छपी-अनछपी: कर्नाटक में रुझानों में कांग्रेस आगे, बिहार में खेती के चौथे रोडमैप के लिए 1.62 लाख करोड़

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए वोटों की गिनती शनिवार को शुरू हुई। इसके बारे में छोटी सी खबर हर जगह है। हालांकि शुरुआती रुझानों में कांग्रेस को बढ़त मिली हुई है लेकिन असली रिज़ल्ट में कुछ वक्त लगेगा। बिहार में चौथे कृषि रोड मैप की खबर पहले पेज की लीड बनी है। सीबीएसई द्वारा 10वीं और 12वीं के रिजल्ट की घोषणा पहले पेज पर है।

कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा की सभी 224 सीटों के लिए हुए चुनाव में लगभग 73% लोगों ने वोट दिया था। इसके बाद वे एग्जिट पोल में कहीं कांग्रेस को बढ़त तो कहीं कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान लगाया गया था। भाजपा और कांग्रेस के बीच अगर साफ़ नतीजे नहीं आए तो जनता दल सेक्यूलर के विधायकों की भूमिका अहम हो जाएगी। जनता दल सेक्युलर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली पार्टी है। इस चुनाव में जिनके रिजल्ट पर खास ध्यान था उनमें भाजपा के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, कांग्रेस के दिग्गज सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार शामिल थे। इसके अलावा जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी के रिज़ल्ट पर भी नज़र थी। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस को बढ़त मिली हुई है और यहां भाजपा की सरकार को खतरा लग रहा है।

बिहार का कृषि रोडमैप

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: राज्य के चौथे कृषि रोडमैप के लिए एक लाख 62 हज़ार करोड़ स्वीकृत। हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर भी यही है: चौथे कृषि रोड मैप में किसानों की आमदनी बढ़ाने पर जोर। राज्य के चौथे कृषि रोडमैप में किसानों की आमदनी बढ़ाने पर मुख्य जोर होगा। जलवायु परिवर्तन की परिस्थितियों से मुकाबला करने में किसान सक्षम होंगे। साथ ही पर्यवारण संरक्षण के लक्ष्य को भी पूरा करने में मदद मिलेगी। इन सभी कार्यों को लेकर कृषि रोडमैप में विशेष प्रावधान किये गए हैं। चौथे कृषि रोडमैप की अवधि एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2028 तक की होगी। इस दौरान इसके अंतर्गत पांच वर्षों में एक लाख 62 हजार 268 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में कृषि रोडमैप समेत 18 प्रस्तावों पर मंजूरी मिली।

सीबीएसई रिज़ल्ट

भास्कर ने सीबीएसई की 12वीं और 10वीं के रिजल्ट को लीड बनाया है। इस बार 12 वीं के रिजल्ट में पटना जोन 14वें से 10वें स्थान पर आया है। पटना ज़ोन के कुल मिलाकर 85.47% बच्चे 12वीं में पास हुए। 12वीं में पटना के दो परीक्षार्थियों को 99.2% अंक प्राप्त हुए। दसवीं में 94.57% विद्यार्थी पास हुए। डीएवी की किशोरिका कृष्णमूर्ति को 99.8% अंक प्राप्त हुए। सीबीएसई ने बताया कि बच्चों के बीच किसके नंबर ज्यादा की प्रतिस्पर्धा को खत्म करने के लिए मेरिट लिस्ट और डिवीजन की घोषणा नहीं की गई है।

जातीय गणना के लिए कानून पर विचार

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: जातीय गणना के लिए जरूरत पड़ी तो कानून बनाएगी बिहार सरकार। राज्य के वित्त, वाणिज्य तथा संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शुक्रवार को दोहराया कि बिहार में जाति आधारित गणना होकर रहेगी। बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे हर हाल में पूरा कराना चाहते हैं। इसके लिए जो भी वैधानिक उपाय होंगे वह किये जायेंगे। ज़रूरत पड़ी तो तो कानून भी बनाया जाएगा। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में वित्तमंत्री ने कहा कि अभी तक जाति आधारित गणना के लिए जो भी आंकड़े एकत्रित किये गये हैं वे सुरक्षित ही हैं। सरकार इस गणना को शीघ्र पूरा कराना चाहती थी और है भी। उच्च न्यायालय के आदेश पर अभी इसे स्थगित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार मामले को ले गयी है।

ज्ञानवापी मस्जिद का मामला

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में मिले शिवलिंग की होगी वैज्ञानिक जांच। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग जैसी आकृति का वैज्ञानिक सर्वे कराकर उसकी आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने से इनकार करने के जिला जज वाराणसी के आदेश को रद्द कर दिया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश दिया है कि आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर और बीएसआईपी लखनऊ द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंग जैसी आकृति का वैज्ञानिक सर्वे कराया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने दिया है।

पाकिस्तान के हालात

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाईकोर्ट से राहत मिलने की खबर सभी जगह है। हाईकोर्ट की एक विशेष पीठ ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में दो हफ्ते के लिए जमानत दे दी। वहीं, तोशाखाना मामले में भी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान को राहत मिल गई है। न्यायमूर्ति हसन औरंगजेब और न्यायमूर्ति समन रफत इम्तियाज की एक पीठ ने अल कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई की। इससे पहले, सख्त सुरक्षा के बीच सुबह 11:30 बजे इमरान खान अदालत पहुंचे। सुरक्षा कारणों से सुनवाई करीब दो घंटे देरी से शुरू हुई। इस बीच भास्कर की खबर है कि पाकिस्तान की नौसेना और वायु सेना के अध्यक्षों ने प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की बैठक में जाने से इंकार कर दिया जिससे वह उच्च स्तरीय बैठक नहीं हो पाई।

कुछ और सुर्खियां

  • राहुल गांधी को अवमानना मामले में सजा सुनाने वाले जज समेत 68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
  • तबादले पर फिर तकरार, कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार
  • शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान ड्रग्स मामले में समीर वानखेडे पर 25 करोड़ घूस मांगने का केस
  • द केरला स्टोरी पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की रोक पर मांगा जवाब
  • बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का पटना आगमन आज प्रशासन अलर्ट

अनछपी: सीबीएसई ने इस साल दसवीं और बारहवीं के रिजल्ट में एक अच्छा काम यह किया कि उसने टॉपर और मेरिट लिस्ट वगैरह जारी नहीं किया। इसके बावजूद अखबार के पन्ने किसने कितने प्रतिशत अंक लाए इस से भरे पड़े हैं। किस स्कूल के किस बच्चे को कितना मार्क्स मिला यह बताने के लिए अखबारों में होड़ मची है। उन बच्चों की खबरें और तस्वीरें भी छप रही हैं। इससे सीबीएसई की कोशिशों को धक्का ही लगता है। इम्तिहान हैं तो नंबर आएंगे और बच्चे पास फेल होंगे लेकिन जिस तरह नंबरों की होड़ मचाई जाती है वह अक्सर बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा असर डालती है। नंबरों की होड़ के पीछे कोचिंग सेंटरों का बहुत बड़ा हाथ रहता है जिसके विज्ञापन से अखबार को काफी आमदनी होती है। एक और अच्छी बात यह है कि अब ग्रेजुएशन में नंबरों के आधार पर एडमिशन नहीं होता बल्कि अधिकतर जगहों पर कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट से एडमिशन लिया जा रहा। हालांकि इसमें भी नंबर ही पर मेरिट लिस्ट तैयार होती है लेकिन उस आरोप से बचा जाता है कि अलग-अलग राज्यों के बोर्ड बेतहाशा नंबर देते हैं। हमारे समाज में बच्चों की पढ़ाई को नंबरों के साथ इस तरह जोड़ देना बहुत खतरनाक साबित हुआ है। कम नंबर आने पर या फेल होने पर बच्चों की आत्महत्या की खबर भी आती रहती है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि अखबार के संपादकों के साथ बैठकर इस बारे में चर्चा की जाए कि वे नंबरों की होड़ छापने से बचें। इस होड़ के कारण बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी काफी दबाव में आ जाते हैं। यह सही है कि इससे अखबारों की आमदनी होती है लेकिन उन्हें चाहिए कि बच्चों की सेहत और मानसिक स्थिति को आमदनी से ऊपर रखें।

 

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