छ्पी-अनछपी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- भगवान को राजनीति से दूर रखें, बिहार में बाढ़ का कहर जारी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि भगवान को राजनीति से दूर रखें। कोसी और गंडक बराज से पानी का डिस्चार्ज तो कम हुआ है लेकिन बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। हिज्बुल्लाह ने कहा है कि वह इसराइल पर जमीनी हमले के लिए तैयार है। भारत ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 50, 100 और 150 रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।

भास्कर के अनुसार आंध्र प्रदेश के तिरुपति लड्डू विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने वहां के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को जमकर फटकार लगाई है। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने पूछा कि यह दिखाने के लिए क्या सबूत है कि लड्डू बनाने में चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किया गया था। कोर्ट ने कहा, ‘अगर आप खुद जांच के आदेश दे ही चुके थे तो जांच पूरी होने से पहले ही मीडिया में जाकर सार्वजनिक बयान देने की क्या जरूरत थी? कम से कम भगवान को तो राजनीति से दूर रखना चाहिए।” नायडू ने हाल ही में दावा किया था कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार में तिरुपति के लड्डू में चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किया गया था। कोर्ट ने यह भी पूछा कि जिन लड्डुओं की वजह से जांच के आदेश दिए गए क्या उन्हें टेस्ट करने के लिए भेजा गया था? क्या यह बेहतर नहीं होता कि उन लड्डुओं की जांच के बाद मीडिया में कोई बयान दिया जाता। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जो साबित करते हों कि लड्डुओं में चर्बी वाले घी का इस्तेमाल हुआ था।

बाढ़ का कहर जारी

जागरण के अनुसार बिहार में सोमवार को भी बाढ़ का कहर जारी रहा। राज्य के 16 जिलों की करीब 9.90 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। चार नई जगह बांध और एक जगह सुरक्षा बांध टूट गए। अधिकतर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। पटना में गांधी घाट और हाथीदह में गंगा खतरे के निशान के ऊपर है। सोन स्थिर है तो पुनपुन का पानी बढ़ने लगा है। इस बीच बाढ़ से अलग-अलग जगहों पर 15 लोगों के डूब कर मरने की खबर है। हिन्दुस्तान के अनुसार कोसी और गंडक नदी में अप्रत्याशित जलस्राव से उत्तर व पूर्वी बिहार में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। सोमवार को सीतामढ़ी के बेलसंड में बागमती और पूर्वी चंपारण के सुगौली में सिकरहना नदी का तटबंध टूट गया। पिछले दो दिनों में आठ बांध ध्वस्त हो चुके हैं। 10 जिलों खगड़िया, समस्तीपुर, भागलपुर, कटिहार, किशनगंज, अररिया, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल और भोजपुर में तटबंधों पर भारी दबाव है।

इसराइल पर जमीनी हमले को तैयार हिज्बुल्लाह

इसराइली हमले में हसन नसरल्लाह के मारे जाने के बाद हिज्बुल्लाह के उप नेता नईम कासिम सोमवार को पहली बार सामने आए। उन्होंने इसराइल के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया और कहा कि हिज्बुल्लाह इसराइल पर ज़मीनी हमला करने के लिए तैयार है। यह जंग अभी लंबी चल सकती है। कासिम ने कहा कि है हिज़्बुल्लाह जल्द ही अपने नेता का चयन करेगा। उन्होंने लेबनान के लोगों से धैर्य बनाए रखने के लिए कहा। उन्होंने कहा, “इसराइल हमारी सैन्य क्षमताओं को प्रभावित करने में सक्षम नहीं है। हमारे पास उप कमांडर हैं और किसी भी शीर्ष नेता के मारे जाने या घायल होने की स्थिति में कमांडर की जगह ले सकते हैं।”

टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज़ 50, 100, 150 रन भारत के नाम

भारत में सोमवार को बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर टेस्ट में इतिहास रच दिया प्रोग्राम टीम ने न केवल सबसे तेज 50 रन (3 ओवर में) बनाए बल्कि इसके बाद 100 (10.01 ओवर), 150 (18.2 ओवर), 200 रन (24.2 ओवर) और 250 (30.01 ओवर) रनों का भी विश्व रिकॉर्ड बनाया। बारिश, कम रोशनी व खराब आउट फील्ड के चलते करीब ढाई दिन का खेल बर्बाद होने के बाद सोमवार को टीम इंडिया ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि दर्शकों को टेस्ट मैच में टी-20 का रोमांच देखने को मिल गया। दूसरे टेस्ट के चौथे दिन भारत ने पहले बांग्लादेश को 233 रन पर समेटा। फिर रिकॉर्ड 8.22 के औसत से टेस्ट इतिहास की सबसे विस्फोटक बल्लेबाजी करते हुए महज 34.4 ओवर में नौ विकेट पर 285 रन बनाकर पारी घोषित कर दी।

गाय को महाराष्ट्र में राजमाता कहा जाएगा

हिन्दुस्तान के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने वैदिक काल से देसी गायों के महत्व को देखते हुए सोमवार को उन्हें राज्यमाता-गोमाता घोषित किया। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब राज्य विधानसभा चुनाव जल्द ही होने की संभावना है। मुंबई में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि देसी गायों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

या-या नहीं, यस बोलें: सुप्रीम कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को जनहित याचिका दायर करने वाले वादी के लहजे पर कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि यह ‘या-या’ क्या है? यह कोई ‘कॉफी शॉप’नहीं है और उन्हें ऐसे शब्दों से ‘बहुत एलर्जी’ है। उन्होंने कहा कि या-या के बजाय यस कहें। यह घटनाक्रम शीर्ष अदालत में तब हुआ जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग किए जाने से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। मामला पूर्व मुख्य न्यायाधीश को एक जनहित याचिका में पक्षकार बनाए जाने और सेवा विवाद से संबंधित याचिका खारिज करने संबंधी है।

कुछ और सुर्खियां

  • रोहतास के चेनारी में खड़े ट्रक से भिड़ी बस, पिंडदान करने गया जा रहे राजस्थान के तीन लोगों की मौत
  • स्मार्ट प्रीपेड मीटर के खिलाफ राजद का धरना प्रदर्शन आज
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  • दो महीनों में शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट, सेंसेक्स 1272 अंक लुढ़का
  • मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के अवार्ड, 350 फिल्मों में कर चुके हैं काम
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अनछपी: सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण है कि भगवान को राजनीति से दूर रखें। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश के तिरुपति के तिरुमला मंदिर के लड्डुओं के बारे में चल रही सुनवाई के दौरान की गई है हालंकि यह देश की राजनीति पर पूरी तरह लागू होती है। हम अपनी आम बातचीत में भी यही बात कहते हैं कि धर्म या भगवान को राजनीति में नहीं लाना चाहिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि क्या भारत में पिछले कई सालों से जो सरकार चल रही है वह भगवान को राजनीति में लाकर नहीं बनी है? यहां यह पूछा जा सकता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट एक प्रदेश के मुख्यमंत्री से ऐसी बात कह सकती है तो देश के प्रधानमंत्री भी अगर ऐसा ही करें तो उनसे यह सवाल क्यों नहीं हो सकता? अगर राम मंदिर के मामले को देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी राजनीतिक सभाओं में भगवान को अवश्य लाते हैं। क्या यह सही नहीं कि भारतीय जनता पार्टी की पूरी राजनीति ही इस पर केंद्रित है? इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुलकर भगवान को राजनीति में लाते हैं। सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से क्या हमारे दक्षिणपंथी राजनेता कोई सबक लेंगे? कई बार ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणियां अपनी जगह पर तो सही हैं लेकिन यह एक तरह से उसकी बेबसी का भी इजहार है। चंद्रबाबू नायडू वैसे तो भारतीय जनता पार्टी की तरह की राजनीति नहीं करते लेकिन लड्डू के मामले में उनकी बयानबाजी भारतीय जनता पार्टी की राजनीति की हूबहू नकल नजर आती है। इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी यह सवाल किया जा सकता है कि जो पार्टी भगवान को राजनीति में लाती हैं वह उनके साथ कैसे मिलकर राज चलाते हैं? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि अगर कोई पार्टी भगवान को राजनीति में लाती है तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या कर सकता है? क्या सुप्रीम कोर्ट की ऐसी टिप्पणियों का कोई असर इन पार्टियों पर होता है? सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में विचार करना चाहिए कि उसकी टिप्पणियों का क्या मतलब है जब कोई सरकार इसका नोटिस ही नहीं लेती? इसके साथ ही आम आदमी के लिए भी यह बात सोचने की है कि हम ऐसी पार्टी का समर्थन क्यों करते हैं जो राजनीति में भगवान को लाती हैं?

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