बिहार को शराब मुक्त बनाने के लिए एकजुट हुए प्रदेश के धर्मगुरु

बिहार को शराब और अन्य सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने के लिए प्रदेश के धर्मगंुरु एकजुट हो गए हैं। विभिन्न धर्माें के प्रतिनिधियों पर आधारित धार्मिक जन-मोर्चा, बिहार ने रविवार को राजधानी में ‘शराबः एक सामाजिक अभिशाप’ शीर्षक से आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान इस एकजुटता का प्रदर्शन किया। गोष्ठी में संगोष्ठी में इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्म के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने बिहार को शराब मुक्त बनाने में अपना सहयोग देने का आश्वासन दिया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए धार्मिक जन-मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक और जमाअते इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. मुहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक जन-मोर्चा की स्थापना सन् 2000 में हुई थी। बिहार सातवां राज्य है जहां मोर्चा का गठन हुआ है। संगोष्ठी इसी मोर्चे का लांचिंग प्रोग्राम है। मोर्चा में हिन्दू, इस्लाम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्म के प्रतिनिधि शामिल हैं।
सलीम इंजीनियर ने बताया कि धार्मिक जन-मोर्चा का उद्देश्य समाज में फैलाई जा रही विभिन्न प्रकार की नफरतों को समाप्त करना, नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना और समस्त सामाजिक कुरीतियों को दूर करना है। सलीम इंजीनियर ने कहा कि जमाअते इस्लामी हिन्द पूरे देश को शराब से मुक्त करने का संकल्प लेती है।
जमाअते इस्लामी हिन्द बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है लेकिन मद्यपान पर पूरी तरह से काबू पाना केवल सरकार के बूते संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि सारे धर्म के धर्मगुरु जब संयुक्त रूप से जन जागरूकता अभियान चलाएंगे तभी प्रदेश को मद्यपान से मुक्त किया जा सकता है।
सेवादार समाज कल्याण समिति, पटना साहिब के मुख्य संरक्षक सरदार तिरलोक सिंह ने कहा कि सिख पंथ में शराब पीना निषिद्ध है। उन्होंने कहा कि दलितों और गरीब तबकों के बीच मद्यपान के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत है क्योंकि शराब की वजह से वही सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।
बिहार दलित विकास समिति और ईसाई धर्म के प्रतिनिधि फादर जोस ने कहा कि शराब अपने आपमें एक समस्या है और यह कई समस्याओं की जड़ भी है। उन्होंने कहा कि धार्मिक जन-मोर्चा के द्वारा ठोस रणनीति अपना कर शराब जैसे अभिशाप को दूर किया जा सकता है।
बौद्ध विहार मंदिर, पटना के विश्वजीत भंटे ने कहा कि 563 ई. पू. ही उनके धर्मगुरु ने दुनिया को शराब मुक्त बनाने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा कि सारे धर्म के लोगों का कर्तव्य है कि वे मद्यपान जैसी सामाजिक कुरीति को दूर करने का प्रयास करें।
बौद्ध विहार से आए ज्ञानरत्न ने कहा कि गौतम बुद्ध का संकल्प था कि मैं कच्चा या पक्का किसी तरह की शराब का सेवन नहीं करूंगा।
जैन मंदिर, पटना के तनसुखलाल ने कहा कि मद्यपान भारतीय परंपरा नहीं है। यह विदेश से आया एक अभिशाप है। उन्होंने कहा कि हमें मानवता के लिए मिलजुल कर काम करना होगा।
संगोष्ठी में छोटी पटनदेवी, पटना के महंत विवेक द्विवेदी को भी भाग लेना था लेकिन कुछ व्यस्तताओं के कारण वो कार्यक्रम में नहीं आ सके।
आशा करनी चाहिए कि जिन सकारात्मक उद्देश्यों के लिए बिहार में धार्मिक जन-मोर्चा का गठन हुआ है, उसमें प्रदेश को सफलता प्राप्त होगी।

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