छ्पी-अनछपी: मनमाने ढंग से नहीं चलेगा बुलडोजर, झारखंड में 66 फ़ीसद मतदान
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बुलडोजर कार्रवाई में मनमानी नहीं चलेगी और अगर अफसर ऐसा करते हैं तो उनसे वसूली होगी। झारखंड में पहले चरण की 43 सीटों पर 66% से अधिक मतदान हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा में बिहार के दूसरे एम्स का शिलान्यास क्या है। शेयर बाजार में लगातार पांचवें दिन जारी गिरावट से निवेशकों में हाहाकार मचा हुआ है।
भास्कर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में सख्ती के नाम पर होने वाली बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी के घर पर बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है। बुलडोजर कार्रवाई अराजकता का प्रतीक है। यह आखिरी विकल्प होना चाहिए। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि नागरिक के लिए अपना घर बनाना सालों की मेहनत और सपनों का नतीजा है। कानून का शासन लोकतांत्रिक सरकार की नींव है। पीठ ने 95 पेज के फैसले में कहा कि कानून के राज में अफ़सर जज नहीं हो सकते। वह आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि किसी भी घर को गिराने से पहले 15 दिन पहले कारण बताओ नोटिस जारी करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कि अफसरों को यह बताने के लिए कहा कि अगर वह गलत तरीके से बुलडोजर ऐक्शन में शामिल मिले तो गिराई गई इमारत का दोबारा निर्माण उन्हें करवाना होगा और व्यक्तिगत हर्जाना देना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया किया कि यह निर्देश सड़क, फुटपाथ, रेल पटरी, जलाशय या सार्वजनिक स्थल पर अवैध कब्जे के मामले में लागू नहीं होंगे।
झारखंड में 66% से अधिक वोट
हिन्दुस्तान के अनुसार झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान बुधवार को संपन्न हो गया। चुनाव आयोग की ओर से रात 12.30 बजे तक प्राप्त अपडेट के अनुसार, 15 जिलों की 43 सीटों पर 66.51 फीसदी मतदान हुआ, जो 2019 (63.90 प्रतिशत) की अपेक्षा बेहतर है। पहले चरण में 683 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मतदान के मामले में शहरों पर फिर ग्रामीण क्षेत्र भारी पड़े। आदिवासी बहुल इलाकों समेत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी जमकर वोट पड़े। रांची में सबसे कम 52.27 और खरसावां में सबसे अधिक 79.11 प्रतिशत वोट पड़े।
बिहार की चार सीटों पर 52% से अधिक मतदान
बिहार विधानसभा की चार सीटों पर बुधवार को हुए उपचुनाव में औसत 52.84 प्रतिशत मतदान हुआ। तरारी में 50.10, रामगढ़ में 54.02, इमामगंज (सु) में 51.01 और बेलागंज में 56.21 प्रतिशत वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के अनुसार उपचुनाव में मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इसके साथ ही, सभी 38 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद हो गया। मतगणना 23 नवंबर को होगी।
दरभंगा एम्स का शिलान्यास
प्रभात खबर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दरभंगा के शोभन में बिहार के दूसरे ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज ‘एम्स’ का शिलान्यास किया। दरभंगा एम्स का निर्माण 1265 करोड़ रुपए से होने का अनुमान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दरभंगा में एम्स के निर्माण होने से केवल मिथिला और तिरहुत ही नहीं बल्कि पूरे बिहार, नेपाल और पश्चिम बंगाल के बड़े इलाकों में रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि दरभंगा में एम्स बनने से उत्तर बिहार मिथिलांचल के लोगों का बेहतर इलाज संभव हो सकेगा, साथ ही दरभंगा शहर का भी विस्तार होगा। शिलान्यास समारोह में नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी ने एक दूसरे की तारीफ की।
शेयर बाजार में हाहाकार
हिन्दुस्तान के अनुसाए खुदरा महंगाई में तेज उछाल और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली से घरेलू शेयर बाजार बुधवार को लगातार पांचवें दिन बुरी तरह टूट गए। सेंसेक्स 984 अंक का गोता लगाकर चार महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी 300 अंक से ज्यादा लुढ़क गया। बाजार में जारी इस भारी गिरावट से निवेशकों को बीते तीन कारोबारी सत्रों में करीब 20 लाख रुपये करोड़ का नुकसान हो चुका है। सेंसेक्स 984.23 अंक यानी 1.25 प्रतिशत का गोता लगाकर साढ़े चार महीने बाद 78 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 77,690.95 अंक पर आ गया। इससे पहले 24 जून को यह 77,341.08 अंक पर रहा था।
नौकरी की 100% गारंटी नहीं दे पाएंगे कोचिंग सेंटर
प्रभात खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए बुधवार को नए दिशानिर्देश जारी किए। इनमें 100% सेलेक्शन या नौकरी की सौ फ़ीसद गारंटी जैसे झूठे दावों को रोका गया है। दिशा निर्देश नहीं मानने पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर कई शिकायतें मिलने के बाद केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा तैयार अंतिम दिशा निर्देश के मसौदे को जारी किया गया है। उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा कि नए दिशा निर्देशों में कोचिंग संस्थानों को प्रस्तावित पाठ्यक्रमों और अवधि, अध्यापकों से संबंधित दावे, फी स्ट्रक्चर और फीस वापसी की नीतियों की जानकारी देने को कहा गया है। परीक्षा में चयन की दर और रैंक और चयन की गारंटी या वेतन वृद्धि के बारे में झूठे दावे करने से प्रतिबंधित किया गया है।
मस्क और रामास्वामी सरकार में शामिल
हिन्दुस्तान के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज कर चुके डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक अहम घोषणा की। उन्होंने टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और भारतवंशी विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी यानी सरकारी दक्षता विभाग (डॉज) की कमान सौंपी। डॉज नौकरशाही और सरकारी व्यवस्थाओं में कई प्रकार के बदलावों के लिए काम करेगा। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि एलन मस्क, देशभक्त विवेक रामास्वामी के साथ मिलकर डॉज का नेतृत्व करेंगे। रामास्वामी 20 जनवरी से प्रभावी हो रहे डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में किसी पद पर नियुक्त किए जाने वाले पहले भारतवंशी बन गए हैं।
कुछ और सुर्खियां
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अनछपी: सुप्रीम कोर्ट ने किसी मुलजिम के घर को बुलडोजर चलाकर ढाहने की सरकारी कार्रवाई पर सख्ती से रोक लगाकर एक अच्छा संदेश देने की कोशिश की है लेकिन याद रखने की बात यह है कि सरकारें बहुत ही शातिराना तरीके से घरों को ढाहती हैं। इस कॉलम में हमने पहले भी इस बात का जिक्र किया है कि सरकार अपने समर्थकों के सामने बढ़चढ़ कर यह दावा करती है कि उसने जब जिसका चाहा घर ढाह दिया लेकिन कानून के सामने यह बताती है कि इसके पीछे कारण अतिक्रमण था। यानी सरकार एक तरफ उन्माद पैदा करने की कोशिश होती है तो दूसरी और कानून से बचने के लिए बहाना भी ढूंढ लेती है। पहले तो सरकार द्वारा किसी को मुलजिम बनाना ही सवालों के घेरे में रहता है, दूसरी बात यह है कि अगर किसी को सही ढंग से मुलजिम ठहराया भी जाए तो उसका घर रातों-रात अतिक्रमण में बताया जाता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद किसी के घर को ढाहने के लिए सरकार अतिक्रमण का बहाना बना सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार अतिक्रमण की बात कहने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का पालन करेगी जिसमें कहा गया है कि इसके लिए 15 दिनों का नोटिस देना होगा। अतिक्रमण हटाने के नाम पर मुलजिम का घर ढाहने की सरकारी कार्रवाई पर यह भी आरोप लगता है कि इसमें धार्मिक आधार पर भेदभाव किया जाता है। बहुत से लोग यह मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अब भी कमजोर है और बहुत देर के बाद आया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पहले अनगिनत मकानों को इसी तरह ढाह दिया गया है। ऐसे लोगों के साथ सरकार ने जो मनमानी की है उसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं कहा हालांकि उन्हें मुआवजा देना सख्त जरूरी है। हाल के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 25 लाख रुपया मुआवजा देने का आदेश दिया है लेकिन यह अपवाद ही है। सरकारों की चालबाजी और शातिराना कार्रवाई के बीच यह कहना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट को अपने आदेश का पालन कराने के प्रति गंभीर रहना होगा और इसके उल्लंघन पर कार्रवाई कर एक कड़ा संदेश देना होगा।
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