छ्पी-अनछपी: शिक्षक और सिपाही के ट्रांसफर पर उथलपुथल, वक़्फ़ क़ानून रोकने पर फैसला सुरक्षित

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में शिक्षकों के तबादले की तैयारी है तो सिपाहियों के तबादले पर कोर्ट से रोक की खबर है। विवादास्पद वक़्फ़ कानून पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला सुरक्षित कर लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनकी नसों में गर्म सिंदूर बह रहा है। इमारत-ए-शरिया ने समानांतर बैठक को फूट डालने वाला बताया है।

और, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर आलोचना करने वाले पूर्व राज्यपाल सत्यपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दाखिल की गई है।

पहली खबर

प्रभात खबर ने पहले पेज दो खबरों को अगल-बगल में जगह दी है। एक खबर की सुर्खी है: कोर्ट ने 19858 सिपाहियों के तबादले पर लगाई रोक। दूसरी सुर्खी है अगले हफ्ते से 1.19 लाख शिक्षकों के होंगे ट्रांसफर। पटना हाई कोर्ट ने राज्य के 19858 सिपाहियों के किए गए सामूहिक तबादले के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करते हुए हालकनामा दायर करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राजेश वर्मा की एकल पीठ ने अमिताभ बच्चन और अन्य की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अब इस मामले की सुनवाई ग्रीष्म अवकाश के बाद 23 जून को की जाएगी।

1.19 लाख शिक्षकों के होंगे ट्रांसफ़र

बिहार सरकार विशेष आधार पर शिक्षकों के तबादले और पोस्टिंग की कवायद का एक खास चरण शुरू करने जा रही है। इस चरण में पहले हफ्ते की शुरुआत में करीब 1.19 लाख शिक्षकों के तबादले एक साथ संभव हैं। इसमें वे शिक्षक भी होंगे जिनके तबादले जिलों के अंदर ही होने हैं। विभाग इस दिशा में अभी अभ्यास कर रहा है जिसमें सॉफ्टवेयर ट्रायल भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार विभागीय मुख्यालय पर इतनी बड़ी संख्या में एक साथ तबादला करने की रणनीति है। इसमें सभी तरह के शिक्षक शामिल होंगे।

चुनाव से जुड़े कर्मचारियों का 31 अगस्त से पहले हो तबादला

जागरण के अनुसार विधानसभा चुनाव तैयारी को लेकर चुनाव आयोग सभी प्रबंध अभी से सुनिश्चित करने में जुटा है। विशेष कर चुनाव आयुक्त डॉ विवेक जोशी के चार दिवसीय बिहार दौरे के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की सक्रियता हर तरफ बढ़ गई है। जोशी ने कई बिंदुओं पर ध्यान दिलाते हुए सीओ विनोद सिंह गुंजियाल को राज्य में 3 वर्ष से अधिक समय तक एक ही स्थान पर जमे अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला 31 अगस्त के पहले करने का निर्देश दिया है।

वक़्फ़ कानून पर अंतरिम रोक का फैसला सुरक्षित

हिन्दुस्तान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट यह फैसला देगा कि इस कानून पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं। इससे पहले भी मुख्य न्यायाधीश गवई ने 20 मई को इन याचिकाओं पर बहस के दौरान कहा था कि यदि आप (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि अंतरिम तौर पर इस कानून पर रोक लगाई जाए तो आपको एक बहुत मजबूत और स्पष्ट आधार बताना होगा, अन्यथा कानून की संवैधानिकता की धारणा बनी रहेगी।

प्रैक्टिसिंग मुस्लिम की शर्त को शरई क़ानून से जोड़ा

जागरण के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से पेस्ट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून में वक़्फ़ करने वाले के लिए 5 वर्ष का प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की अनिवार्यता के प्रावधान को सही ठहराते हुए कहा कि शरई कानून में भी अगर कोई मुस्लिम पर्सनल लॉ का लाभ लेना चाहता है तो उसे मुस्लिम होने का घोषणा पत्र देना होता है। इस कानून में भी यही है। बस 5 साल के प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की बात कही गई है।

हिंदू मस्जिद बना सकता है, वक़्फ़ नहीं कर सकता: सरकार

भास्कर के अनुसार वक़्फ़ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिंदू धर्मार्थ मस्जिद तो बना सकता है लेकिन वक़्फ़ नहीं सकता क्योंकि वह इस्लाम का पालन नहीं करता। उधर याचिका कर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड सरकार के कब्जे में है। संपत्ति सरकारी साबित करने के लिए जांच से पहले सरकार रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर सकती है।

मेरी नसों में गर्म सिंदूर बह रहा: मोदी

प्रभात खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राजस्थान के बीकानेर से पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है। पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाके पालना देशनोक में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा “दुनिया और देश के दुश्मनों ने देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो नतीजा क्या होता है।” बोले, “मोदी का दिमाग ठंडा रहता है लेकिन मोदी का लहू गर्म होता है। अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं गर्म सिंदूर बह रहा है।”

इमारत में फूट डालने की कोशिश: नाजिम

मजहरुल हक ऑडिटोरियम में आयोजित कथित मजलिस-ए-अरबाब-ए-हल व अकद का इमारत शरिया से कोई संबंध नहीं है। हिन्दुस्तान ने इसकी जानकारी देते हुए बताया है कि इमारत शरिया के कार्यवाहक नाजिम मुफ्ती मोहम्मद सईद रहमान कासमी ने गुरुवार को मीडिया से ये बातें कही हैं। कहा कि इमारत-ए-शरिया सौ साल पुराना धार्मिक और सामाजिक संगठन है, जिसे हमारे बुजुर्गों ने बहुत मेहनत और ईमानदारी से बनाया है। इस संस्था का अपना एक नियम और तरीका है, जिसके तहत अमीर-ए-शरीअत का चुनाव होता है। एक तरफ इमारत शरिया वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है और दूसरी तरफ संस्था को तोड़ने की साजिश हो रही है। अरबाब-ए-हल व अकद इमारत शरिया की एक महत्वपूर्ण समिति है। इसके सदस्य मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी, मस्जिदों के इमाम समेत मदरसों और समाज के प्रतिष्ठित लोग होते हैं, जिनकी फेहरिस्त इमारत शरिया कार्यालय में मौजूद है। इनको छोड़कर किसी और को बुलाना संस्था के नियम और ताकत को कमजोर करना है। उन्होंने कहा कि अरबाब-ए-हल व अकद की अगली बैठक आगामी 25 मई को इमारत शरिया के दफ्तर में होगी। उस दिन वास्तविक सदस्य इसका सही जवाब देंगे।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर चार्जशीट

हिन्दुस्तान के अनुसार किरू जलविद्युत परियोजना में 2,200 करोड़ के कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सीबीआई के आरोपपत्र में सात अन्य लोगों के नाम भी शामिल हैं। एजेंसी ने तीन साल की जांच के बाद मलिक और उनके दो सहयोगियों वीरेंद्र राणा और कंवर सिंह राणा को आरोपी बनाते हुए अदालत के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया। मलिक ने गुरुवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह अस्पताल में भर्ती हैं।

कुछ और सुर्खियां:

  • इसराइली दूतावास के दो कर्मचारियों की अमेरिका में हत्या
  • बिहार पुलिस मुख्यालय ने एक ही रेंज में 8 साल या उससे ज्यादा समय से जमे 2645 पुलिसकर्मियों का तबादला किया
  • एम्स, पटना में 3 महीने के भीतर 400 बेड बढ़ाने का प्रस्ताव
  • भारतीय जनता पार्टी के अलीनगर विधायक मिश्रीलाल यादव 6 साल पुराने मारपीट के मामले में दोषी करार, न्याय हिरासत
  • सुप्रीम कोर्ट ने सीट ब्लॉक करने से पहले नीट पीजी का फीस बताना जरूरी करार दिया

अनछपी: पिछले कई सालों से ईडी के बारे में यह राय पाई जाती है कि मोदी सरकार इसका इस्तेमाल अपने विरोधियों को डराने धमकाने के लिए और उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए करती है। मोदी सरकार पर व्यक्तिगत तौर पर राजनेताओं के खिलाफ तो ईडी के इस्तेमाल करने का आरोप लगता ही है, साथ ही साथ विपक्षी दलों वाली राज्य सरकारों के साथ भी उसका टकराव इसी मुद्दे पर होते रहता है। हो सकता है कि बहुत से लोगों को यह राजनीतिक आरोप लगे लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के बारे में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि इसने सारी हदें लांघ दी हैं और संविधान का उल्लंघन कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी ईडी द्वारा तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन के खिलाफ की जा रही छापेमारी और जांच पर रोक लागते हुए यह टिप्पणी की। यह मामला शराब की दुकानों के लाइसेंस देने में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने ईडी की  कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ईडी सारी सीमाएं लांघ कर देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की पीठ ने तमिलनाडु सरकार और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। ऐसा पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्रवाइयों पर सख्त ऐतराज जताया हो। याद रखने की बात यह भी है कि कई लोगों पर ईडी का केस तब बंद करने का मामला भी सामने आ चुका है कि जब ऐसे लोगों ने अपनी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन कर लिया या उसके खेमे में आ गए। सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की यह कड़ी टिप्पणियां ईडी को आगे से सीमा लांघने से रोक पाएंगी?

 

 521 total views

Share Now