छपी-अनछपी: केजरीवाल की सुप्रीम कोर्ट में जीत,  इमरान की गिरफ्तारी ‘गैर कानूनी’ लेकिन रिहाई पर सस्पेंस

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत हासिल हुई है। सुप्रीम कोर्ट से ही महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को नैतिक जीत मिली है लेकिन उनकी सरकार की वापसी नहीं हो पाई। उधर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार दिया लेकिन उनकी रिहाई पर अभी सस्पेंस बरकरार है। ये तीनों खबरें अखबारों में छाई हुई हैं। इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मुलाकात की खबर पहले पेज पर पहली खबर बनी है।

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार। हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी सुर्खी है: केजरीवाल को हक मिला। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाते हुए दिल्ली सरकार को अधिकारियों के तबादले और तैनाती से जुड़ा हक दे दिया। अदालत ने कहा कि दिल्ली में अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही नियंत्रण रहेगा। संविधान पीठ ने एक राय से कहा- पुलिस, भूमि और कानून व्यवस्था को छोड़ उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में सरकार की सलाह और सहयोग से काम करेंगे। सभी अधिकारी अब मंत्रियों को रिपोर्ट करेंगे। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मत फैसले में कहा कि दिल्ली दूसरे केंद्रशासित प्रदेशों से अलग है, क्योंकि यहां चुनी हुई सरकार है।

गवर्नर-स्पीकर गलत थे लेकिन…

भास्कर की दूसरी सबसे बड़ी खबर है राज्यपाल व स्पीकर गलत थे, पर उद्धव को सीएम नहीं बना सकते: सीजेआई। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में करीब सालभर पहले हुई सियासी उठापटक पर गुरुवार को फैसला सुनाया। इसके मुताबिक, एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। शीर्ष कोर्ट ने कहा, तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का शिंदे गुट की बगावत पर फ्लोर टेस्ट बुलाना और उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिए निर्देश देना गलत फैसला था। अब यथास्थिति का आदेश नहीं दिया जा सकता और न पुरानी सरकार (उद्धव ठाकरे) को बहाल कर सकता है, क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बगैर इस्तीफा दे दिया था।

इमरान खान की रिहाई पर सस्पेंस

हिन्दुस्तान ने पहले पेज पर खबर दी है: इमरान रिहा पर पाक में हिंसा जारी। लेकिन इमरान खान की गिरफ्तारी को गैर कानूनी क़रार दिए जाने के बाद उनकी उस अर्ज़ी को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने नामंज़ूर कर दिया कि उन्हें घर जाने दिया जाए। भास्कर की सुर्खी है: सुप्रीम कोर्ट ने पासा पलटा, इमरान खान रिहा। हिन्दुस्तान में छपी खबर के अनुसार: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से बड़ी राहत मिली। अदालत ने इमरान खान की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए रिहा कर दिया। शीर्ष अदालत ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से इमरान को हिरासत में लेने के तरीके पर नाराजगी भी जताई और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री के साथ न्याय नहीं हुआ। वहीं, इस्लामाबाद, कराची समेत कई शहरों में इसके बाद भी हिंसक झड़पें हुईं। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की पीठ ने अल-कादिर ट्रस्ट मामले में इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने कहा, इस्लामाबाद हाईकोर्ट को शुक्रवार को मामले की सुनवाई करनी चाहिए। पीठ ने इमरान से कहा, हाईकोर्ट जो भी फैसला करेगा, आपको उसे स्वीकार करना होगा।

बात गठबंधन होने और थर्ड फ्रंट के न होने की

हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी सुर्खी है: नीतीश को विपक्षी एकता में मिला पवार व उद्धव का साथ। भास्कर की पहली खबर है: महागठबंधन के लिए उद्धव-पवार से मिले नीतीश, उधर 2 दिन पूर्व उनसे करीबी जिताने वाले पटनायक मोदी से मिले, कहा- तीसरा मोर्चा संभव नहीं। अखबार लिखता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मिले। सब ने साथ मिलकर भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में हर हाल में हराने की बात की । इसे देश, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए निहायत जरूरी बताया। उद्धव व शरद ने नीतीश की मुहिम को सराहा। पीएम का चेहरा कौन के सवाल पर, नीतीश ने कहा हमको नहीं बनना है। जो भी बनेंगे वह सब मिलकर, सब को आगे बढ़ाएंगे। उधर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि वह तीसरे मोर्चे या गैर भाजपा दलों के साझा मंच में शामिल नहीं होंगे। बीजू जनता दल लोकसभा व विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। कांग्रेस व भाजपा से समान दूरी बनाए रखेगा।

बिहार से हज का सफर सबसे महंगा

भास्कर की खास खबर है: बिहार से हज पर जाना देश भर में सबसे महंगा, 4 लाख से ज्यादा होगा खर्च। अखबार लिखता है बिहार देश में बिहार के हज यात्रियों की हज यात्रा इस बार सबसे महंगी होगी। इस साल सबसे कम खर्च कर्नाटक के हज यात्रियों को होगी। बीते 4 वर्षों में बिहार के हज यात्रियों की यात्रा पर खर्च के हिसाब से इसमें करीब डेढ़ गुना का इजाफा हो गया है। 2019 में गया एयरपोर्ट से जाने वाले हज यात्रियों का सफर में कुल खर्च 2 लाख 81 हज़ार 800 था, वहीं इस साल खर्च बढ़कर 4 लाख 361 रुपये प्रति यात्री हो गया। दूसरी ओर, बेंगलुरु एयरपोर्ट से हज को जाने वालों का खर्च सबसे कम 3 लाख 3 हज़ार 921 रुपये है।

कुछ और सुर्खियां

  • आरा में एनकाउंटर: अपराधियों ने जैसे ही 5 लाख से भरा बैग छीना… पेट्रोल पंप मालिक ने लाइसेंसी पिस्तौल से की फायरिंग, जवाब में गोलीबारी; आवाज सुन पहुंची पुलिस ने भी की फायरिंग, पैसे छोड़ भाग्य सभी
  • जातीय गणना पर हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिहार सरकार
  • पीएमसीएच की 14 अल्ट्रासाउंड मशीनों में 12 खराब, बाक़ी दो की हालत भी सही नहीं
  • सासाराम में किशोरी की हत्या व दुष्कर्म के दोषी को फांसी की सजा
  • जमीन व फ्लैट की रजिस्ट्री में 1 जून से गवाह जरूरी नहीं
  • जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह भाजपा में शामिल
  • बिहार एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के 65 अधिकारियों के आईएएस अफसर बनने की संभावना
  • दो साल का बीएड होगा बंद, अब 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड प्रोग्राम चलेगा; सामान्य कॉलेजों में भी होगी पढ़ाई

अनछपी: राजनीति में नैतिकता की उम्मीद करना सही नहीं माना जाता हालांकि इसकी जरूरत से कौन इनकार कर सकता है। संस्कार की सबसे ज्यादा बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेता भी नैतिकता नहीं बरतना चाहते। दिल्ली और महाराष्ट्र के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसले सुनाए हैं उसके आधार पर नैतिक बात तो यही होती कि पूरी सरकार या सरकार के कुछ लोग इस्तीफा दे देते। लेकिन जब किसी भी तरह सरकार बनाए रखने, सरकार बनाने और सरकार नहीं रहने के बावजूद सरकार चलाने की नीयत हो तो नैतिकता कैसे हो सकती है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में पूरी तरह हारने के बावजूद वहां एलजी के माध्यम से अपनी सरकार चलाना चाहती है और काफी हद तक चला भी रही है। हालत यह थी कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसी अफसर का तबादला या नियुक्ति नहीं कर सकते थे। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को यह हक़ दिया है लेकिन जिन लोगों ने उनका यह हक मारा था उनकी ओर से किसी माफी की उम्मीद करना व्यर्थ है। उधर महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे सरकार को गिराने के लिए गवर्नर और स्पीकर दोनों के फैसलों को गलत ठहराया लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल करने में असमर्थता जताई। इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को कायदे से तो इस्तीफा दे देना चाहिए लेकिन दोनों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो उनकी सरकार को बहाल किया जा सकता था। भारतीय राजनीति का यह दुखद लेकिन व्यावहारिक पक्ष है कि नैतिकता के आधार पर सत्ता किसी भी हाल में ना छोड़ी जाए।

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