छपी-अनछपी: अमेरिका में फिर ट्रंप राज शुरू, सऊदी से मैथिली में कॉल कर रहे साइबर ठग
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अमेरिका में एक बार फिर ट्रंप सरकार की शुरुआत हो चुकी है। सऊदी अरब और पाकिस्तान में रह रहे साइबर ठग मैथिली और भोजपुरी में कर रहे हैं कॉल। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि सभी राजनीतिक दल अपने लिए आचार संहिता बनाएं। कोलकाता की डॉक्टर के साथ रेप मर्डर मामले के दोषी को ताउम्र क़ैद की सज़ा मिली है। शांति समझौते के बाद इसराइल ने 90 फलस्तीनी कैदियों को रिहा किया है।
यह हैं आज के अखबारों की अहम खबरें।
प्रभात खबर की सबसे बड़ी खबर के अनुसार डोनाल्ड जे ट्रंप ने सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही चार साल बाद दूसरी बार सत्ता में उनकी उल्लेखनीय वापसी हो गई है। ट्रंप से पहले जेडी वेंस ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका का स्वर्णिम युग अभी से शुरू होता है। उन्होंने कहा, आज के बाद से हमारा देश फिर से समृद्ध होगा और पूरी दुनिया में इसका सम्मान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया में अमन चाहता है। “हम किसी भी देश के युद्ध में दखल नहीं देंगे।” ट्रंप का यह बयान रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास के बीच हाल में हुए शांति समझौते की पृष्ठभूमि में आया है।
घुसपैठियों को बाहर करने का ऐलान
हिन्दुस्तान के अनुसार अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप ने कहा कि अमेरिका से घुसपैठियों को बाहर किया जाएगा। उन्होंने मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदल कर अमेरिका की खाड़ी करने का ऐलान किया। ट्रंप ने कहा कि सेना अपने मिशन के लिए आजाद होगी। अब दूसरे मुल्क की जंग में अमेरिकी सेना नहीं जाएगी। उन्होंने पनामा नहर पर अपना कब्जा वापस लेने की बात को दोहराया।
अमेरिका में एनर्जी इमर्जेंसी
भास्कर के अनुसार शपथ ग्रहण के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका में एनर्जी इमर्जेंसी लागू होगी। इसी के साथ ट्रंप ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सब्सिडी खत्म करने का भी ऐलान कर दिया ताकि पेट्रोल डीजल वाली गाड़ियों को प्रोत्साहन दिया जाए। ट्रंप ने कहा सभी को बराबरी का हक होगा और धर्म और नल के नाम पर भेदभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि थर्ड जेंडर खत्म होगा।
सऊदी से कॉल…अहांक लॉटरी निकलल या
हिन्दुस्तान की खास खबर के अनुसार विदेशों में बैठे साइबर ठग भारत में फोन कर लोगों से ठगी की साजिश रच रहे हैं। ऐसे औसतन 600 कॉल रोजाना बिहार के दूर-दराज के गांवों में लोगों के पास आ रहे हैं। डेढ़ साल में 22 हजार से ज्यादा लोग ठगी के शिकार हो चुके हैं। विदेशों में बैठे साइबर सरगना क्षेत्रीय भाषाओं की ट्रेनिंग भी गुर्गों को दे रहे हैं। बिहार के लोगों के पास भोजपुरी, मैथिली और मगही में ठगी के कॉल आ रहे हैं। संचार विभाग ने संचार साथी के जरिये दस देशों को चिन्हित किया है, जहां से ऐसे कॉल आ रहे हैं। सऊदी अरब व पाकिस्तान से सबसे ज्यादा कॉल आते हैं। जिन उपभोक्ताओं को कोड का पता नहीं होता है वो कॉल उठा लेते हैं। ठग उनसे क्षेत्रीय भाषा में बात करते हैं। इससे लगता है कि अपने ही जान पहचान का होगा। ऐसे में वो बैंक व आधार से जुड़ी जानकारी साझा कर देते हैं। थोड़ी ही देर में उनके खाते से पैसे की निकासी हो जाती है।
राजनीतिक दल बनाएं आचार संहिता: बिरला
जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पटना में सोमवार को विधाई निकायों की बैठकों की दिन प्रतिदिन घटती संख्या और सदन में नारेबाजी को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। संसद एवं राज्य विधानसभाओं में योजनाबद्ध व्यवधानों को चिन्हित करते हुए उन्होंने सदनों की गरिमा को बचाए रखने के लिए राजनीतिक दलों से अपने-अपने स्तर पर आचार संहिता बनाने का आग्रह किया। ओम बिरला पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सदनों के अंदर व्यवधान उत्पन्न करना, सदस्यों का वेल में आना, नारेबाजी करना, नियोजित तरीके से सदन को बाधित करना, यह सब चिंता का विषय है। हमें इन सब पर प्रभावी तरीके से रोक लगानी होगी। पीठासीन अधिकारी के रूप में हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि हम सदनों को संविधान की भावना और मूल्यों के अनुरूप चलाएं।
कोलकाता रेप मर्डर के दोषी को उम्रकैद
भास्कर के अनुसार आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म वह हत्या के दोषी संजय राय को कोर्ट ने वारदात के 164 दिन बाद उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने अपराध को ‘दुर्लभ से दुर्लभतर’ में ना मानते हुए मृत्युदंड नहीं दिया। सियालदह के अतिरिक्त जिला व सत्र जज अनिर्बान दास ने कहा, “दोषी को जीवन पर्यंत जीवन में रहना होगा।” कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़िता के परिजन को 17 लख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया हालांकि कोर्ट में मौजूद पीड़िता के पिता ने इसे लेने से इनकार कर दिया।
इसराइल ने 90 फलस्तीनियों को रिहा किया
हिन्दुस्तान के अनुसार इसराइल ने हमास के साथ हुए संघर्ष विराम समझौते के तहत सोमवार को 90 फलस्तीनी कैदियों को रिहा कर दिया। बंदियों को सफेद रंग की बसों में जैसे ही जेल से बाहर ले जाया गया लोगों ने खुशी में आतिशबाजी की। इससे पहले रविवार रात को हमास ने तीन इजरायली बंधकों को रिहा किया था। फलस्तीनी प्राधिकरण के कैदी मामलों के आयोग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार रिहा किए गए सभी लोग महिलाएं या नाबालिग हैं। सुरक्षा कारणों से इसराइल ने इन्हें गिरफ्तार किया था। इसराइल ने जिन फलस्तीनियों को रिहा किया, उनमें कई हस्तियां शामिल हैं। इसमें पॉपुलर फ्रंट फॉर लिबरेशन ऑफ फलस्तीन की प्रमुख 62 वर्षीय खालिदा जर्रारा शामिल हैं। उनको दिसंबर 2023 में हिरासत में लिया गया था। इसके अलाव हमास अधिकारी सालेह अरोरी की बहन दलाल खासीब आदि शामिल हैं।
कुछ और सुर्खियां
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत
- बिहटा में 18 किलोमीटर का भीषण जाम लगा, 30 घंटे तक फंसी रहीं गाड़ियां
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ऐलान- बिहार के सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे
- 70वीं बीपीएससी भर्ती में 501 प्रखंड सहकारिता अधिकारी के पद जुड़ेंगे, कुल पद होंगे 2528
- पटना आए राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को सीने में दर्द के बाद आईजीआईसी में भर्ती कराया गया
- उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड की नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी मिली
अनछपी: छत्तीसगढ़ में ईसाई समुदाय के साथ लंबे समय से अत्याचार की बात सामने आती रही है और अब एक मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है जिसमें एक ईसाई व्यक्ति ने कहा कि उसे अपने मृत पिता को अपने गांव में दफन करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। यह दर्द छिंदवाड़ा (बस्तर) के रमेश बघेल का है जो ईसाई हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने अपने बुजुर्ग पादरी पिता को गांव में दादा और चाची की कब्र के पास दफना चाहा तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। उन्होंने जब इसकी शिकायत पुलिस से की तो 30-35 पुलिस वाले पहुंचे लेकिन उन्होंने उल्टा यह दबाव बनाने की कोशिश की कि शव को कहीं और दफना दें। गांव वालों ने तो यहां तक कह दिया कि गांव की कब्र हो या निजी जमीन, ईसाई को नहीं दफनाया जा सकता। यहां की ग्राम पंचायत ने मौखिक रूप से शमशान के लिए जमीन निर्धारित कर रखी है जहां हिंदू और ईसाई दोनों के लिए अलग-अलग स्थान है। हैरत और बेहद अफसोस की बात यह है कि भारत सरकार के बड़े वकील और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कह दिया कि वहां ईसाइयों के लिए कब्रगाह नहीं है और शव को गांव से 20 किलोमीटर दूर दफनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की बेंच ने जो बात कही वह बेहद महत्वपूर्ण है और इसी के अनुरूप इस केस का फैसला भी होना चाहिए। बेंच ने कहा, “उस व्यक्ति को गांव में दफन होने क्यों नहीं देना चाहिए जो उसी गांव में रह रहा था? उनका पार्थिव शरीर 7 जनवरी से मुर्दाघर में रखा हुआ है। अफसोस की बात है कि एक आदमी को अपने पिता को दफन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मदद लेनी पड़ रही है। हमें दुख है कि ना तो पंचायत ने और ना ही राज्य सरकार ने और यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले का हल निकाला। हमें हाई कोर्ट की टिप्पणी पर ताजुब है कि इससे विधि व्यवस्था की समस्या होगी।” जो बात आसानी से समझ में आती है वह यह है कि चूंकि मरने वाले व्यक्ति ने ईसाई धर्म कबूल कर लिया था इसलिए उसे दफनाने तक की अनुमति नहीं दी जा रही है। पीड़ित के वकील का कहना है कि दरअसल यह ईसाइयों को वहां से भागने की एक मुहिम है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में ईसाई समुदाय को न्याय दिलाएगा।
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