क़रीब मगर कशिश नहीं

21वीं सदी की लोककथाएं-7

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सैयद जावेद हसन
‘इक़रा…..पढ़ो।’
यही तो अल्लाह ने आखि़री पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (स.) को हिदायत दी थी, हज़रत जिब्रईल अलैहिस्ससलाम की मार्फ़त।
यही हिदायत हम अपने बच्चों को भी करते हैं। लेकिन सिर्फ़ एक बार कह देने से काम नहीं चलता। बार-बार कहना पड़ता है।
‘पढ़ो।’
‘बेटा पढ़लो।’
‘बहुत खेल-कूद हो गया….अब तो पढ़लो।’
वो मां-बाप बड़े खुशक़िस्मत होते हैं जिन्हें अपने बच्चों को पढ़ने के लिए एक बार भी कहना नहीं पड़ता, बल्कि खाने और सोने के लिए कहना पड़ता है।
‘बेटी! कब से पढ़ रही हो….अब तो खा लो।…..अब सो भी जाओ।’
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मैं पहले वाले गार्जियन की श्रेणी में आता हूं।
मैंने कई बार शायान को हिदायत करते हुए कहा था कि नवीं के एक्ज़ाम में गिनती के दिन रह गए हैं। अभी से पढ़ाई-लिखाई के तईं संजीदा हो जाए। साल भर बाद ही बोर्ड का इम्तहान है। हायर परसेंटेज के साथ मार्क्स नहीं आए तो अच्छी जगह एडमिशन होना मुश्किल है।…..सोचने-समझने की सलाहियत कितनी ही बेहतर क्योें न हो।’
बात उसकी समझ में आ गई।
…….
अगली ही शाम फ़ीज़िक्स की किताब लेकर शायान मेरे पास आया।
कुछ पन्ने पलट कर बोला, ‘एमसीक्यू वाले कुछ सवाल हैं। मैंने याद कर लिया है। पूछिये।’
मैं एक-एक कर सवाल पूछता, उसके वैकल्पिक जवाब पढ़ता और वो झट-झट सही-सही जवाब देता जाता।
उसकी याददाश्त पर मुझे हैरत भी हुई और खुशी भी।
उन्हीं सवालों में एक सवाल था-
If the distance between two objects is increased, the gravitational force of attraction between them will
a) increace. b) decrease.
c) not change. d) all of them.

[अगर दो ऑब्जेक्ट्स यानी वस्तुओं के बीच दूरी बढ़ जाती है तो दोनों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल क्या होगा? कम हो जाएगा, बढ़ जाएगा, कोई बदलाव नहीं होगा या इन तीनों में सब होगा?]
शायान ने बताया कि जवाब ऑपशन ‘बी’ होगा यानी गुरुत्वाकर्षण बल कम हो जाएगा।
……..
शायान के जाने के बाद मैं सोच रहा था कि यह ठीक है कि दो वस्तुओं के बीच जब फ़ासला बढ़ जाता है तो दोनों के बीच खिंचाव कम हो जाता है। लेकिन जब दो व्यक्ति बिलकुल पास होते हैं, तब उनमें फ़ासला क्यों हो जाता है? उनमें जज़्बाती लगाव क्यों नहीं पैदा होता? बेहद क़रीब होते हुए भी वे आपस में जुड़ क्यों नहीं पाते? खिंचाव क्यों नहीं होता?
इन सवालों से उलझते हुए मुझे एक-एक कर कुछ क़िस्से याद आने लगे।
…….
क़िस्सा-1
इससे पहले हम जिस मकान में किराये पर रहते थे, मकान मालिक के तौर पर वहां सिर्फ तीन आदमी थे। मियां-बीवी और एक जवान बेटा।
बेटा बिज़नेस मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा था और अक्सर स्मार्टफ़ोन या लैपटॉप में लगा रहता था।
एक बार मां के हाथ में बहुत दर्द था। उन्होंने बेटे से कहा कि वो पास बैठकर उनका हाथ दबाता रहे।
बेटा उनके पास बैठा भी। अपने एक हाथ में उनका हाथ लिया भी। लेकिन मां को कोई राहत महसूस नहीं हुई।
इसलिए कि बेटे के एक हाथ में स्मार्टफ़ोन था और उसकी निगाहें लगातार फ़ोन की स्क्रीन पर टिकी थीं।

क़िस्सा-2
हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ।
वीडियो में एक कमरे का मंज़र था। दो बुजुर्ग बिस्तर पर बैठे थे। एक नवजवान पास में ही लेटा था। बिस्तर के नीचे, फर्श पर, एक बच्ची लेटी थी। दूसरी बच्ची बैठी थी। कोई किसी से बात नहीं कर रहा था।
इसलिए कि सबके हाथ में स्मार्टफ़ोन था और सबकी निगाहें फ़ोन की स्क्रीन पर टिकी थीं।

क़िस्सा-3
हमारे सामने वाले फ़्लैट में एक ख़ातून अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती हैं। शौहर एक खाड़ी देश में काम करते हैं।
डेढ़-दो साल बाद लौट कर आए थे। पंद्रह-बीस दिनों तक बाल-बच्चों के साथ रहे।
वापसी के दिन अकेले ही एयरपोर्ट गए। बीवी अपार्टमेंट के मेन गेट तक छोड़ने भी नहीं आईं। फ़्लैट के दरवाजे़ पर ही टाटा-बाय-बाय कर दिया।
बेटा कमरे में, बिस्तर पर, औंधे मुंह लेटा रहा। उसके हाथों में, खाड़ी देश से बाप का लाया हुआ, टैब था जिसपर वो गेम खेलने में न कबसे मसरूफ था।
कुछ दिनों बाद उसकी मां ने मेरी वाइफ़ से बड़े फख्रिया लहजे में कहा था, ‘मेरा बेटा महज़ आठ साल का है। लेकिन बहुत समझदार है। बाप की रवानगी के वक़्त रोया तक नहीं।’
……..
ऐसे क़िस्से और भी हैं। हर क़िस्से में एक बात मुशतरक है।
परिवार के सभी सदस्य एक साथ, ही छत के नीचे, एक ही कमरे में रहते हैं। उनके बीच कोई फ़ासला नहीं होता।
फिर भी, वे एक-दूसरे से बहुत दूर होते हैं।
आपस में कोई लगाव नहीं होता। कोई कशिश नहीं होती।
कोई जज़बा नहीं होता, कोई खिंचाव, कोई मुहब्बत नहीं होती।
वे जज़्बात से ख़ाली एक ऐसा ‘ऑब्जेक्ट’ होते हैं जिसपर फ़ीज़िक्स के गुरुत्वाकर्षण बल का नियम लागू नहीं होता!
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6 दिसंबर, 2023

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Image courtesy: https://readdle.com

 

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