किसान आंदोलन के समर्थन और सीएए आंदोलन की याद में धरना, उपवास

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट

पटना, 30 दिसंबर: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर जारी किसान आंदोलन ने सीएए, एनआरसी के खिलाफ शाहीनबाग आन्दोलन की याद ताजा कर दी है। तब भी ठंड का मौसम था लेकिन आंदोलनकारियों के दिलों में विरोध की आग सुलग रही थी। तब शाहीनबाग से निकली यह चिंगारी पूरे भारत में फैल गई थी। इससे बिहार भी अछूता नहीं था और महिलाओं एवं युवाओं के नेतृत्व में जगह-जगह देर रात तक धरना-प्रदर्शन और भाषण का सिलसिला जारी रहता था। यह उसी आंदोलन का असर था कि कई स्थानों का नामाकरण ‘शांतिबाग’ के नाम पर हो गया था।

ऐसे ही ऐतिहासिक शांतिबाग आंदोलन की शुरूआत के एक साल पूरा होने और कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में गया स्थित शांतिबाग मैदान में मंगलवार को एक दिवसीय धरना सह उपवास का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संविधान बचाओ मोर्चा के तत्वावधान में किया गया।

इस अवसर पर समाज के विभिन्न वर्ग एवं समुदाय के लोगों ने जमा होकर संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया और किसान आंदोलन के प्रति अपना समर्थन दर्ज कराया। इसके साथ ही सीएए कानून वापस कराने के लिए जरूरत पड़ने पर दोबारा आंदोलन करने का लोगों ने शपथ भी लिया।

इस अवसर पर संविधान बचाओ मोर्चा ने प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर कृषि कानूनों और नागरिकता कानून के संदर्भ में अपनी मांगें पेश कीं।

संविधान बचाओ मोर्चा ने नवनिर्वाचित मखदूमपुर विधायक और संविधान बचाओ मोर्चा के सह संयोजक सतीश कुमार दास को दलित-मुस्लिम एकता को और मजबूत करने के लिए ज्ञापन के माध्यम से सुझाव भी दिये।

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