होने के लिए 75% उपस्थिति जरूरी है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत एक करोड़ आवेदिकाओं की जगह फिलहाल 50 लाख को ही मिलेगी ₹10000 की मदद।
और, जानिएगा कि कैसे नालंदा के एक साइबर ठग ने चेहरा बदलकर 6800 फ़ोन सिम खरीद लिए।
पहली ख़बर
जागरण के अनुसार जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को एनडीए के पांच बड़े नेताओं को भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का मास्टर बताया। उनमें से चार पर वह पहले भी आरोप लगा चुके हैं लेकिन इस बार उनके अतिरिक्त जदयू कोटा के मंत्री अशोक चौधरी पर लगे आरोप अधिक संगीन रहे। पीके ने उन्हें भ्रष्टतम मंत्री बताया और आरोप लगाया कि पिछले दो वर्षों में 200 करोड़ रुपए से अधिक की अचल संपत्ति अर्जित की है। बेटी की सगाई के बाद से मानव वैभव विकास न्यास के माध्यम से भूखंड खरीदे गए। न्यास पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लेकिन इस खरीदारी के बारे में उसकी ट्रेजरर अनीता कुणाल, सदस्य जियालाल आर्य को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि किशोर कुणाल द्वारा स्थापित किया ट्रस्ट कुछ अस्पतालों और मंदिरों का प्रबंधन करता है। कुणाल के पुत्र शायन से अशोक की पुत्री शांभवी का विवाह हुआ है। शांभवी समस्तीपुर से लोजपा सांसद हैं। सबूतों के साथ चुनौती देते हुए पीके ने कहा कि अगर इसके बाद भी आरोपित नेता फड़फड़ाए तो उनके दूसरे कारनामों के दस्तावेज भी बोरों में भरकर रखे हुए हैं। बिहार में आज जितना भ्रष्टाचार है उतना किसी ने कभी देखा सुना नहीं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 2021 में अपने का योगेंद्र दत्त के नाम पर विक्रम में 23 कट्ठा बेनामी भूखंड खरीद कर दो वर्ष पहले अशोक चौधरी ने शांभवी के नाम 34 लाख रुपए में करवाया। दत्त को 10 लाख रुपए दिए गए। आयकर विभाग में नोटिस भेजा तो 25 लाख रुपए फिर ट्रांसफर किए गए। इसके अलावा 38 करोड़ रुपए के पांच भूखंड खरीदे गए। चेक से भुगतान हुआ। सभी भूखंडों का मालिकाना हक अशोक और मानव वैभव विकास ट्रस्ट से जुड़े लोगों के पास है।
ग़ज़ा में जंग रुकवाने के खिलाफ अमेरिका का वीटो
हिन्दुस्तान के अनुसार अमेरिका ने गुरुवार को ग़ज़ा में तत्काल युद्धविराम और बंधकों की रिहाई का लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किए प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया। अल्जीरिया और परिषद के 14 निर्वाचित सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से ये प्रस्ताव पेश किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया कि ग़ज़ा में मानवीय स्थिति विनाशकारी है। इन सदस्यों ने 21 लाख फलस्तीनियों को मानवीय सहायता पहुंचाने पर लगे प्रतिबंध हटाने का भी आह्वान किया। अमेरिका ने प्रस्ताव पर वीटो लगाते हुए कहा कि यह प्रयास हमास की निंदा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। प्रस्ताव पर मतदान से पहले अमेरिका की एक वरिष्ठ नीति सलाहकार मॉर्गन ऑर्टागस ने कहा कि यह हमास की निंदा करने या इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता देने में विफल रहा है। ये प्रस्ताव ऐसे समय लाया गया, जब इसराइली सेना ग़ज़ा सिटी में कहर बरपा रही है। जमीनी सेना कार्रवाई कर रही है। इसराइली टैंक हवाई हमले हमासे से जुड़ी ऊंची इमारतों को तबाह करने में लगे हैं। सेना इस क्षेत्र में और इसके आसपास के इलाकों में मानवीय सहायता आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा चुकी है। यहां करीब दस लाख शरणार्थियों ने शरण ले रखी थी। साढ़े तीन लाख लोग पलायन कर चुके हैं।
परीक्षा में शामिल होने के लिए 75% उपस्थिति जरूरी
प्रभात खबर के अनुसार पटना हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला देते हुए कहा कि 75% से कम उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती। बेगूसराय के राष्ट्रकवि रामधारी सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज के बीटेक कंप्यूटर साइंस सत्र 2021-25 के छात्र शुभम कुमार और दरभंगा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के बीटेक सिविल इंजीनियरिंग सत्र 2022-2026 के छात्र शशिकेश कुमार की ओर से दायर याचिका पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीबी बजन्थरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। कोर्ट ने छात्रों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट को बताया गया कि छात्रों की उपस्थिति 75% से कम होने के कारण उन्हें परीक्षा फॉर्म भरने से रोक दिया गया था।
50 लाख महिलाओं को ही मिलेगी ₹10000 की मदद
हिन्दुस्तान के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 22 सितंबर को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत चयनित 50 लाख महिलाओं के बैंक खाते में दस-दस हजार रुपये हस्तांतरित करेंगे। योजना के अंतर्गत पहली किस्त के रूप में कुल 5000 करोड़ की राशि जारी की जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने शुक्रवार को बताया कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत जीविका से जुड़ी कुल एक करोड़ 11 लाख महिलाओं के आवेदन अबतक प्राप्त किये गये हैं। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों के एक करोड़ छह लाख तथा शहर के पांच लाख महिलाओं के आवेदन हैं। आवेदन प्राप्त करने की प्रक्रिया अभी जारी है। 22 सितंबर को मुख्यमंत्री पहली किस्त जारी करेंगे। इसके बाद अलग-अलग तिथियों को अन्य महिलाओं के खाते में राशि भेजी जाएगी। यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी।
मणिपुर में असम राइफल्स के दो जवानों की हत्या
जागरण के अनुसार मणिपुर के विष्णुपुर जिले में शुक्रवार शाम हथियारबंद उग्रवादियों के समूह ने अर्द्धसैनिक बल के काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया। इसमें असम राइफल्स के दो जवानों की जान चली गई और पांच अन्य घायल हो गए। फिलहाल किसी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। मणिपुर में अभी राष्ट्रपति शासन है। सेना ने एक बयान में बताया कि यह घटना शाम करीब 5:50 बजे हुई जब असम राइफल्स के जवान एक गाड़ी में राजधानी इंफाल से विष्णुपुर जिले की ओर जा रहे थे।
साइबर ठग ने चेहरा बदलकर 6800 फ़ोन सिम खरीदे
हिन्दुस्तान की खास खबर में बताया गया है कि नालंदा के एक साइबर ठग ने अपने चेहरा को 68 सौ बार बदला। कभी बाल बड़े तो कभी छोटे किए। कहीं बनियान पहनकर तस्वीर खिंचवाई तो कभी शर्ट वाली फोटो लगाई। यहां तक कि घूंघट में बिंदी लगी फोटो पर भी सिम कार्ड लिया। इन्हीं का इस्तेमाल साइबर ठगी में किया। दूरसंचार विभाग के स्त्रा (एसटीआर) टूल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने ऐसे कई मामलों को पकड़ा है। अगस्त में दूर संचार विभाग के स्त्रा टूल (एसटीआरए) के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने ऐसे दर्जनों जालसाजों को पकड़ा है, जिन्होंने चेहरा, नाम और लिंग बदल कर सिम खरीदा और साइबर ठगी की। ऐसे एक दो नहीं बल्कि सौ से ज्यादा साइबर ठग पकड़े जा चुके हैं। ऐसे सिम कार्ड को ब्लॉक किया गया है। दूर संचार विभाग की मानें तो देशभर में बिहार में यह पहला मामला पकड़ में आया है जिसमें नालंदा के एक व्यक्ति ने 68 सौ बार केवल चेहरा बदल कर सिम कार्ड लिया। इसने ना नाम बदला और ना ही लिंग। बस चेहरा बदलकर राज्य के अलग-अलग हिस्सों से सिम की खरीद की। इसे देश का सबसे संगीन केस करार दिया है।
कुछ और सुर्खियां:
- बिहार के सभी पारंपरिक विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को सितंबर के वेतन व पेंशन के लिए 325.42 करोड़ रुपए जारी
- दरभंगा में नवरात्र पर दीप बनाने के लिए मिट्टी लाने गयी तीन किशोरियों की डूबने से मौत
- एशिया कप हॉकी के विजेता भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों को मिले 10-10 लाख रुपये
- पटना जिले के मोकामा रेल थाना क्षेत्र मैं ट्रेन से कट कर एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत
- या अली जैसे गानों से मशहूर हुए असम के सिंगर जुबिन गर्ग की सिंगापुर में स्कूबा डाइविंग दौरान मौत
- पटना शहर में हेलमेट नहीं पहनने पर 8 महीने में कटा 46.50 करोड़ का चालान
अनछपी: इस छोटी सी खबर पर बहुत कम लोगों का ध्यान जाएगा लेकिन इस खबर से यह सवाल पैदा होता है कि आखिर क्यों भारत जैसे विकसित और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शीर्ष देशों में शामिल देश की एक सड़क का निर्माण ओमान की कंपनी कराएगी? खबर है कि बिहार में दरभंगा के बाद दूसरा एक्सेस कंट्रोल्ड नेशनल हाइवे बनने जा रहा है। यह पटना से शुरू होगा और भोजपुर होते हुए सासाराम तक जाएगा। सड़क की लंबाई 120 किलोमीटर है। यह फोरलेन सड़क होगी। इसको ओमान की गल्फर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाएगी। यह बताया जा रहा है कि अभी सासाराम से पटना के बीच सफर स्टेट हाईवे-2 और स्टेट हाईवे-81 से पूरा होता है लेकिन इस फोरलेन एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे का काम पूरा होने के बाद इन दोनों शहरों के बीच की 120 किलोमीटर की दूरी महज दो घंटे में पूरी होगी। बिहार में वैसे भी सड़कों का निर्माण इतने अलग-अलग तरीके से हो रहा है कि सबका ध्यान रखना मुश्किल है और कहां क्या अनियमितता भारती जा रही है इसे बताने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। वैसे तो नेशनल हाईवे बनाने का काम नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) करती है और उसमें भी अनियमिता और भ्रष्टाचार का आरोप लगता है लेकिन फिर भी सड़क बनाने का काम बिहार या देश के ही ठेकेदार से लिया जाता रहा है। अब अगर ओमान की कंपनी को भारत में सड़क बनाने का ठेका मिल रहा है तो सरकार को इसकी पूरी प्रक्रिया बतानी चाहिए और लोगों को यह समझाना चाहिए कि आखिर बिहार और देश के ठेकेदारों को यह काम क्यों नहीं मिला। यह जानना जरूरी है कि आखिर टेंडर देने की प्रक्रिया कैसे अपनाई गई और किस तरह देश में नमी कॉन्ट्रैक्टर के रहते हुए बाहर की कंपनी को यह काम दिया गया। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो लोगों के मन में किसी विदेशी कंपनी को ऐसा काम देने पर सवाल बना रहेगा।
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