रेलवे भर्ती के रिजल्ट में धांधली पर आंदोलन में उबाल, 28 को बिहार बन्द

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना।

रेलवे भर्ती बोर्ड की नन-टेक्निकल पॉपुलर कैटगरी (एनटीपीसी) और ग्रुप डी की परीक्षा में कथित धांधली का मामला मंगलवार को हिंसक झड़प में बदल गया। इधर, छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इंकलाबी नौजवान सभा ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में ‘तुगलकी फरमान’ के खिलाफ आंदोलनरत अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, मुकदमा व गिरफ्तारी का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ 28 जनवरी को बिहार बन्द का ऐलान किया है।
इस बारे में छात्र नेताओं ने कहा है कि यह बन्द मोदी सरकार द्वारा रेलवे की नौकरियों को खत्म कर उसे प्राइवेट सेक्टर के हवाले करने के खिलाफ उठ खड़े हुए व्यापक छात्र-युवा आंदोलन के समर्थन में है।
यह विवाद सोमवार को उग्र रूप से तब सामने आए जब आंदोलन कर रहे उम्मीदवारों ने पटना के राजेंद्रनगर टर्मिनल पर रेल का चक्का जाम कर दिया। इस कारण 8 घण्टे तक ट्रेनों की आवाजाही ठप रही और राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेन रद्द करनी पड़ी। मंगलवार को भी कई जगह बवाल हुआ। पटना के भिखना पहाड़ी पर झड़प हुई। आरा से ट्रेन में आग लगने की खबर आई। बक्सर और गया में ट्रैक जाम किया गया। इस कारण कई ट्रेनों का रूट बदला गया।

26 को तिरंगा यात्रा
‘आइसा’ के सदस्य गणतंत्र दिवस के अवसर पर ‘हम हैं इसके मालिक – हिंदुस्तान हमारा’ , ‘ हमारा देश-हमारी रेल-हमारा रोजगार-हमारा अधिकार’ तथा ‘हकमारी और दमन क्यों? मोदी-नीतीश जवाब दो’, नारे के साथ पूरे राज्य में युवाओं से तिरंगा मार्च निकालेंगे।

इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के मानद प्रदेश अध्यक्ष व विधायक अजीत कुशवाहा, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन व आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार ने संयुक्त प्रेस बयान जारी करके कहा कि आंदोलनरत छात्र-युवा अपने आक्रोश को मोदी-नीतीश सरकार के खिलाफ मोड़ दें तथा चरणबद्ध आंदोलन खड़ा करते हुए रेलवे बेचने व नौकरियां खत्म करने पर आमदा मोदी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर दें।
उन्होंने पूछा कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार और 19 लाख रोजगार देने का वादा करने वाली नीतीश सरकार बताए कि उसने छात्र-युवाओं के लिए अबतक क्या किया है? रोजगार के नए सृजन की बजाए उसमें लगातार हो रही कटौती ने आज छात्र-युवाओं की जिंदगी व भविष्य को पूरी तरह से अधर में लटका दिया है।
छात्रा-युवा नेताओं ने कहा कि 2019 में रेल मंत्रालय द्वारा जारी 35281 पदों के लिए हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा का पीटी रिजल्ट 14 जनवरी 2022 को आया. पीटी के रिजल्ट में पदों के 20 गुना रिजल्ट जारी करने की बात थी। इस लिहाज से 7 लाख रिजल्ट आने चाहिए थे. रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही जारी किया, लेकिन इसमें तकरीबन 4 लाख रिजल्ट ऐसे हैं जिनमें कोई एक अभ्यर्थी दो से अधिक, यहां तक कि 7 पदों पर सफल हुआ है. इस तरह वास्तविकता में महज 2 लाख 76 हजार रिजल्ट ही जारी हुआ है। अभ्यर्थियों की मांग एकदम जायज है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी का ही रिजल्ट देना चाहिए। इससे साफ प्रतीत होता है कि रेलवे ने जितनी वैकेंसी निकाली थी, उतनी बहाली नहीं कर रही है। अभ्यर्थी सरकार के इस खेल को समझ रहे हैं।

दूसरा मामला ग्रुप डी की परीक्षा की है। इसमें 1 लाख 3 हजार पदों पर बहाली होनी है, जिसपर तकरीबन 1 करोड़ आवेदन आए हैं. यह अपने आप में देश में बढ़ती बेरोजगारी की दर को दिखला रहा है, जहां ग्रुप डी के पदों के लिए भी भारी मारामारी है। पहले के नोटिफिकेशन में इस परीक्षा में केवल पीटी परीक्षा लेने की बात कही गई थी, लेकिन अब एक तुगलकी फरमान निकालकर दो परीक्षाओं को आयोजित करने की बात कही जा रही है।

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