छ्पी-अनछपी: कुंभ की भगदड़ में मरने वाले 30, वक़्फ़ जेपीसी रिपोर्ट पर आम सहमति नहीं

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। कुंभ की भगदड़ मैं मरने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश प्रशासन ने 30 बताई है जिसमें बिहार के आठ लोग शामिल हैं। वक़्फ़ संशोधन बल पर बनी जेपीसी में 11 के मुकाबले 15 वोटों से सत्ता पक्ष की रिपोर्ट स्वीकार की गई है। मेडिकल कॉलेज में पीजी के लिए डोमिसाइल रिजर्वेशन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताया है।

और जानिएगा कि कौन सी मशहूर शख्सियत लंबे समय से धरती पर ना रहने की वजह से चलना फिर ना भूल गई है।

आज के अखबारों में कुंभ भगदड़ पर बहुत सारी खबरें हैं। प्रभात खबर के अनुसार मौनी अमावस्या पर्व पर प्रयागराज (इलाहाबाद) महाकुंभ में मंगलवार देर रात अमृत स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से संगम नोज के पास मची भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई जबकि 60 अन्य लोग घायल हो गए। मृतकों में से 25 की पहचान कर ली गई है। प्रयागराज में भगदड़ बचाने से बिहार के गोपालगंज जिले की चार और पटना, औरंगाबाद, सुपौल और मुजफ्फरपुर की एक-एक महिला की मौत हो गई। करीब 12 लोगों के बारे में कुछ पता नहीं चल रहा है।

भीड़ नियंत्रण के बाद फिर शुरू हुआ स्नान

भगदड़ के बाद अखाड़े का अमृत स्नान बुधवार सुबह टल गया लेकिन भीड़ नियंत्रित होने के बाद दोपहर में यह स्थान शुरू हुआ। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगदड़ को अत्यंत दुखद बताया। हादसे के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से चार बार बात की और घटना की जानकारी ली। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में बुधवार को मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। हर बाधा पार कर, कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद संगम क्षेत्र में श्रद्धालु सुबह से लेकर देर रात तक प्रवेश करते नजर आए। मंगलवार आधी रात संगम नोज पर हुई घटना के बाद भी स्नान का क्रम रुका नहीं। रात आठ बजे तक स्नान करने वालों की संख्या 7.64 करोड़ पहुंच गई थी।

वक़्फ़ पर जेपीसी की रिपोर्ट बहुमत से स्वीकार

जागरण के अनुसार वक़्फ़ कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जीपीसी) की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 वोटों के बहुमत से स्वीकार कर लिया गया है। संभावना है कि जेपीसी अपनी रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा सचिवालय को सौंप देगी और आगामी बजट सत्र में से संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा। सरकार बजट सत्र के दूसरे चरण में जेपीसी द्वारा सुझाए गए 15 संशोधनों के साथ विधायक को पास करने की कोशिश करेगी। जेपीसी की अंतिम रिपोर्ट में बिल में सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा सुझाए गए 15 संशोधनों को शामिल किया गया है। इससे पहले विपक्ष द्वारा सुझाए गए संशोधन को बहुमत से खारिज कर दिया गया था। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करार देते हुए इसके खिलाफ अपनी राय दर्ज कराई।

मेडिकल पीजी एडमिशन में डोमिसाइल रिज़र्वेशन रद्द

भास्कर के अनुसार मेडिकल कॉलेज में अब पीजी के लिए मूल निवासी आरक्षण (डोमिसाइल रिजर्वेशन) के आधार पर एडमिशन नहीं मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया कि राज्य कोटे के तहत पीजी मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए निवास या डोमिसाइल आधारित आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सामान्य के अधिकार का उल्लंघन करता है। जस्टिस हृषिकेश राय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि प्रवेश केवल मेरिट के आधार पर होना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस फैसले का प्रभाव पहले से दिए गए निवास आधारित आरक्षण पर नहीं पड़ेगा।

नदियों के गाद से बनेगा एनएच

हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में अब नदियों की गाद से राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य सड़कों का निर्माण होगा। इससे नदियों को गाद की समस्या से निजात मिलेगी। वहीं, खेतों की मिट्टी संरक्षण का भी काम होगा। पिछले दिनों इस मुद्दे पर जल संसाधन विभाग और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के बीच बैठक भी हो चुकी है। पहले चरण में तीन राजमार्ग परियोजनाओं के लिए नदियों की गाद के उपयोग पर फैसला लिया गया। जल संसाधन विभाग ने इसके लिए एनएचएआई को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है।

सुनीता विलियम्स चलना भूल गईं

पिछले आठ महीने से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर फंसी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स यह याद रखने की कोशिश कर रही हैं कि कैसे चलना है। क्योंकि वह मार्च के अंत तक पृथ्वी पर लौटने का इंतजार कर रही हैं। भारतीय मूल की सुनीता ने ये बातें 27 जनवरी को स्कूली छात्रों से बात करने के दौरान कही। उन्होंने कहा, मैं यहां काफी समय से ऊपर हूं और अभी यह याद करने की कोशिश में लगी हूं कि चलना कैसा होता है। न मैं चली, न बैठी हूं। लेटना भी नहीं हुआ। लेकिन बच्चों आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है। बस आप अपनी आंखें बंद करके जहां आप हैं, वहीं तैर सकते हैं।

कुछ और सुर्खियां

  • सड़क खुदाई की जानकारी C-BUD (कॉल बिफोर यू डिग) ऐप पर नहीं देने वाले विभाग पर लग सकता है 50 लाख तक का जुर्माना
  • बिहार के तीन बिल्डरों लक्ष्मी बिल्डकॉन, आदित्य यूनिक कंस्ट्रक्शन और पाटली ग्राम बिल्डर के खिलाफ रेरा का गिरफ्तारी वारंट
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा- विकास से अछूता नहीं बिहार का कोई भी इलाका, भय का माहौल खत्म
  • पटना के गांधी सेतु पर रात 12:00 से 3:00 के बीच ही गुजरेंगी भारी गाड़ियां

अनछपी: मौनी अमावस्या की रात इलाहाबाद में कुंभ मेले में भगदड़ मचने से स्नान करने गए लोगों की मौत बेहद अफसोसनाक है। लेकिन यह बात भी कम अफसोसनाक नहीं है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश प्रशासन का सारा जोर इस बात पर रहा कि किसी तरह व्यवस्था पर प्रश्न नहीं उठाया जाए। हादसे के 12 घंटे के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश प्रशासन केवल श्रद्धालुओं के जख्मी होने की बात कहते रहे और मरने वालों के बारे में चुप्पी साध रखी। योगी आदित्यनाथ हालांकि कहते तो यह रहे कि कोई अफवाह ना फैले जाए लेकिन अफवाह फैलने की एक बड़ी वजह यह चुप्पी या चुप कराने की कोशिश भी होती है। वैसे भी किसी हादसे के बाद आमतौर पर लोग मरने वालों की जो संख्या सरकार देती है उस पर कम ही लोग भरोसा करते हैं। इस मामले में मीडिया का रवैया भी बेहद निराशाजनक और सरकारपरस्त नजर आया। एक अखबार ने तो अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा कि हादसे के बाद जिस तरह स्थिति को नियंत्रण में किया गया उसके लिए सरकार को 10 में 10 नंबर मिलेगा। 30 लोगों की मौत, कई लोगों के लापता होने और दर्जनों लोगों के घायल होने की खबर के बीच सरकार को नंबर देने की यह कोशिश बेहद घटिया और अमानवीय है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जितनी बड़ी संख्या में लोग कुंभ के स्नान के लिए पहुंचे थे उसे संभालना एक चुनौती भरा काम है। लेकिन क्या यह सही नहीं है कि इस चुनौती को उत्तर प्रदेश की सरकार ने ही और बढ़ावा दिया? भीड़ कम जुटे, इसकी कोशिश के बदले लोगों में उन्माद पैदा किया गया। सरकार ने हादसे के बाद यह अपील जारी की कि जो लोग जहां हैं वहीं स्नान करें। यह काम तो पहले भी किया जा सकता था। लेकिन सरकार का सारा जोर मीडिया में प्रचार और रिकॉर्ड बनाने की घोषणा पर था। भगदड़ के बाद कुंभ में जुटे संतों ने भी यह कहा कि वीआईपी कल्चर की वजह से परेशानी हुई है। इस वीआईपी कल्चर के लिए केवल वर्तमान सरकार जिम्मेदार नहीं बल्कि हर सरकार में ऐसा ही होता है। कुंभ के मेले को लेकर एक और बात पर ध्यान देने की जरूरत है जिसकी चर्चा कम हुई है और वह यह है की अंधाधुंध कुंभ मेले में पहुंचने की होड़ की वजह से आम नागरिकों को बहुत परेशानी हुई। कुंभ जाने के नाम पर लोगों ने ट्रेनों पर कब्जा कर लिया और जिनके पास रिजर्वेशन का टिकट था वह यात्रा नहीं कर सके। इसी तरह नेशनल हाईवे पर भी सैकड़ों किलोमीटर का जाम लगा। कुंभ में लोगों की मौत के साथ-साथ राजनीति की संवेदना की भी मौत हुई। एक तरफ जहां सरकार ने इसे दबाने की कोशिश की वहीं विपक्षियों ने भी सरकार को कटघरे में खड़े करने की रिवायत पूरी की।

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