छ्पी-अनछपी: जानीपुर में भाई-बहन को जिंदा जलाया, मालेगांव ब्लास्ट में बरी प्रज्ञा बोलीं- भगवा जीता
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। पटना के फुलवारी शरीफ प्रखंड के जानीपुर में सगे भाई-बहन को घर में जलाकर मार दिया गया। मालेगांव ब्लास्ट मामले में 17 साल बाद सभी आरोपित बरी हो गए और बरी होने वालों में साध्वी प्रज्ञा ने इसे भगवा की जीत बताया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ कारोबारी समझौता करने का ऐलान करते हुए भारत पर तंज़ कसा है।
और, जनिएगा कि पत्नी को पेंशन से महरूम करने के लिए कैसे बनवा लिया डेथ सर्टिफिकेट।
पहली ख़बर
हिन्दुस्तान के अनुसार फुलवारी शरीफ प्रखंड के जानीपुर के नगमा गांव में स्कूल से लौटे सगे मासूम भाई अंश कुमार (12) और बहन अंजली कुमारी (16) को घर में जिंदा जलाकर मार डाला गया। गुरुवार की दोपहर ढाई बजे पटना एम्स में सुरक्षा गार्ड का काम करने वाली बच्चों की मां शोभा देवी के घर पहुंचने पर इस लोमहर्षक घटना का पता चला। इसके बाद घर से लेकर गांव में कोहराम मच गया। चीख-पुकार सुनकर काफी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जमा हो गये। इस नृशंस हत्या के बाद लोगों ने जानीपुर-फुलवारी मार्ग को ढाई घंटे तक जाम और टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने आनन-फानन में जांच शुरू की। उग्र लोगों को किसी तरह शांत कराया गया। घटनास्थल पर एफएसएल की टीम को बुलाया गया है। वारदात के समय बच्चों की मां शोभा देवी और उनके पिता निर्वाचन आयोग के अस्थायी कर्मी ललन गुप्ता ड्यूटी पर थे। सिटी एसपी, पश्चिमी भानू प्रताप सिंह ने बताया कि प्रथमदृष्टया प्रतीत हो रहा है कि बच्चों को आग लगाकर मार डाला गया है। पुलिस सभी पहलुओं पर छानबीन कर रही है। नगमा गांव में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है।
मालेगांव ब्लास्ट में बरी होने वाली साध्वी ने कहा- भगवा की जीत
भास्कर के अनुसार 17 साल पुराने मालेगांव ब्लास्ट केस में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सातों आरोपियों को गुरुवार को मुंबई की विशेष अदालत ने बरी कर दिया। विशेष जज एके लाहोटी ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आरोपियों के खिलाफ ठोस व विश्वसनीय सबूत नहीं हैं। इस अपराध के लिए किसी को भी सजा न होने से समाज और पीड़ित परिवार को होने वाले पीड़ा और निराशा मैं समझ सकता हूं लेकिन सिर्फ धारणा के आधार पर सजा नहीं दे सकते हैं। पंचनामे में गलती, गवाहियों में विरोधाभास और घायलों के फर्जी प्रमाण पत्रों पर कोर्ट ने महाराष्ट्र एटीएस को फटकार लगाई। जमीयत उलमा ए हिंद के कानूनी सलाहकार एडवोकेट शाहिद नदवी ने कहा कि फैसले के खिलाफ जल्द हाई कोर्ट में अपील करेंगे। इस मामले में बरी होने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने फैसले को भगवा की जीत बताया। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी का उदय रोकने और मुस्लिम वोटर्स को खुश करने के लिए कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ी थी।
ट्रंप का पाकिस्तान से समझौता और भारत पर तंज़
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 जून को व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेवा प्रमुख आसिम मुनीर को भोजन पर आमंत्रित करिए संकेत दे दिया था कि भारत के इस धुर विरोधी पड़ोसी देश को लेकर अमेरिका के नीति बदल रही है। पाक के साथ बुधवार को कारोबारी समझौता करके ट्रंप प्रशासन ने अपनी बदली नीति का पुख्ता संकेत भी दे दिया है। अमेरिका और पाकिस्तान की तरफ से कारोबारी समझौते की घोषणा कर दी गई है। इसको लेकर पाकिस्तान सरकार का दावा है कि वह कम शुल्क दर पर अमेरिका को अपनी वस्तुओं का निर्यात करेगा। इस संदर्भ में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ ट्रेड डील की घोषणा करते हुए भारत पर तंज भी कसा। ट्रुथ सोशल पर ट्रंप ने लिखा हमने पाकिस्तान के साथ समझौते को अंतिम रूप दे दिया है। पाकिस्तान अमेरिका बड़े तेल भंडार विकसित करेंगे। हम उस तेल कंपनी का चयन करने जा रहे हैं जो इस साझेदारी का नेतृत्व करेंगी। कौन जानता है कि वह एक दिन भारत को भी तेल की बिक्री करने लगे।
भारत और रूस डेड इकोनॉमी: ट्रंप
हिन्दुस्तान के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और रूस के करीबी संबंधों को लेकर उन पर तीखा प्रहार किया और कहा कि दोनों देश अपनी ‘मृत अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ गर्त में’ ले जा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने नई दिल्ली और मॉस्को की आलोचना करते हुए यह टिप्पणी तब की है जब कुछ घंटों पहले उन्होंने भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत शुल्क लगाने और रूस के साथ उसके व्यापार के लिए ‘जुर्माना’ लगाने की घोषणा की। ट्रंप ने भारत की व्यापार नीतियों को ‘सबसे कठिन और अप्रिय’ बताया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे परवाह नहीं है कि भारत, रूस के साथ क्या करता है। वे एक साथ अपनी मृत अर्थव्यवस्था (डेड इकोनॉमी) को गर्त में ले जा सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, उनके शुल्क बहुत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कई वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके शुल्क बहुत अधिक हैं, जो दुनिया में ‘सबसे अधिक’ हैं।
जिंदा पत्नी को पेंशन से महरूम करने के लिए बनवा लिया डेथ सर्टिफिकेट
प्रभात खबर के अनुसार पटना जिले के धनरूआ प्रखंड के मुस्तफापुर गांव में एक महिला निशा कुमारी को उसके ही पति ने जीते जी कागजों में मार डाला। इसका पता तब चला जब मतदाता सूची अपडेट करने पहुंचे बीएलओ ने उनके घर दस्तक दी। बीएलओ जांच करने लगे तो गोतनी ने बताया कि निशा तो जिंदा है। निशा को जब पता चला कि वह कागज में मृत घोषित हो चुकी हैं तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने आरटीआई दाखिल कर इसका पूरा सच सामने लाया। दरअसल निशा का पति शिवरंजन कुमार एक सरकारी कर्मचारी है। उसने 5 मई 2025 को अपनी पत्नी की मृत्यु दिखाकर प्रमाण पत्र बनवा लिया। बीडीओ सीमा कुमारी ने प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी को गलत प्रमाण पत्र का जवाब देने का आदेश दिया। बीडीओ ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए गवाहों, अनुशंसा करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों और कर्मियों को नोटिस भेजा जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार निशा और उसके पति के संबंध लंबे समय से खराब चल रहे थे। ऐसे में शक है कि अपनी मौत के बाद पेंशन के लाभ से पत्नी को वंचित करने के लिए डेथ सर्टिफिकेट बनवा लिया गया।
कुछ और सुर्खियां:
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अनछपी: यह बहुत ही सुखद खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस सवाल पर विचार करेगा कि भारत में रह रहे रोहिंग्या, शरणार्थी हैं या अवैध घुसपैठिए हैं जिन्हें वापस भेजा जाना चाहिए। फिलहाल यह बात याद दिलानी है कि है कि रोहिंग्या समुदाय में हालांकि अधिकतर मुसलमान हैं लेकिन दूसरे धर्म के लोग भी इसमें शामिल हैं और वह कुछ ही वर्षों से अपने देश से भाग कर भारत में रह रहे हैं। यानी रोहिंग्या शरणार्थी या घुसपैठ की बहस बहुत पहले कि नहीं है। रोहिंग्या शरणार्थियों की सबसे बड़ी संख्या फिलहाल कर बांग्लादेश में शरण लिए हुए है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट मानवता को ध्यान में रखते हुए कोई बेहतर फैसला सुनाएगा। हम इसकी चर्चा इसलिए भी करना चाहते हैं क्योंकि रोहिंग्या शरणार्थियों को भारत के मुसलमानों पर राजनीतिक हमले के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यही नहीं भारत के वैध नागरिकों को भी रोहिंग्या बता कर उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश करने के बयान भी दिए गए हैं। क्या इसमें कोई शक है कि रोहिंग्या दरअसल अपने ही देश में, अपनी ही सरकार के हाथों सताए-दबाए-कुचले गए लोग हैं? याद रखने की बात यह है कि अभी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने मुसलमानों को छोड़कर हिंदुओं और दूसरे धर्म के लोगों को आसपास के देशों में प्रताड़ित किए जाने की शिकायत के आधार पर भारत की नागरिकता देने का कानून बना रखा है। लेकिन इन प्रताड़ित रोहिंग्याओं के नाम पर भारतीय जनता पार्टी ने मानवता दिखाना तो दूर, हमेशा नफरत ही फैलाई। भारत एक ओर दुनिया में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाना चाहता है तो दूसरी ओर शरणार्थियों के मामले में अपनी जिम्मेदारी से पीछे भागते दिखता है, खासकर अगर उन शरणार्थियों का धर्म इस्लाम हो। यह बेहद अफसोसनाक बात है और हमारे समाज को भी इस पर विचार करना चाहिए। भारत सरकार को अगर वाकई लगता है कि रोहिंग्या अवैध घुसपैठिए हैं तो उन्हें वापस करने के लिए म्यांमार की सरकार से बात करनी चाहिए, ना कि वहां के बेसहारा नागरिकों को मूलभूत मानवीय सुविधाओं से वंचित करने की कोशिश।
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