छ्पी-अनछपी: शिक्षा विभाग-राजभवन के बीच पिस रहे वीसी व रजिस्ट्रार, केके पाठक के बचाव में नीतीश

बिहार लोक संवाद डॉट, पटना। बिहार के विश्वविद्यालय के वीसी और रजिस्ट्रार अजीबोगरीब स्थिति का सामना कर रहे हैं। राज्य में डबल इंजन की सरकार चल रही है लेकिन शिक्षा विभाग और राजभवन में खुलेआम टकराव है। शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक की भारी आलोचना के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनका बचाव किया है। आंदोलन कर रहे किसानों का दिल्ली कूच इसलिए दो दिन टल गया है कि एक युवा किसान की मौत हो गई। आज के अखबारों में इन खबरों की विस्तृत चर्चा है। दो प्रमुख हस्तियों अमीन सयानी और फली एस नरीमन की मौत की खबर भी सभी जगह है।

भास्कर की बड़ी सुर्खी है: शिक्षा विभाग में रजिस्ट्रार से कहा- राजभवन से अनुमति लेना मूर्खतापूर्ण। विश्वविद्यालयों में अधिकार और हस्तक्षेप को लेकर शिक्षा विभाग व राजभवन में टकराव चरम पर पहुंच गया है। दोनों ओर से जारी लेटर वार में अब भाषा की मर्यादा भी टूट गई है। पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने शिक्षा विभाग की बैठक में भाग लेने के लिए राजभवन से अनुमति मांगी थी। रजिस्ट्रार के इस कदम को उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने मूर्खतापूर्ण कहा है। बुधवार को पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में निदेशक ने नियम कायदों पर उनकी जानकारी पर भी सवाल किया है। दो और तीन मार्च को आयोजित होने वाली शिक्षा विभाग की कार्यशाला में भाग नहीं लेने पर कार्यवाही की चेतावनी भी दी गई है। दूसरी ओर राजभवन ने इस कार्यशाला में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसी तरह शिक्षा विभाग ने 28 फरवरी को अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक के लिए सभी कुलपतियों को बुलावा भेजा है। इसमें भी शामिल नहीं होने के लिए राजभवन से निर्देश जारी किया गया है।

केके पाठक का बचाव

बुधवार को बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्य सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। विपक्षी सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर भी स्कूल के समय में बदलाव नहीं करने का आरोप लगाया और वे वेल में आ गए। हंगामा पर सीएम ने कहा कि स्कूलों में सुबह 9:45 बजे तक शिक्षक पहुंचेंगे ताकि पढ़ाई 10:00 बजे से शुरू हो जाए। शाम को 4:00 बजे बच्चों को भेजने के 15 मिनट के बाद शिक्षक भी चले जाएंगे। नीतीश ने कहा कि केके पाठक सबसे ईमानदार अधिकारी हैं। उनके अनुसार वह पैरवी नहीं सुनते इसलिए विपक्षी सदस्य कार्रवाई की बात करते हैं। उधर विधान परिषद में भी केके पाठक की खूब आलोचना हुई। उन पर अभद्र भाषा प्रयोग करने का आरोप लगा। उनकी आलोचना में भाजपा के विधान परिषद सदस्य भी शामिल थे।

किसान की मौत, दिल्ली कूच दो दिन बाद

किसानों के दिल्ली कूच के दौरान बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर संघर्ष में एक युवा प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। किसानों का आरोप है कि उसकी मौत पुलिस कार्रवाई में हुई। हालांकि, हरियाणा पुलिस ने इससे इनकार किया है। इस बीच, किसान नेताओं ने दो दिन के लिए कूच टाल दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि हम मृतक किसान के कातिलों को कड़ी सजा दिलवाएंगे।

नया बिहार के लिए चुनें: तेजस्वी

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को गोपालगंज के गांधी कॉलेज के मैदान में आयोजित जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नया बिहार बनाने के लिए नए लोगों को चुनें। उन्होंने कहा, “बिहार में नौकरी दी गई तो चाचा कह रहे हैं कि हम दिए हैं। नौकरी का श्रेय आप ले लीजिए। हम आपका सम्मान करते हैं। करते रहेंगे।” गोपालगंज के अलावे तेजस्वी ने जन विश्वास यात्रा के क्रम में मोतिहारी व लौरिया में भी जनसभा को संबोधित किया। कहा कि ये तय हो चुका है कि नीतीश कुमार से बिहार चलने वाला नहीं है। “अब नए लोगों को आना चाहिए। नए लोगों को मौका मिलना चाहिए। हम लोग नई सोच के हैं। हमलोगों के पास विजन है।”

अमीन सयानी ने दुनिया को अलविदा कहा

जी हां, बहनों और भाइयों मैं, आपका दोस्त अमीन सयानी… रेडियो की ये दिलकश आवाज खामोश हो गई। हिन्दुस्तान के अनुसार आकाशवाणी के सबसे लोकप्रिय प्रस्तोता अमीन सयानी ने 91 वर्ष वर्ष की आयु में मंगलवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके बेट राजिल सयानी ने बताया,‘मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका एच एन रिलायंस अस्पताल में निधन हो गया। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें शाम छह बजे अस्पताल ले जाया गया, जहां लगभग सात बजे उनका निधन हो गया।’ लोगों के कानों में आज भी सयानी की आवाज ‘नमस्कार बहनों और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं’ गूंजती है। सयानी का यह अभिवादन 1952 से 1988 तक रेडियो सीलोन पर हर बुधवार को अनगिनत घरों में प्रसारित होता था। मुबंई में 21 दिसंबर, 1932 को जन्मे सयानी ने 42 वर्षों में 50,000 से अधिक कार्यक्रमों का संचालन किया और उन्हें अपनी आवाज दी।

फली एस नरीमन नहीं रहे

भारतीय न्यायपालिका के भीष्म पितामह कहे जाने वाले कानून विशेषज्ञ एवं अधिवक्ता फली एस. नरीमन का मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात 95 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया। वह हृदय संबंधित बीमारी से जूझ रहे थे। नरीमन का जन्म 10 जनवरी 1929 को हुआ था। 1950 में उन्होंने बंबई हाईकोर्ट से वकालत शुरू की थी। उन्होंने केशवानंद भारती सहित कई ऐतिहासिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लखीसराय में सड़क हादसा, नौ की मौत

भास्कर की खबर है: चार सीटर ऑटो पर सवार थे 14 लोग, ट्रक ने मारी टक्कर नौ लोगों की मौत। चार सीटर ऑटो पर 14 लोग सवार होकर सिकंदरा से लखीसराय रेलवे स्टेशन जा रहे थे। लखीसराय- सिकंदरा स्टेट हाईवे 18 पर सकरी पुलिया के सामने से आ रहे ट्रक में ऑटो में टक्कर मार दी। इसके बाद ट्रक चालक कुछ दूर तक ऑटो को घसीटते हुए ले गया। ऑटो ट्रक में फंस जाने के बाद चालक ने ट्रक को पीछे किया फिर आगे बढ़ा दिया। इस हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई जबकि 5 लोग घायल हो गए। सभी 14 लोग कैटरिंग कर ऑटो से सिकंदरा से लखीसराय स्टेशन जा रहे थे।

चुनाव कम से कम फेज में

प्रभात खबर की पहली सुर्खी है: कम से कम फ़ेज में होगा चुनाव, ज्यादा बूथों पर अर्द्धसैनिक बल। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि चुनाव आयोग कम से कम फेज में लोकसभा चुनाव कराने पर विचार कर रहा है। कितने फेज में चुनाव हो, इसका निर्धारण पूरे देश के लिए एक साथ करना पड़ता है। इसमें छुट्टियों, परीक्षाओं, मौसम और फोर्स के मूवमेंट पर भी ध्यान देना होता है। पिछला चुनाव सात चरणों में हुआ था। तीन दिनों तक समीक्षा के बाद बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि मतगणना में सबसे पहले पोस्टल बैलेट की ही गिनती होगी।

14 गाड़ियों की इजाज़त

जागरण की पहली खबर है: चुनाव में 14 वाहनों का कर सकेंगे उपयोग। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव के दौरान 14 वाहनों का उपयोग कर सकेंगे। अब तक यह संख्या पांच हुआ करती थी। इस वृद्धि का आधार राज्य का बड़ा क्षेत्रफल है। इसके अलावा लोकसभा क्षेत्र में क्लीयरेंस के लिए सिंगल विंडो सिस्टम प्रभावी होगा। राजनीतिक दलों के आग्रह पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने इन नदियों की घोषणा बुधवार को पटना में की।

कुछ और सुर्खियां

  • उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी 63 और कांग्रेस 17 सीटों पर लड़ेगी
  • महागठबंधन की जन विश्वास महारैली तीन मार्च को गांधी मैदान में, राहुल गांधी भी आएंगे
  • बिहार में 100 साल से अधिक उम्र के 21680 मतदाता
  • सभी डिग्री कॉलेज में इंटर की पढ़ाई 1 अप्रैल से बंद होगी
  • बिहार की 3590 सड़कों और 28 पुलों का लोकार्पण
  • गिरिराज सिंह ने बेगूसराय में खुलवाई झटका मीट दुकान

अनछपी: बिहार में उच्च शिक्षा क्यों बदहाल है इसे समझने के लिए शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच चल रही तनातनी को देखा जा सकता है। यह तनातनी पहले से चली आ रही है और अब डबल इंजन की सरकार में भी जारी है। ऐसे में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और रजिस्ट्रार के लिए यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है कि वह शिक्षा विभाग की बात मानें या राजभवन की। शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक ने कई अच्छे काम किए हैं लेकिन उनके कुछ काम ऐसे हैं जो सनक भरे बताए जाते हैं। केके पाठक की कोशिश से स्कूलों और कॉलेज में टीचरों की उपस्थिति कुछ बेहतर हो पाई है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि शिक्षा विभाग कब तक राजभवन से टक्कर लेगा और इसका खामियाजा कौन भुगतेगा? राज्यपाल सभी विश्वविद्यालयों के चांसलर होते हैं और इस नाते राजभवन को यह लगता है कि कुलपतियों और रजिस्ट्रार को उनके कहने के मुताबिक चलना चाहिए। दूसरी और शिक्षा विभाग को लगता है कि वेतन भुगतान और दूसरे कामों में उसका रोल है इसलिए उन्हें उसकी बात माननी चाहिए। यह विवाद दूसरे राज्यों में भी होता रहा है। दूसरे राज्यों में यह विवाद इसलिए रहता है कि सरकार किसी और पार्टी की होती है जबकि राज्यपाल किसी और दल की सरकार द्वारा भेजे गए होते हैं। बिहार में ऐसी स्थिति नहीं है और सत्ताधारी दलों व राज्यपाल के बीच कोई राजनीतिक विवाद भी नहीं है। इसके बावजूद इस तरह के टकराव का मतलब क्या होता है? अगर वाइस चांसलर और रजिस्ट्रार ही इस तरह परेशान रहेंगे तो छात्रों की पढ़ाई का क्या होगा? रोचक बात यह है कि शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी केके पाठक के बारे में सरकार और विपक्ष दोनों और से आरोप लग रहे हैं। उनकी आलोचना जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के लोग भी कर रहे हैं। शिक्षा विभाग जब राष्ट्रीय जनता दल के पास था तब तो यह विवाद था ही। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगता है कि केके पाठक काफी ईमानदार अधिकारी हैं इसीलिए उनका विरोध हो रहा है। लेकिन यह बात भी सोचने की है की क्या सिर्फ ईमानदारी के कारण किसी अधिकारी को मनमानी करने और गाली गलौज की छूट मिल सकती है? क्या इस तरह के टकराव को जारी रहने दिया जा सकता है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए चुनौती है कि वह या तो राजभवन को समझा लें या केके पाठक को। आने वाले दिनों में यह बात समझ में आएगी कि मुख्यमंत्री किसी एक को समझा पाते हैं या यह टकराव इसी तरह जारी रहता है और छात्रों का नुकसान भी।

 

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