छ्पी-अनछपी: सुप्रीम कोर्ट ने माना- NEET पेपर लीक हुआ, कठुआ में घात लगाकर सेना पर हमला
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। नीट पेपर लीक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि पेपर लीक हुआ है लेकिन अभी यह तय नहीं हुआ है कि ऐसा कितने बड़े पैमाने पर हुआ। जम्मू कश्मीर के कठुआ में एक आतंकी हमले में पांच जवानों की जान चली गई। फ्रांस के संसदीय चुनाव में वामपंथी गठबंधन को सबसे अधिक सीट मिली है हालांकि किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों के कैंपों का दौरा किया और पीड़ितों का हाल-चाल जाना।
प्रभात खबर और भास्कर की पहली खबर मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट से जुड़ी है। प्रभात खबर ने लिखा है कि नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। ढाई घंटे तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने माना कि नीट यूजी का पेपर लीक हुआ। कोर्ट ने कहा कि देखना होगा कि इसका दायरा कितना बड़ा है। अगर गड़बड़ी व्यापक है तो वह दोबारा परीक्षा करने का आदेश देना होगा। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। अदालत में 10 जुलाई तक एनटीए को गड़बड़ी से फायदा उठाने वाले अभ्यर्थियों की जानकारी देने को कहा। इसके अलावा सीबीआई से 10 जुलाई तक का अपडेट मांगा गया है। भास्कर के अनुसार नीट यूजी रद्द करने की 38 याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने परीक्षा में सामने आ रही गड़बड़ियों को लेकर एनटीए से कई तीखे सवाल पूछे।
कठुआ में सेना की गाड़ी पर हमला
जागरण और हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर कठुआ में आतंकी हमले की है। जागरण ने लिखा है कि जम्मू संभाग में जून में लगातार चार दिन चार आतंकी हमले के ठीक एक माह बाद आतंकियों ने सोमवार को कठुआ जिला में गश्त पर निकले दो सैन्य वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया। पहाड़ी क्षेत्र में घनी धुंध के बीच छिपे आतंकियों ने पहले ग्रेनेड फेंका और फिर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में जेसीओ समेत पांच सैन्यकर्मी बलिदान व पांच अन्य घायल हो गए। हमले के बाद आतंकी भाग निकले। इसके बाद सेना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ ही देर में आतंकियों को घेर लिया और दोनों तरफ से गोलीबारी हुई।
फ्रांस में लेफ्ट फ्रंट को बढ़त
फ्रांस के संसदीय चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। वामपंथी गठबंधन ने धुर-दक्षिणपंथी दलों को शिकस्त देते हुए सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। हालांकि, बहुमत नहीं मिला। अब पहली बार त्रिशंकु संसद की आशंका बढ़ गई है। संसदीय चुनाव में तीनों प्रमुख गठबंधन में से कोई भी 577 सदस्यीय नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए जरूरी 289 सीटों का आंकड़ा नहीं हासिल कर सका। न्यू पॉपुलर फ्रंट ने 182 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन के खाते में 163 सीटें गईं।
राहुल गांधी मणिपुर के कैंप में रो पड़े
हिन्दुस्तान के अनुसार लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मणिपुर के जिरीबाम और चुराचांदपुर जिलों में राहत शिविरों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने वहां रह रहे लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनीं। राहुल से बात करने के दौरान कई लोग अपनी तकलीफ सुनाते हुए रो भी पड़े। कांग्रेस द्वारा राज्य की दोनों लोकसभा सीटें जीतने के बाद राहुल गांधी पहली बार मणिपुर पहुंचे हैं।
बिहार के शेयर निवेशकों में ज़बर्दस्त उछाल
भास्कर की खबर है कि शेयर मार्केट में घरेलू निवेशकों का दबदबा बढ़ रहा है। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के अलावा जयपुर, इंदौर, राजकोट, पुणे और हैदराबाद जैसे शहर घरेलू निवेशकों के लिए नए हॉटस्पॉट बना रहे हैं। सालाना आधार पर बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सबसे ज्यादा रिटेल निवेशक बढ़े हैं। इस मामले में बिहार अब टॉप 10 में आ गया है। बिहार से 71 लाख 90 हज़ारे निवेशक हैं और यह पिछले साल की तुलना में 49.4% अधिक है।
आरबीआई ने छोटे क़र्ज़ देने पर चेताया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बिहार और उत्तर प्रदेश में छोटे ऋण बांटने वाली माइक्रो फाइनेंस कंपनियों और गैर बैंकिंग संस्थाओं को आगाह किया है। आरबीआई ने इनसे कहा है कि दोनों राज्यों में ऋण बांटने की गति को धीमा करें। आरबीआई ने चिंता जताई है कि दोनों राज्यों में लोगों को धड़ल्ले से दिया जा रहा ऋण डूब सकता है, क्योंकि इस ऋण के बदले बैंकों के पास कोई गारंटी जमा नहीं है जबकि दोनों ही राज्यों में ऋण लेने वाले लोगों की संख्या काफी है। आरबीआई की तरफ से जारी सलाह में कहा गया है कि देश में बांटे गए कुल छोटे ऋण (माइक्रो फाइनेंस) का 25.30 इन्हीं दो राज्यों में दिया गया है, जो बहुत ज्यादा है।
कुछ और सुर्खियां
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हवाई सर्वे कर बाढ़ की स्थिति का लिया जायज़ा
- इंडिगो की पटना-हैदराबाद फ्लाइट की एसी खराब, यात्रियों का हंगामा
- पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष कुमार वर्मा आज जदयू में शामिल होंगे
- झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्वास मत जीता, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई समेत 11 बने मंत्री
- ग्रामीण बैंक कर्मचारियों को व्यावसायिक बैंकों के समान मिलेगा वेतनमान
- रुपौली विधानसभा उपचुनाव के लिए थमा प्रचार, कल वोटिंग
- बिहार के आठ जिलों के निचले इलाकों में फैला बाढ़ का पानी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया मदद का निर्देश
अनछ्पी: अगर कोई आपसे यह कहे कि आपका डॉक्टर नुस्खे या प्रिस्क्रिप्शन पर जो दवाई और जांच लिखता है वह 45% सही नहीं होते, तो आपको कैसा लगेगा? इस सवाल का मतलब यह है कि लगभग आधा नुस्खा ऐसा होता है जो भरोसे के लायक नहीं होता। हिन्दुस्तान में छपी एक खबर के अनुसार इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी में पता चला है कि डॉक्टर के 45% नुस्खे सही नहीं होते। ध्यान देने की बात यह भी है कि यह नुस्खे किसी छोटे-मोटे डॉक्टर के नहीं बल्कि देश भर के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों द्वारा लिखे गए हैं। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ताजा अंक में छपी है। इस स्टडी के अनुसार अगस्त 2019 से अगस्त 2020 के बीच बड़े अस्पतालों के मेडिसिन, कम्यूनिटी मेडिसिन, सर्जरी, डिलीवरी, गायनेकोलॉजी, बच्चों की बीमारी, चमड़े की बीमारी, आंख और दांत की ओपीडी में डॉक्टरों द्वारा जारी प्रिस्क्रिप्शन के 7800 नमूने जमा किए गए और 13 केंद्रों में विशेषज्ञों ने इसकी ऑडिट की। इस स्टडी में जो कई कमियां बताई गई हैं उनमें एक प्रमुख कमी यह है कि जहां टैबलेट की जरूरत है वहां इंजेक्शन लगाने को कहा गया। बिना जरूरत एंटीबायोटिक दिए गए और एंजाइम लिखे गए। कई पर्चियों में तो 13-13 जांच बिना जरूरत लिख दी गई। सवाल यह है कि अपनी ही संस्था द्वारा की गई इस स्टडी को सरकार कितनी गंभीरता से लेगी? अगर इतने बड़े पैमाने पर गलत नुस्खे लिखा जा रहे हैं तो आम लोगों की सेहत के साथ कितने बड़े पैमाने पर खिलवाड़ हो रहा है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। जब क्वालिफाइड डॉक्टर के जरिए इस तरह के गलत नुस्खे लिखा जा रहे हैं तो उस स्थिति का अंदाजा लगाइए जब लोग सीधे काउंटर से दवा लेते हैं या उनसे दवाई लिखवाते हैं जिन्हें हम झोलाछाप डॉक्टर कहते हैं। सरकार के अलावा आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने डॉक्टरों को दवा और जांच लिखने में सही मानकों के पालन के लिए तैयार करे। डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है लेकिन उनके 45 फ़ीसद नुस्खे लोगों को ज़िंदगी देने के बदले जान लेने वाले बन सकते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च को अपनी स्टडी के आधार पर इससे निपटने के उपाय भी बताने चाहिए।
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