छ्पी-अनछपी: वोटर वेरिफिकेशन ऑर्डर पर बवाल, टीचर ट्रांसफर अब आपसी सहमति से

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। चुनाव आयोग के वोटर वेरीफिकेशन ऑर्डर का विपक्ष ने यह कहते हुए विरोध किया है कि यह कमजोर वर्ग के खिलाफ है। बिहार में स्कूल टीचर अब आपसी सहमति से ट्रांसफर करा सकेंगे। हिमाचल और जम्मू के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। ईरान के सुप्रीम लीडर ख़ामेनेई ने कहा है कि ईरान ने अमेरिका के चेहरे पर जोरदार तमाचा मारा है।

और, जानिएगा की भारत की किस आपत्ति पर शंघाई सहयोग संगठन का घोषणा पत्र रद्द करना पड़ा।

पहली खबर

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 25 जून से शुरू मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से ‘इंडिया’ के घटक दल नाराज है। राजद, कांग्रेस और वाम दलों ने इसकी शर्तों, क्रियान्वयन की अवधि एवं अन्य बिंदुओं आपत्ति जताई है। उनके विरोध का मुख्य बिंदु 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे किसी व्यक्ति को अपने माता या पिता में से किसी एक के भारतीय नागरिक होने और 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के नागरिक होने के प्रमाण देने की शर्तें हैं। इधर, गुरुवार को प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में दौरान राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह अभियान भाजपा-जदयू को फायदा पहुंचाने के लिए चलाया जा रहा है। यह गरीब और वंचितों को मतदान से वंचित रखने की साजिश है। वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव ललन चौधरी ने कहा कि राजनीतिक दलों को विश्वास में लिए बिना इस कार्यक्रम की शुरुआत कर देना अलोकतांत्रिक एवं अव्यावहारिक है।

विशेष सघन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को रोकने की मांग

भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण की प्रक्रिया को रोकने की मांग की है। उन्होंने विशेष सघन पुनरीक्षण को अव्यवहारिक योजना बताया। गुरुवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार, दीपंकर भट्टाचार्य ने चुनाव के पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को लेकर बड़े पैमाने पर विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाने के आदेश पर आश्चर्य एवं चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एक माह के भीतर राज्य के 7.8 करोड़ से अधिक मतदाताओं का घर-घर सर्वेक्षण करने का लक्ष्य तय किया है। चुनाव आयोग 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाना चाहता है, जिसमें करीब 5 करोड़ मतदाता थे। उन्होंने कहा कि उसके बाद जो मतदाता जोड़े गए हैं, उन्हें अब पहचान से जुड़े कई अनिवार्य दस्तावेज देने होंगे। ऐसे में कई मतदाता अपने वोट के अधिकार से वंचित हो जाएंगे।

वोटर वेरिफिकेशन में शामिल नहीं हुए तो वोटिंग करने नहीं दिया जाएगा

जागरण के अनुसार विधानसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के निर्णय ने राजनीतिक दलों के साथ ही मतदाताओं की बेचैनी बढ़ा दी है। आयोग ने विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान शुरू किया है। इसमें हर मतदाता के लिए स्वयं को सत्यापित करना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर मतदाता निर्धारित फॉर्म भरकर अपनी जन्मतिथि या निवास स्थान के प्रमाण के साथ निर्धारित 11 मानकों पर सत्यापन नहीं करते हैं तो उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा। इस बार नई मतदाता सूची तैयार होगी और जो इस सूची में शामिल नहीं होंगे उन्हें वोट देने नहीं दिया जाएगा।

आपसी सहमति से टीचर करा सकेंगे ट्रांसफर

जागरण के अनुसार बिहार में सभी शिक्षकों को आपसी सहमति के जरिए स्कूल चयन करते हुए अपना स्थानांतरण खुद करने का मौका दिया जा रहा है। इस नई व्यवस्था के तहत दो या दो से अधिक और अधिकतम 10 एक ही श्रेणी के शिक्षक समूह बनाकर परस्पर सहमति से अपना स्थानांतरण पसंद के स्कूल में कर सकेंगे। यह व्यवस्था 10 जुलाई से पूरे जुलाई माह के लिए उपलब्ध रहेगी। इसकी जानकारी गुरुवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉक्टर एस सिद्धार्थ ने दी। यह तबादले नियमित से नियमित, विशिष्ट से विशिष्ट शिक्षक और विद्यालय अध्यापक से विद्यालय अध्यापक के बीच ही होंगे।

हिमाचल और जम्मू के कई इलाके बाढ़ की चपेट में

प्रभात खबर के अनुसार भारत के विभिन्न हिस्सों में मानसून ने कहर बरपाया है। हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा और कुल्लू जिलों में अचानक आई बाढ़ से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सात दूसरे लोग लापता हैं। एनडीआरएफ और दूसरी एजेंसियां राहत बचाव के काम में जुटी हैं। वहीं जम्मू कश्मीर में माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाला नया मार्ग भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हो गया है। यात्रा पुराने मार्ग से जारी है।

ईरान ने अमेरिका के चेहरे पर जोरदार तमाचा मारा: ख़ामेनई

हिन्दुस्तान के अनुसार ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इसराइल-ईरान के बीच युद्धविराम के बाद गुरुवार को अपना पहला सार्वजनिक बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि उनके देश ने इसराइल पर जीत हासिल की है। साथ ही यह भी कहा कि ईरान ने अमेरिका के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है। खामेनेई ने ईरान के सरकारी टेलीविजन पर प्रसारित एक वीडियो संदेश में ये टिप्पणियां कीं। इसराइली सेना की तेहरान पर बमबारी के बाद 12 दिनों तक चले युद्ध के दौरान 86-वर्षीय खामेनेई ने एक गुप्त स्थान पर शरण ली थी। उन्होंने कहा, अमेरिका ने युद्ध में केवल इसलिए हस्तक्षेप किया, क्योंकि उसे लगा कि अगर उसने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यहूदी शासन पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा।

शंघाई सहयोग संगठन का घोषणा पत्र रद्द

भास्कर के अनुसार चीन के किंगदाओ शहर में गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक बिना किसी साझा बयान के समाप्त हो गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसकी वजह यह थी कि इस दस्तावेज में पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था जिसमें 26 निर्दोष लोगों की हत्या की गई थी। इसके उलट साझा बयान में बलूचिस्तान का उल्लेख किया गया था। भारत ने इसे पाकिस्तान और उसके करीबी चीन की मिलीभगत बताया। चीन इस समय एससीओ का अध्यक्ष है। बता दें कि एससीओ की बैठक में सभी सदस्य देशों को साझा बयान को मंजूरी देनी होती है।

कुछ और सुर्खियां:

  • बिहार से दूसरे राज्यों के लिए चलेंगी 299 बसें
  • बीपीएससी 71वीं में वैकेंसी की संख्या बढ़कर 1298 हुई
  • बिहार में 29 जून से फिर होगी झमाझम बारिश
  • फास्टैग से पार्किंग और पेट्रोल पंप पर भी भुगतान की तैयारी
  • अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचे

अनछपी: चुनाव आयोग ने वोटर वेरीफिकेशन का जो कार्यक्रम जारी किया है वह आम मतदाताओं के लिए और राजनीतिक दलों के लिए भी बहुत परेशान करने वाला और घोर आपत्तिजनक है। सबसे बड़ी बात यह है की वोटर लिस्ट का रिवीजन तो अक्सर होते रहता है और मतदाता सूची में नाम जोड़ने और काटने का काम भी चलते रहता है। अब इस रिवीजन को नया नाम दिया गया है और इसके तहत हर एक वोटर का वेरिफिकेशन होना है और इसके लिए जो शर्तें बताई जा रही हैं वह गंभीर समस्याएं पैदा करने वाली हैं। पहली समस्या तो यह है कि वोटर वेरीफिकेशन के लिए जो सबूत मांगे जा रहे हैं वह अक्सर लोगों के पास या तो नहीं मिलेंगे या उसमें वक़्त लगेगा। दूसरी बात यह है कि इसके लिए बहुत कम वक़्त दिया गया है और अगर इसकी बुनियाद पर किसी का नाम वोटर लिस्ट से कटता है तो उसके पास अपील करने का क्या तरीका होगा, यह भी नहीं बताया गया है। तीसरी बात यह कि जो लोग वोटर वेरीफिकेशन के लिए बताए गए वक़्त पर अपने घर से बाहर रहेंगे उनका वेरिफिकेशन कैसे होगा? कोई अगर 15-20 दिन के लिए अपने घर से बाहर गया हो तो वह इस वोटर वेरीफिकेशन में अपनी उपस्थिति कैसे दर्ज कराएगा? चुनाव आयोग ने अपने नोटिफिकेशन में जो बात नहीं कही है लेकिन जिसकी चर्चा जरूरी है वह यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के आरोप में बहुत से लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कटने का खतरा है। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग की शर्तें सबको परेशान करेंगी लेकिन अगर इसमें अधिकारियों ने कोई ढिलाई बरती तो एक खास वर्ग को ही परेशानी होगी और बाकी लोगों को छूट मिल जाएगी। इसी तरह की समस्या महाराष्ट्र में सामने आ चुकी है और कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर लोगों का गलत ढंग से नाम काटने और नाम जोड़ने का आरोप लगाया है। एक और बात यह है कि इस वोटर रिवीजन में दरअसल अपनी नागरिकता साबित करने की शर्त है और बहुत से लोगों को लग रहा है कि यह एक तरह का एनआरसी ही है। यानी भारत सरकार सीधे एनआरसी नहीं करा कर चुनाव आयोग की इन शर्तों को ही एनआरसी जैसा बना रही है। यह सही है कि भारत में वही लोग मतदाता बन सकते हैं जो भारत के नागरिक हैं लेकिन यह सर तो सिर्फ उनके लिए होनी चाहिए जिनके बारे में शक हो। अगर पूरे बिहार के मतदाताओं को शक की सूची में डाला जा रहा है तो यह बेहद चिंताजनक बात है।

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