छ्पी-अनछपी: राष्ट्रगान के दौरान नीतीश की ‘हरकत’ पर हंगामा, जज के घर से नकदी मिली या अफवाह?

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राष्ट्रगान के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अजीबोगरीब हरकत को राष्ट्रगान का अपमान बताते हुए विपक्ष ने शुक्रवार को भारी हंगामा किया। दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबर है लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि यह अफवाह है। बिहार के 10 लाख मनरेगा मजदूरों को तीन महीने से मजदूरी नहीं मिली है। हमास के समर्थन के मुद्दे पर भारतीय छात्र को अमेरिका से निकालने के सरकार के फैसले पर कोर्ट ने रोक लगाई।
और, जानिएगा कि टेक महिंद्रा के कंट्री हेड कतर में 80 दिनों से कैद में चल रहे हैं।
हिन्दुस्तान के अनुसार शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने जमकर हंगामा किया। राष्ट्रगान के अपमान का आरोप लगाकार उन्होंने सदन के अंदर और बाहर जमकर हंगामा किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्षी दलों से इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर तीखे हमले किये और बेल में आकर प्रदर्शन किया। हाल यह हो गया कि सदन का संचालन तक मुश्किल हो गया। दिनभर में विधानसभा सिर्फ 23 मिनट तो विधानपरिषद की बैठक केवल 14 मिनट चली। सुबह विधानसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राष्ट्रगान के अपमान का मुद्दा उठाया और मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग की। इस समय सदन के अंदर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे। हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव द्वारा प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की गयी। इसके बाद विपक्षी विधायक बेल में आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कई विधायकों के हाथों में पोस्टर भी थे, जिन्हें सुरक्षाकर्मियों ने छीन लिया। जागरण के अनुसार तेजस्वी यादव ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घेरा और कहा कि नीतीश कुमार उनके लाडले हैं परंतु राष्ट्रगान के अपमान पर वह चुप हैं। उन्होंने भाजपा को नौटंकी पार्टी बताया और कहा कि दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं पर घटना पर कुछ नहीं बोल कहां गया उनका राष्ट्रवाद। राष्ट्रगान के अपमान पर 3 वर्ष की सजा का प्रावधान है। इन पर मुकदमा होना चाहिए और नीतीश कुमार को 140 करोड़ जनता से माफी मांगनी चाहिए।
जज के घर नक़दी मिली या अफवाह?
भास्कर के अनुसार दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले पर होली की रात 14 मार्च को लगी आग के दौरान भारी कैश मिलने के दावे से पूरा देश सत्र है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि लुटियंस जोन स्थित बंगले में जब आग लगी उस वक़्त जस्टिस वर्मा वहां नहीं थे। आग बुझाने के दौरान कैश मिलने की बात बताई जा रही है। इस बीच 20 मार्च को इस मामले की जानकारी पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की बैठक बुलाकर चर्चा की। इसी दौरान जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट करने का प्रस्ताव आया। इसके अगले दिन इस मामले का पता चला और अटकलें शुरू हो गईं। न्यायिक जगत में तबादले पर सवाल उठा, कहा गया जज का इस्तीफा होना चाहिए। इस बीच शुक्रवार देर शाम सुप्रीम कोर्ट ने बयान जारी किया कि जस्टिस वर्मा के बंगले की घटना के संबंध में अफवाहें फैलाई जा रही हैं। दिल्ली फायर सर्विस के प्रमुख अटल गर्ग ने भी कहा कि आग बुझाने के दौरान कोई नकदी नहीं मिली। जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट के तबादले की खबर पाकर वहां की हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। संगठन ने एक बयान जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा को भ्रष्टाचार में शामिल होने के आधार पर इलाहाबाद स्थानांतरित किया है। यह सजा है या इनाम? क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़ेदान है?
10 लाख मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बकाया
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार के मनरेगा श्रमिकों को पिछले तीन महीने से मजदूरी का भुगतान रुका हुआ है। श्रमिक काम तो कर रहे हैं, पर उन्हें मेहनताना नहीं मिल रहा है। राशि के आभाव में 27 दिसंबर, 2024 के बाद से ही भुगतान बंद है। इस तरह देखें तो तीन महीने से श्रमिकों को मजदूरी का इतंजार है। मिली जानकारी के अनुसार, मजदूरी का भुगतान बंद रहने से 10 लाख से अधिक मनरेगा मजदूर प्रभावित हुए हैं।
भारतीय छात्र को निकालने पर अमेरिकी कोर्ट की रोक
भास्कर के अनुसार अमेरिका की एक संघीय अदालत में भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी को निर्वासित करने के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी है। सूरी पर इसराइल का विरोध और हमास का सक्रिय रूप से प्रचार करने का आरोप लगा है। वर्जीनिया के अलेक्जेंड्रिया में जिला जज पैट्रिशिया टोलीवर जाइल्स ने गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि सूरी को तब तक अमेरिका से नहीं निकल जाए जब तक कि अदालत इसके विपरीत आदेश जारी न कर दे। सूरी के वकील ने तत्काल रिहाई की मांग करते हुए 18 मार्च को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कॉर्पस) दायर की थी।
वक़्फ़ बिल के खिलाफ पटना में 26 को धरना
हिन्दुस्तान के अनुसार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और बिहार के प्रमुख मिली तंजीम ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के खिलाफ 26 मार्च को सुबह 10 बजे से गर्दनीबाग में विरोध-प्रदर्शन करने की घोषणा की। शुक्रवार को जारी बयान में सभी विपक्षी दलों व निर्दलीय नेताओं को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। विरोध-प्रदर्शन में इमारत-ए-शरिया बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (अलिफ और मीम), जमात-ए-इस्लामी हिंद, ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस, जमीयत अहले हदीस, इदारा-ए-शरिया, ऑल इंडिया मिली काउंसिल, मजलिस-ए-उलेमा खुतबा इमामिया अहले तशा, खानकाह मुजीबिया, खानकाह रहमानी और अन्य प्रतिष्ठित संगठन शामिल हैं।
कतर में टेक महिंद्रा के कंट्री हेड गिरफ्तार
भास्कर के अनुसार पिछले 80 दिन से एक भारतीय कतर सरकार की कैद में है। टेक महिंद्रा कंपनी के कतर में कंट्री हेड अमित गुप्ता (45) से ना पत्नी बच्चों को मिलने दिया जा रहा है ना आरोपी की स्पष्ट जानकारी दी जा रही है। परिवार में 18 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय, भारतीय विदेश मंत्रालय और लोकसभा अध्यक्ष तक गुहार लगाई है। अमित के पिता जगदीश प्रसाद गुप्ता ओएनजीसी के चीफ इंजीनियर रहे हैं। अमित 2013 से कतर की राजधानी दोहा में रह रहे हैं। उन्हें 1 जनवरी 2025 की शाम में गिरफ्तार किया गया। कतर सरकार प्रशासन ने अमित गुप्ता पर लगे आरोपों के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। हालांकि टेक महिंद्रा कंपनी की ओर से किसी टेंडर प्रक्रिया में वित्तीय लेनदेन से जुड़ा मामला होने की जानकारी मिली है।
कुछ और सुर्खियां:
* केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की सफाई- बेगूसराय में ही रहेगा भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान का केंद्र
* आईपीएल के 18वें सीजन की आज से होगी शुरुआत
* कर्नाटक विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के 18 विधायक 6 महीने के लिए सस्पेंड
* पंजाब के बठिंडा की एक यूनिवर्सिटी में बिहारी छात्रों के साथ मारपीट
अनछपी: दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज के घर पर कथित तौर पर मिली नकदी के बारे में जो अलग-अलग तरह की खबरें आ रही हैं उससे कई लोगों को यह डर है कि इस पूरे मामले की लीपापोती ना कर दी जाए। पहले तो इस मामले की जानकारी ही देर से सामने आई और जब जज का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया या कहिए कि उनके मूल कोर्ट में उन्हें वापस कर दिया गया तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने भी इसका यह कहते हुए विरोध किया कि वह कूड़ेदान नहीं है। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि आग बुझाने के लिए गई दमकल की टीम को लगभग 15 करोड़ रुपए मिले हैं लेकिन इसकी कहीं से कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। इस खबर या अफवाह के फैलने के साथ ही आम लोगों की प्रतिक्रिया यही थी कि अदालत में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है और इस पर काबू पाने का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। इस मामले की राज्यसभा में भी चर्चा हुई। वैसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो बयान जारी किया गया उससे तो यही लगता है कि पैसे मिलने का जो आरोप लगा है, वह सही नहीं है लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि उनका रातों-रात तबादला क्यों किया गया? यह भी कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इस मामले की जांच कर रहे हैं लेकिन इसके बारे में जानकारी बहुत ही छन छन कर आ रही है। क्या यह बेहतर नहीं होता कि सुप्रीम कोर्ट और सरकार मिलकर इसकी स्वतंत्र जांच कराएं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए? हमारे समाज में आमतौर पर यह माना जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच विपक्षी नेताओं की होती है और जजों के बारे में तो कोई सवाल ही नहीं कर सकता। भले ही लोग सबूत ना दे सकें लेकिन यह लगभग सब लोग मानते हैं कि अदालतों में भ्रष्टाचार है और वहां पेशकार से लेकर ऊपर के लोग तक घूस खाते हैं। ऐसे में अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती तो लोग यह मानने को मजबूर होंगे कि अदालतों में घूसखोरी है और जो व्यवस्था है उसमें इसकी लीपापोती की जाती है।

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