छ्पी-अनछ्पी: महुआ मोइत्रा की सांसदी ली गई, सीवान डीईओ के ठिकानों से 16 लाख कैश ज़ब्त

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा को कथित तौर पर पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने की खबर प्रमुखता से ली गई है। सीवान के डीईओ मिथिलेश कुमार सिंह के ठिकानों से 16 लाख नक़द ज़ब्त होने की खबर भी पहले पेज पर है। उधर रांची से खबर है कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य धीरज साहू के ठिकानों से मिले नोटों का मूल्य 300 करोड़ से अधिक हो चुका है। इसकी भी अच्छी कवरेज है।
हिन्दुस्तान और जागरण की सबसे बड़ी खबर महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द होना है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर सत्तापक्ष की ओर से रखे गए निष्कासन के प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले विपक्ष ने इसका जोरदार विरोध किया और महुआ को अपनी बात रखने का मौका देने की मांग की। विरोध में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत अधिकांश विपक्ष दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।
महुआ पर क्या था आरोप?
भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, महुआ ने अपने लोकसभा पोर्टल की यूजर आईडी और पासवर्ड अनधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा करके सदन की अवमानना की है। समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। जबकि, समिति के चार विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे। विपक्षी सदस्यों का कहना था कि महुआ मोइत्रा पर लगाए गए आरोपों में पुख्ता सबूत नहीं हैं।
क्या कहती हैं महुआ?
पश्चिम बंगाल की कृष्णा नगर सीट से सांसद चुनी गईं महुआ का कहना है कि उन्हें बिना सबूत के ही दोषी ठहरा दिया गया है। उनका कहना है कि उन्हें ऐसी आचार संहिता का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है जो वर्तमान में मौजूद नहीं है। उनके अनुसार आचार समिति ने नियमों की अनदेखी की है। अब उनके पास इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प है लेकिन लोकसभा का बचा हुआ समय देखते हुए इसकी उम्मीद कम है।
डीईओ के पास 16 लाख कैश
भास्कर की पहली खबर है: सीवान के घूसखोर डीईओ, लेनदेन का पूरा हिसाब डायरी में दर्ज। प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: 16 लाख कैश मिला, 1.88 करोड़ के फ्लैट व प्लॉट का भी पता चला। सीवान के जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह के कार्यालय और आवास के साथ-साथ पटना में भी दो परिसरों पर निगरानी ब्यूरो की टीम ने शुक्रवार सुबह एक साथ छापेमारी की। इस दौरान टीम को 16.07 लख रुपए नक़द मिले। इसमें सीवान कार्यालय से 2.22 लाख, सीवान स्थित आवास से 11.85 लाख और पटना के कवि रमन पथ स्थित फ्लैट से 2 लाख नकद मिले हैं। निगरानी की टीम को मिथिलेश कुमार के ग्रेटर नोएडा में चार फ्लैट, औरंगाबाद में पांच फ्लैट, पटना में एक फ्लैट और दो प्लॉट के साक्ष्य मिले हैं जिनकी कीमत करीब 1.88 करोड़ है। रोचक बात यह है कि डीईओ मिथिलेश कुमार अप्रैल में अच्छे कार्यालय के लिए सम्मानित किए गए थे।
सांसद के ठिकानों पर 300 करोड़ कैश
हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: सांसद के ठिकानों से तीन दिन में 300 करोड़ मिले। झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू और उनसे जुड़ी फर्मों पर आयकर विभाग की छापेमारी लगातार तीसरे दिन भी जारी रही। शनिवार को भी रांची स्थित उनके आवास और ओडिशा स्थित ठिकानों पर आयकर अधिकारियों ने दबिश दी। इस दौरान अब तक धीरज साहू के ठिकानों से करीब 300 करोड़ रुपए मिल चुके हैं और नोटों की गिनती अभी जारी है।
नीतीश करेंगे दौरा
प्रभात खबर की खबर है: नीतीश कुमार करेंगे बिहार उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित कई राज्यों की यात्रा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड सहित अन्य राज्यों की यात्रा करेंगे। इसकी रूपरेखा तय हो रही है। 15 दिसंबर के बाद उनकी यात्रा की शुरुआत उत्तर प्रदेश से हो सकती है। इसके बाद जनवरी में उनकी झारखंड की यात्रा संभावित है। हर बार की तरह इस बार भी ठंड में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा करेंगे। इन सभी यात्राओं का मूल मकसद आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर जन संवाद करना है।
बेटी नहीं बची तो बेटों संग दे दी जान
हिन्दुस्तान के अनुसार गोपालगंज में बेटी की मौत होने से हताश पिता ने अपने दो बेटों के साथ शुक्रवार की सुबह छपरा-थावे रेलखंड के चंदनटोला गांव के समीप ट्रेन से कटकर जान दे दी। मृतकों के नाम चंदनटोला निवासी पिता रामसूरत चौहान, पुत्र सचिन कुमार चौहान व दीपक कुमार चौहान हैं। पंचायत के सरपंच हरिहर सिंह ने बताया कि आरपीएफ व स्थानीय थाने की पुलिस ने शव का पंचनामा कर उन्हें सौंपा। इसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से रेलवे ट्रैक के किनारे ही चारों शवों का दाह संस्कार कर दिया गया। रामसूरत चौहान की बेटी सुभावती देवी पिछले पांच वर्षों से लकवा से पीड़ित थी। उसका इलाज पहले आसपास के अस्पतालों में हो रहा था। उसकी हालत देखकर डॉक्टरों ने उसे दिल्ली रेफर कर दिया। जिससे गरीब पिता काफी हताश थे। पैसा नहीं होने के चलते पूरा परिवार चिंता में डूबा था, तभी अचानक गुरुवार की शाम बहन सुभावती ने दम तोड़ दिया।
कुछ और सुर्खियां
● यूपीआई से लेनदेन की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये हुई
● बैंक कर्मचारियों का वेतन 17 फ़ीसदी बढ़ेगा
● ग्रामीण कार्य विभाग में 2261 पदों पर होगी भर्ती
● भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चुनने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया
● मिजोरम में लालदुहोमा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली
● आज से दक्षिण बिहार में घने कोहरे के आसार, गिरेगा पारा।
अनछ्पी: सवा सौ करोड़ से अधिक आबादी वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि जब वह तीसरी बार जीतेंगे तो भारत तीसरी बड़ी इकोनॉमी हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार गांव देहातों के किस्से सामने लाते हैं तो क्या वह गोपालगंज के उस व्यक्ति के बारे में बात करना पसंद करेंगे जिसकी बेटी का इलाज संभव न हुआ और उसकी जान चली गई तो उसके पिता ने अपने दो बेटों संग जान दे दी। गोपालगंज के रामसूरत चौहान उस भारत के नागरिक हैं जिसकी आर्थिक प्रगति के बारे में बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। अखबारों के अनुसार रामसूरत चौहान अपनी बेटी को दिल्ली ले जाकर इलाज करने की स्थिति में नहीं थे और इसी कारण उनकी बेटी की जान चली गई। हमारे नेता बड़े जोर शोर से कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं लेकिन हकीकत यह है कि जो वास्तविक हकदार है वह संघर्ष कर रहा है। 5 लाख तक के मुफ्त इलाज की आयुष्मान योजना भी ऐसे हकदार लोगों को नहीं मिली है जिसका नतीजा है कि लोग हताश हो जाते हैं और अपनी जान दे देते हैं। आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए राशन कार्ड की शर्त है और राशन कार्ड बनाया ही नहीं जा रहा है। क्या आयुष्मान कार्ड के लिए किसी एक व्यक्ति का आधार कार्ड ही काफी नहीं होना चाहिए कि राशन कार्ड की भी मांग की जाती है? आयुष्मान कार्ड बनाने की विधि सरल करने की जरूरत है। रामसूरत चौहान जैसे असहाय लोगों की मदद के लिए राज्य सरकार को भी कोशिश होनी चाहिए। मगर तल्ख सच्चाई यह है कि रामसूरत चौहान के परिवार की मौत के बाद भी ना तो राज्य सरकार का ध्यान इस ओर जाएगा और ना केंद्र सरकार का। इस विडंबना की ओर कौन ध्यान देगा कि एक ओर भारत की आर्थिक प्रगति हो रही है तो दूसरी ओर भारत के लोग इलाज के अभाव में मारे जा रहे हैं। कहा जा सकता है कि यह मामला अपवाद है लेकिन वास्तविकता यह है कि लोग जान भले ना दें लेकिन इलाज के अभाव में परेशान रहते हैं। भारत में भी इलाज का खर्च काफी बढ़ चुका है। दूसरी ओर, बड़े-बड़े सरकारी अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइन लगती है और ऑपरेशन और जांच के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। भारत की आर्थिक प्रगति तभी असली मानी जाएगी जब यह लाइन कम होगी और लोगों को इलाज के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

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