छपी-अनछपी: दो हज़ार प्राइवेट स्कूलों के बंद होने का खतरा, जिन मोहल्लों में मंदिर वहां बीजेपी रहते है आगे

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार के दो हज़ार से ज़्यादा प्राइवेट स्कूलों के बंद होने का खतरा है क्योंकि उन्होंने ज़रूरी जानकारी नहीं दी है। इसकी खास खबर हिन्दुस्तान की लीड है। भास्कर की खास खबर है कि जिन मोहल्लों में मंदिर होते हैं वहां भाजपा आगे होती है। केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने महात्मा गांधी के हत्यारे को देश का सपूत बताया है जिसपर विपक्षी दलों ने सख्त एतराज़ जताया है।

हिन्दुस्तान की पहली खबर है: सख्ती: राज्य के 2005 निजी विद्यालय बंद होंगे। राज्य के 2005 निजी स्कूल बंद हो जायेंगे। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने इन सभी स्कूलों के यू-डायस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फ़ॉर एडुकेशन) कोड को रद्द कर दिया है। यू-डायस कोड रद्द होने के बाद इन स्कूलों का सीबीएसई और आईसीएसई की मान्यता भी खत्म हो जाएगी। इन स्कूलों की सूची जिलावार जारी कर दी गई है। वजह है कि इन स्कूलों ने यू-डायस पर जरूरी ब्योरा नहीं दिया। इसकी मियाद 10 जून को खत्म हो गई। बता दें कि सभी स्कूलों को यू-डायस कोड भरना था। इसमें संसाधन, शिक्षक व बच्चों की जानकारी देनी थी। सरकारी स्कूलों ने तो यू-डायस कोड भर दिया, लेकिन निजी स्कूलों द्वारा संसाधन और शिक्षकों की जानकारी दी गयी, पर बच्चों का ब्योरा नहीं दिया गया।

जहां मंदिर वहां भाजपा आगे

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: जिन मोहल्लों में मंदिर वहां भाजपा आगे, दक्षिण में उलट। अखबार लिखता है कि देश की सियासत में मंदिरों की कितनी भूमिका है इसे समझने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सर्वे कराया है। साथ ही पिछले 2 लोकसभा चुनाव के वोटिंग ट्रेंड का बारीकी से अध्ययन किया है। इसमें सामने आया है कि जिन इलाकों में कोई न कोई मंदिर है वहां आसपास के बूथों पर भाजपा बेहतर प्रदर्शन करती है। लेकिन अहम बात यह है कि यह ट्रेंड कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत में नहीं है। इसी समस्या का हल तलाशने के लिए भाजपा मंदिरों के आसपास के वोटरों की सिलसिलेवार मैपिंग करा रही है। भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार देश के हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन 485 मंदिर हैं। एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन 3683 मंदिर पढ़ते हैं। थोड़ा और बारीकी से देखें तो हर गांव में औसतन 3.5 मंदिर हैं।

गिरिराज के बिगड़े बोल

हिन्दुस्तान की खबर है: गिरिराज ने गोडसे को देश का सपूत बताया, विपक्ष बिफरा। गिरिराज सिंह ने नाथूराम गोडसे को भारत का ‘सपूत’ करार दिया है। कहा है कि महात्मा गांधी का हत्यारा मुगल शासक बाबर और औरंगजेब जैसा आक्रमणकारी नहीं था, क्योंकि वह भारत में पैदा हुआ था। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में गिरिराज ने कहा कि अगर गोडसे गांधी का हत्यारा था, तो भी वह (गोडसे) भारत का सपूत था। राजद सांसद मनोज झा ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा नाथूराम गोडसे को लेकर दिए गए बयान के बाद उन पर नफरत की फसल उगाने का आरोप लगाया। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि गिरिराज सिंह की भाषा उनकी मानसिकता को दर्शाता है। गोडसे की तरफदारी कर उन्होंने देश की भावनाओं को आहत किया है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड की तैयारी

भास्कर की खबर है: यूनिफॉर्म सिविल कोड का दस्तावेज तैयार हुआ। अखबार लिखता है कि करीब 8 महीने मैराथन बैठकों के दौर के बाद लॉ कमीशन ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर विस्तृत दस्तावेज तैयार कर लिया है। एक दो बैठकों में अंतिम मुहर के बाद इसे मानसून सत्र के पहले कानून मंत्रालय को सौंपने की तैयारी है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता का बिल तैयार करेगी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस बारे में बिल कब लाया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि 22 वें विधि आयोग ने इस विषय पर मिशन मोड में काम किया। आयोग ने 2 दर्जन से अधिक बैठकें की और प्रस्तावित कोड के सभी पहलुओं पर विचार के बाद एक व्यापक दस्तावेज तैयार किया है। इसमें सिविल कोड से जुड़े तमाम धर्मों के विधि-विधान और रीति-रिवाजों पर गहराई से गौर किया गया। माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव से पहले भाजपा का अगला लक्ष्य समान नागरिक संहिता हो सकता है।

नेपाल में भारतीय रुपये पर बट्टा

जागरण की खबर है: नेपाल में भारतीय रुपए के लेनदेन से कतरा रहे व्यवसायी, 10% तक ले रहे बट्टा।  बिहार में पूर्वी चंपारण सुपौल मधुबनी सीतामढ़ी और पश्चिम चंपारण जिले से सटे नेपाल के सीमावर्ती जिलों के पेट्रोल पंप और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भारतीय मुद्रा स्वीकार नहीं की जा रही है। वहां भारतीय रुपए की मांग घट गई है। बीते 2 माह से स्थिति बनी हुई है। हालांकि सरकारी स्तर पर ऐसा कोई आदेश निर्देश नहीं है इसके बावजूद व्यावसायिक लेन-देन में इसे स्वीकार नहीं किया जा रहा। पूर्वी चंपारण के रक्सौल से सटे पेट्रोल पंप पर तो पोस्टर चस्पां कर दिया गया जिसमें भारतीय रुपये नहीं लेने और विशेष परिस्थिति में स्वीकार करने पर बट्टा देने की सूचना है। भारतीय रुपया से सामान खरीदने पर 5 से 10% बट्टा लिया जा रहा है।

एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं अगर…

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: एलान: एशियाई खेलों में नहीं जाएंगे पहलवान। हरियाण के सोनीपत से खबर है कि कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के चल रहे आंदोलन के मसले पर शनिवार को खाप महापंचायत हुई। इसमें फैसला लिया गया कि 15 जून तक अगर बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं हुई तो पहलवान दिल्ली में फिर धरना-प्रदर्शन करेंगे। वहीं, पंचायत के बाद साक्षी मलिक ने ऐलान किया कि हम एशियाई खेलों में तभी जाएंगे जब यह सारा मुद्दा हल हो जाएगा। महापंचायत में पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया शामिल हुए। इसमें तय किया गया कि बृजभूषण की गिरफ्तारी तक पीछे नहीं हटेंगे। पहलवानों ने बताया कि कुछ मांगों पर सरकार के साथ उनकी सहमति बन गई है, लेकिन बृजभूषण की गिरफ्तारी को लेकर रजामंदी नहीं बन सकी है।

कुछ और सुर्खियां

  • पटना, सारण, शेखपुरा औरंगाबाद में जबरदस्त लू चलने का अनुमान
  • 28 जून से बिहार के सभी 78, 934 सरकारी स्कूलों में चलाया जाएगा निरीक्षण अभियान
  • पूर्णिया में बनेगा राज्य का चौथा एयरपोर्ट
  • कनाडा सरकार ने 700 भारतीय छात्रों को निकालने पर फिलहाल रोक लगाई
  • ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन को सांसद पद से देना पड़ा इस्तीफा
  • मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में न्यूनतम अंक की बाध्यता नहीं, अब सिर्फ 12वीं पास जरूरी
  • शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सूले को सौंपी अपनी पार्टी एनसीपी की कमान, बगावती भतीजे अजीत को जमीन दिखाई
  • पूर्णिया में ट्रैक्टर का चक्का फटा, रिंग से कोचिंग जा रहे भाई-बहन की मौत
  • गुजरात एटीएस का दावा: आईएस खुरासान के चार आतंकी पकड़े

अनछपी: बिहार से सटे नेपाल के जिलों में भारतीय रुपयों में कारोबार नहीं करने या उस पर बट्टा लेने की खबर बेहद अफसोसनाक और चिंताजनक है। एक तरफ भारत सरकार रुपए के सम्मान में वृद्धि का दावा करती है और नेपाल से अच्छे संबंधों का भी बखान करती है लेकिन भारतीय रुपयों में व्यापार में आने वाली इस मुश्किल से कहानी कुछ और नजर आती है। बिहार के जिन लोगों को नेपाल में व्यापार करना है उनके साथ तो मजबूरी है कि वे बट्टा देकर भी कारोबार करेंगे। ऐसे में बिहार सरकार को चाहिए कि वह केंद्र सरकार का इस ओर ध्यान दिलाए ताकि व्यापारियों को किसी नुकसान का सामना नहीं करना पड़े। इस खबर में बताया गया है कि नेपाल के बजट में कुछ ऐसी बातें कही गई है जिनसे भारतीय मुद्रा में व्यापार करने में घाटा हो सकता है। इसी घाटे को पूरा करने के लिए नेपाल के व्यापारी बट्टा मांग रहे हैं या साफ तौर पर भारतीय रुपए में व्यापार करने से इंकार कर रहे हैं। नेपाल के लोगों का यह भी कहना है कि पिछली बार के नोटबंदी से उन्हें काफी नुकसान हुआ और उनके पास करोड़ो रुपए बेकार रह गए। नेपाल के लोग इस बात को लेकर शक में पड़े रहते हैं कि कहीं फिर कोई नोटबंदी की घोषणा हो जाए तो उन्हें एक बार फिर घाटा होगा। केंद्र सरकार को चाहिए कि नोटबंदी के मामले में अपनी नीति साफ करें ताकि इसको लेकर जो अविश्वास की स्थिति है उससे निपटा जाए और भारतीय व्यापारियों को नुकसान न उठाना पड़े। भारतीय रिजर्व बैंक भी इस मामले में नेपाल के बैंक अधिकारियों से बात कर भारतीय व्यापारियों को राहत दिलाने में मदद कर सकता है। यह बात समझ में नहीं आने वाली है कि आखिर भारतीय मुद्रा में ऐसी क्या कमी आ गई कि नेपाल में इसे स्वीकार करने में हिचकिचाहट है।

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