छ्पी-अनछपी: वक़्फ़ बिल क़ानून बना, पटना में दिनदहाड़े सवा करोड़ की डकैती

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लोकसभा और राज्यसभा से पारित वक़्फ़ संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है और इसके साथ ही यह अब कानून बन चुका है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि वह वक़्फ़ के कानून को कूड़ेदान में डाल देंगे। जदयू के मुस्लिम नेताओं ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की ओर से वक़्फ़ के लिए जो पांच संशोधन पेश किए गए थे उन्हें माना गया है। पटना में कारोबारी के परिवार को बंधक बनाकर दिनदहाड़े सवा करोड़ की डकैती की गई।

और, जानिएगा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए सबसे ज्यादा किस राज्य से मिले आवेदन।

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 अब कानून बन गया है। इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को मंजूरी दे दी। इसके बाद देर रात केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी की।

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों ने लंबी बहस के बाद पारित कर दिया था। राज्यसभा में विधेयक पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई और पक्ष में 128 तथा विरोध में 95 वोट पड़े। इससे पहले लोकसभा ने करीब 12 घंटे की बहस के बाद बिल को मंजूरी दी थी, जिसमें 288 मत पक्ष और 232 मत विपक्ष में पड़े थे।

हमारी सरकार बनी तो वक़्फ़ कानून को कूड़ेदान में डालेंगे: तेजस्वी

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि हमारी सरकार बिहार में बनी तो वक्फ कानून कूड़ेदान में डाला जाएगा। हमारी सरकार यह कानून किसी कीमत पर लागू नहीं होने देगी। शनिवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में तेजस्वी ने बताया कि राजद की ओर से संसद के दोनों सदनों में विरोध दर्ज कराया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जो लोग मुसलमानो का हितैषी होने का ढोंग करते हैं, उनकी पोल खुल गयी है। वक्फ संशोधन विधेयक असंवैधानिक बिल है और इसमें संविधान की धारा 26 का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के अल्पसंख्यक विरोधी प्रकोष्ठ के तौर पर जदयू काम कर रहा है। इतने महत्वपूर्ण विषय होने पर भी मुख्यमंत्री मौन हैं।

हमारे सभी सुझाव माने गए: जदयू

जागरण की सबसे बड़ी खबर के अनुसार वक़्फ़ संशोधन विधेयक को संसद में समर्थन देकर विपक्ष का हमला झेल रहे जदयू ने शनिवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय में अल्पसंख्यक नेताओं की मौजूदगी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह दावा किया कि वक़्फ़ संशोधन बिल में जदयू की तरफ से जो सुझाव दिए गए थे उनमें सभी को केंद्र सरकार ने मान लिया। यही वजह रही कि जदयू ने इस बिल का समर्थन किया। जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन बिल पर जदयू के जिन सुझावों को माना गया उनमें पहला यह है कि जमीन राज्य का मामला है, इसलिए नए कानून में भी यह प्राथमिकता बरकरार रहे। दूसरा सुझाव यह था कि नया कानून पूर्व की तारीख से प्रभावित नहीं हो। तीसरा अगर वक़्फ़ की कोई संपत्ति निबंधित नहीं है लेकिन उसे पर कोई धार्मिक भवन मसलन मस्जिद व दरगाह आदि बना हो तो उसमें कोई छेड़छाड़ ना किया जाए। उसके स्टेटस को बरकरार रखा जाए।

पटना में सवा करोड़ की डकैती

भास्कर के अनुसार रामनवमी में कड़ी सुरक्षा के बीच हथियारबंद डकैतों ने हार्डवेयर कारोबारी संतोष प्रकाश के घर से सवा करोड़ रुपये के गहने और सवा लाख रुपए कैश की डकैती कर ली। घटना पटना के अगमकुआं थाना इलाके की नालंदा कॉलोनी में दिन के करीब 10:30 बजे हुई। संतोष उस समय घर पर थे। पांच नकाबपोश लुटेरे घर में हथियार लेकर घुसे और कारोबारी समेत परिवार के सभी सदस्यों को बंधक बनाकर डकैती की बड़ी घटना को अंजाम दिया। विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी। डकैतों ने परिवार के सभी सदस्यों के मोबाइल फोन को भी ले लिए। पांच डकैत घर के अंदर घुसे थे और एक दो बाहर में मौजूद थे। करीब 20 मिनट तक डकैत कारोबारी के घर में रहे और फिर गहने और नकद को झोले में भरने के बाद में गेट को बाहर से बंद कर दिया।

प्रधानमंत्री आवास योजना में सबसे ज्यादा लाभुक बिहार के

प्रभात खबर की खबर है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में लाभुकों का चयन करने के लिए राज्य भर में सर्वे कराया जा रहा है। 3 मार्च तक 70 लाख 93 हजार 576 लागू का सर्वे हो चुका है। देश भर में अभी सबसे अधिक लाभुकों का सर्वे बिहार में ही हुआ है। इनमें पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, समस्तीपुर और गया में सर्वाधिक साढ़े तीन लाख से भी अधिक लाभुकों के नाम सर्वे के माध्यम से जोड़े गए हैं। अभी 30 अप्रैल तक सर्वे होना है। संभावना है कि एक करोड़ के आसपास लाभुकों के नाम सर्वे के माध्यम से आ सकते हैं। अखबार ने यह बात नहीं लिखी है लेकिन यह ध्यान देने की बात है कि इस साल बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है और ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस योजना का लाभ दिया जाना है।

कुछ और सुर्खियां:

  • रामनवमी आज, पूरे बिहार में सुरक्षा बलों की 50 कंपनियां तैनात
  • कांग्रेस की ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा में शामिल होने कल बेगूसराय आएंगे राहुल गांधी
  • एक साल में जयप्रकाश गंगा पथ से जुड़ जाएगा पटना साहिब रेलवे स्टेशन
  • बिहार में 33 महीना में 1584 स्टार्टअप रजिस्टर किए गए
  • घर पर नकदी मिलने से चर्चा में आए जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिल्ली से ट्रांसफर के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में शपथ ली

अनछपी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली पार्टी जनता दल यूनाइटेड के मुस्लिम नेताओं की हालत बहुत ही खराब चल रही है जिसकी वजह है विवादस्पद वक़्फ़ बिल पर पार्टी का समर्थन। नीतीश कुमार का तो कोई बयान सामने नहीं आया है और वह क्या सोचते हैं इसका भी पता नहीं चल पाया लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी पर जिन भाजपाई तत्वों का कब्जा है उनके आदेश पर जदयू के मुस्लिम नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई और उसमें इन नेताओं ने दावा करने की कोशिश की कि उनकी पार्टी ने जो पांच संशोधन बताए थे वह मान लिए गए, इसलिए पार्टी ने इस बिल का समर्थन किया। इस पर तुरंत यह सवाल सामने आता है कि उनकी पार्टी के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में जो भाषण दिया उसमें तो इन पांच संशोधनों का जिक्र नहीं था। जदयू ने कभी इससे पहले यह नहीं बताया कि उसने पांच संशोधन पेश किए हैं। इसे ही अंग्रेजी में आफ्टर थॉट कहा जाता है यानी बाद में बनाई गई बात। एक संवाददाता ने ठीक ही पूछा कि क्या उन संशोधनों में यह बात भी शामिल थी कि वक़्फ़ के लिए ग़ैर मुस्लिम दान नहीं कर सकता लेकिन ग़ैर मुस्लिम को वक़्फ़ बोर्ड का सदस्य बनाया जा सकता है। इस सवाल का कोई जवाब इन नेताओं ने नहीं दिया। यह तो सार्वजनिक बयान हुआ लेकिन अपनी निजी बातचीत में इनमें से सब के सब यह मानते हैं कि वक़्फ़ संशोधन बिल दरअसल वक़्फ़ की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए बनाया गया कानून है। इसीलिए जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन मुस्लिम नेताओं से संवाददाताओं ने सवाल शुरू किया तो सब के सब बिना जवाब दिए प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठकर चले गए। इन नेताओं पर मुस्लिम समाज और मुस्लिम संगठनों का भारी दबाव है कि वह पार्टी से इस्तीफा दें लेकिन कुछ एक छोटे नेताओं को छोड़कर कोई इसके लिए तैयार नहीं है। इससे यह तो पता चलता है कि सच का साथ देने के लिए वह अपने स्वार्थ को नहीं छोड़ना चाहते। एक सवाल यह भी है कि क्या उनके इस्तीफा देने से जदयू के नेतृत्व पर कोई फर्क पड़ेगा? दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि इस्तीफा देने से एक संदेश तो जरूर जाता है और कहीं ना कहीं नेतृत्व पर दबाव भी पड़ता है। अखबारों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई रिलीज पर तो खबर बना दी लेकिन इस बात की चर्चा बहुत कम की कि कैसे उन नेताओं ने सवालों का जवाब नहीं दिया। जिन मुस्लिम नेताओं को इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल किया गया था उनमें से कम से कम एक नेता ऐसे थे जिन्होंने इस बिल का दो दिन पहले तक विरोध किया था लेकिन उन्हें शायद बोलने की अनुमति नहीं थी। बहरहाल, फिलहाल यही माना जाएगा कि जदयू के मुस्लिम नेताओं ने पार्टी में अपनी सुख सुविधाओं का ही ध्यान रखा और वक़्फ़ के खिलाफ जो साजिश है उसे नजरअंदाज कर दिया। दूसरी बात यह कि जनता दल यूनाइटेड के नेतृत्व को यह मालूम होना चाहिए कि मुस्लिम नेताओं के ऐसे दावों से मुस्लिम समाज पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

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