छ्पी-अनछपी: एएमयू के माइनॉरिटी दर्जे पर तीन जजों की बेंच फैसला लेगी, छठ के दौरान डूबने से 65 की मौत
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी स्टेटस के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस पर तीन जजों की बेंच फैसला देगी हालांकि कोर्ट ने उस आधार को खारिज कर दिया जिस पर अल्पसंख्यक दर्जा वापस लिया गया था। बिहार में छठ के दौरान डूबने से 65 लोगों की मौत हो गई। बीपीएससी की 70 वीं सिविल सेवा परीक्षा के लिए चार लाख 83 हज़ार उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। दारुल उलूम देवबंद ने अपने कैंपस में महिलाओं के घूमने पर लगी पाबंदी हटा दी है।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने शुक्रवार को 57 साल पुराने एक फैसले को रद्द कर दिया। उस फैसले में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा पाने का हकदार नहीं है क्योंकि इसकी स्थापना केंद्रीय कानून के तहत हुई है। अब तीन जजों की पीठ यह तय करेगी कि एएमयू अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान है या नहीं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने 4:3 के बहुमत से फैसला दिया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई कानून या कार्यकारी कार्रवाई जो शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना या प्रशासन में धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करती है, वह संविधान के अनुच्छेद 30(1) के प्रावधानों के खिलाफ है। संविधान पीठ ने 1967 के अजीज बाशा मामले में पारित फैसले को खारिज करते हुए कहा कि कोई संस्थान महज इसलिए अपना अल्पसंख्यक दर्जा नहीं खो देगी क्योंकि उसे कानून के तहत बनाया गया है। साथ ही, संविधान पीठ ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट को यह जांच करनी चाहिए कि एएमयू की स्थापना किसने की और इसके पीछे किसका दिमाग था। यदि जांच अल्पसंख्यक समुदाय की ओर इशारा करती है तो एएमयू संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार अल्पसंख्यक दर्जा पाने का दावा कर सकती है।
छठ के दौरान डूबने 65 की मौत
जागरण के अनुसार छठ पूजा के दौरान 36 घंटे में नदियों व तालाबों में डूबने से 62 लोगों की मौत हो गई जबकि 11 लापता हैं। हिन्दुस्तान के अनुसार मरने वालों की संख्या 65 है। मरने वालों में बेगूसराय के सात, समस्तीपुर के दस, रोहतास के पांच, पटना व मुजफ्फरपुर के चार-चार, भागलपुर गया, मुंगेर, पूर्णिया, खगड़िया, मधेपुरा और सहरसा में तीन-तीन लोग शामिल हैं। इसके अलावा सारण औरंगाबाद व आरा में दो-दो लोगों की मौत हो गई जबकि सीतामढ़ी, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, लखीसराय, अररिया, कटिहार, रोहतास, वैशाली, जहानाबाद और नालंदा जिले में एक-एक लोगों की मौत हुई।
बीपीएससी 70 वीं के लिए 4 लाख 83 हज़ार आवेदन
हिन्दुस्तान के अनुसार बीपीएससी 70वीं की संयुक्त सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की आवेदन की तिथि समाप्त हो गई है। अंतिम रूप से परीक्षा में शामिल होने के लिए 4 लाख 83 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। बीपीएससी सूत्रों की माने तो अंतिम दिन रात्रि आठ बजे के बाद करीब 25 हजार अभ्यर्थियों ने पंजीयन कराया, पर अंतिम रूप से आवेदन नहीं किया। परीक्षा 13 दिसंबर को ली जाएगी। 34 जिलों में परीक्षा आयोजित की जाएगी। इसबार सबसे अधिक सीटें होने की वजह से आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। पिछली बार 69वीं की परीक्षा में 3 लाख 50 हजार परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। इसबार आवेदकों की संख्या सवा लाख की बढ़ोतरी हुई है।
देवबंद परिसर में घूम सकेंगी महिलाएं
दारुल उलूम परिसर में महिलाओं पर छह माह पूर्व लगे प्रतिबंध को शुक्रवार को संस्था के प्रबंधतंत्र ने आखिरकार समाप्त कर दिया। अब कड़े नियमों के साथ महिलाओं को परिसर में घूमने के लिए इजाजत मिल गई है। सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम प्रबंधतंत्र ने महिलाओं द्वारा संस्था के परिसर में पहुंचकर रील बना सोशल मीडिया पर वायरल करने की शिकायत के चलते बीती 17 मई को परिसर में घूमने के उद्देश्य से आने वाली महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। अब दारुल उलूम की सुप्रीम पावर कमेटी मजलिस-ए-शूरा से पूर्ण इजाजत मिल गई है। शुक्रवार को महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सर्शत हटा दिया गया है। महिलाओं को संस्था में आकर भ्रमण करने के लिए बनाए गए नियमों का पालन करना जरूरी होगा।
बिजली स्मार्ट मीटर का ऐप ठीक हुआ
भास्कर के अनुसार बिहार बिजली स्मार्ट प्रीपेड मीटर ऐप फिर से चालू हो गया है। लेकिन 28 अक्टूबर से बैलेंस नहीं कट रहा है। बिजली कंपनी के मुताबिक रिचार्ज की सुविधा बहाल हो गई है। रिचार्ज करने वाले उपभोक्ताओं का बैलेंस दिखेगा। सर्वर की तकनीकी गड़बड़ी दूर की जा रही है। सोमवार से यह पूरी तरह काम करने लगेगा। तब बैलेंस भी कटने लगेगा। पिछले 12 दिनों से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के सर्वर में तकनीकी गड़बड़ी चल रही है। इससे पटना समेत अन्य जिला मुख्यालयों में 18 लाख से अधिक उपभोक्ता प्रभावित हैं।
कुछ और सुर्खियां
- अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामा, धक्का मुक्की के बाद भाजपा का वॉक आउट
- भारत ने पहले टी 20 क्रिकेट मैच में डरबन में दक्षिण अफ्रीका को 41 रनों से हराया, संजू सैमसन ने 50 गेंद में बने 107 रन
- हजारीबाग में पुलिस ने जब्त की 2.41 करोड़ रुपए की अफीम
- फ़ौकानिया और मौलवी की परीक्षा 22 जनवरी से, प्रैक्टिकल दो व 4 फरवरी को
- तीन दिन में डॉलर के मुकाबले 28 पैसे टूटा रुपया, $1 का मिल रहा ₹84.38
अनछपी: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम दो दिनों में मदरसों और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बारे में ऐसे फैसले सुनाए जो ऊपरी तौर पर तो बहुत खुश करने वाला लगता है लेकिन इसके पीछे तल्ख हकीकत बरकरार है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बारे में सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला देना था कि यह अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्थान है या नहीं लेकिन उसने इसे अगली बेंच के हवाले कर दिया। यह जरूर है कि सुप्रीम कोर्ट ने उस दलील को खारिज कर दिया जिसकी बुनियाद पर एमएमयू से उसका अल्पसंख्यक दर्जा वापस लिया गया था। देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की अगली बेंच चंद्रचूड़ की बेंच के फैसले से कितना प्रभावित होती है और एएमयू के बारे में क्या फैसला देती है। शुरू में ऐसा लगा था कि शायद जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने एएमयू का माइनॉरिटी स्टेटस बहाल कर दिया है लेकिन जब फैसले को विस्तार में देखा गया तो ऐसी बात नजर नहीं आई। कई लोग कह रहे हैं कि यह फैसला दरअसल लटकाने वाला फैसला है। इसीलिए लोगों के दिल में तरह-तरह के सवाल हैं जैसे कि बेंच कब बनेगी, बेंच कितने दिनों तक सुनवाई करेगी और उसके बाद फैसला कब आएगा और फैसला क्या आएगा। बहुत से लोग यह कह रहे हैं कि जस्टिस चंद्रचूड़ अगर इस मामले को निपटा देते तो उनके नाम एक बेहद अहम फैसला करने का क्रेडिट जाता। इसी तरह उन्होंने मदरसा कानून को सही करार दिया लेकिन उसमें एक बात यह भी जोड़ दी कि आलिम (कामिल) और फाजिल की डिग्री मान्य नहीं है। इसकी वजह से पूरे देश में आलिम और फाजिल की डिग्री लेने वालों के लिए खतरा पैदा हो गया है। यह डिग्री ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री के बराबर होती है। जो लोग मदरसा बोर्ड कानून को सही ठहराए जाने को लेकर खुश थे वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की गंभीरता को नहीं समझ पाए। सवाल यह है कि जो लोग इस समय मदरसों में आलिम और फ़ाज़िल की क्लास में दाखिला लिए हुए हैं उनका क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऐसा लगता है कि अगर यूजीसी से इसे मान्यता दिलाने की कोशिश की जाए तो वह डिग्री सही मानी जा सकती है। फिलहाल ऐसी किसी कोशिश की कोई निशानी कहीं से नहीं मिल रही। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बात की शिकायत की कि उनको बहुत ट्रोल किया गया लेकिन उनके ऐसे फैसलों से बहुत इत्मीनान भी नहीं हो सकता।
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