छ्पी-अनछपी: इसराइल में नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग तेज़, भारत ने ग़ज़ा भेजी राहत सामग्री

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग तेज़ हो गयी है। इस बीच भारत की ओर से ग़ज़ा के लिए राहत सामग्री भेजी गई है। उधर इसराइल लड़ाई के नए मोर्चे खोल रहा है। इनकी खबरें अखबारों में अलग अलग जगह हैं। भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि कनाडा भारत के घरेलू मामले में दखल दे रहा था, इस बयान को भी अच्छी जगह मिली है। दुर्गा पूजा से जुड़ी खबरों को सभी जगह काफी जगह मिली है।

भास्कर की खबर है: इसराइल में पीएम नेतन्याहू के इस्तीफ़े की मांग तेज हुई। हमास के हमले के बाद ग़ज़ा में कार्रवाई और बंदिययों की रिहाई में देरी के चलते इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है। कई पूर्व सैन्य अधिकारियों, राजनेताओं और इंटेलिजेंस अधिकारियों ने नेतन्याहू के नेतृत्व पर अविश्वास जताया है। इसराइल के पूर्व पीएम एहुद बराक ने हमास के हमले को इसराइल की स्थापना के बाद सबसे गंभीर झटका बताया है। इसराइली सेना के एक पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ का कहना है कि पीएम  नेतन्याहू को अब पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं एक अन्य इंटेलिजेंस अधिकारी का कहना है कि सरकार पूर्ण रूप से निष्क्रिय है।

इसराइल ने नए मोर्चे खोले

हिन्दुस्तान की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: खतरनाक: इसराइल ने युद्ध के नए मोर्चे खोले। इसराइली वायुसेना ने रविवार को गजा के साथ-साथ लेबनान और सीरिया में भी बम बरसाए। इसके अलावा, उत्तरी गजा के लोगों को चेतावनी जारी करते हुए कहा, अगर वो इलाका छोड़कर नहीं गए तो उन्हें आतंकवादी मान लिया जाएगा। इसराइली सेना ने रविवार को हमलों का दायरा बढ़ा दिया। वायुसेना ने सीरिया में दमिश्क और अलेप्पो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर जबरदस्त बमबारी की। इसकी वजह से दोनों स्थानों से विमानों का संचालन बंद हो गया। सेना ने बताया कि उसने वेस्ट बैंक के जेनिन में अल-अंसार मस्जिद के एक भूमिगत परिसर पर भी हवाई हमला किया।

हिज़्बुल्लाह ने नया मोर्चा खोला तो…

इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लेबनान के संगठन हिजबुल्ला को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर वह इसराइल के खिलाफ एक दूसरा युद्ध मोर्चा खोलता है तो यह उसकी गलती होगी। लेबनान की सीमा के करीब इजरायली सैनिकों से बात करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इसराइल की जवाबी कार्रवाई लेबनान के लिए तबाही ले आएगा और इसके अकल्पनीय परिणाम होंगे।

भारत की राहत सामग्री

जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: भारत ने ग़जा भेजी सहायता। भारत ने इसराइल के हमले से ग़ज़ा में पैदा हुए हालात में फलस्तानियों को मानवीय सहायता भेजी है। भारतीय वायुसेना का परिवहन विमान सी 17 दवाइयां और राहत सामग्री लेकर रविवार को मिस्र पहुंच गया। वहां से यह मानवीय सहायता ग़ज़ा पहुंचाई जाएगी। पहली खेप में भारत में फलस्तीनियों के लिए लगभग 6.5 टन चिकित्सा सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री भेजी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने राहत सामग्री से लदे वायु सेना के विशेष विमान की तस्वीर एक्स पर पोस्ट करते हुए भारत की इस मानवीय पहल की जानकारी साझा की।

दूसरे देशों से आ रहे डॉक्टर

भास्कर की खबर है: ग़ज़ा की उम्मीद; घायलों के लिए दूसरे देशों से आ रहे डॉक्टर। इसराइल-हमास जंग के बीच अब ग़ज़ा की आखिरी उम्मीद डॉक्टर्स ही हैं। पिछले मंगलवार को ग़ज़ा के अल अहली अस्पताल पर हुए एक हमले में करीब 500 लोगों ने जान गंवाई थी। इस संघर्ष में अब तक करीब 1400 इसराइलियों और 3700 फलस्तीनियों की जान जा चुकी है। ग़जा में ख़ौफ़ सिर्फ हवाई हमले का ही नहीं बल्कि यहां की चिकित्सा सुविधा के दम तोड़ने का भी है। जब जंग शुरू हुई थी तब ग़ज़ा के अस्पतालों में कुल 2500 बेड उपलब्ध थे। आज यह हालत यह है कि करीब 12500 घायल लोगों अस्पताल के दरवाजे पर है यानी क्षमता से 5 गुना ज्यादा संसाधनों की जरूरत है। ग़ज़ा में कई अस्पताल बिना बिजली के काम कर रहे हैं जिससे यहां काम करने वाले डॉक्टर को मोबाइल की लाइट पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

कनाडाई दखल

जागरण की सबसे बड़ी खबर है: घरेलू मामलों में कनाडाई दे रहे थे दखल। कनाडा से संबंधों में तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को राजनयिकों की संख्या कम करने पर कहा कि वियना संधि में राजनयिक समानता का प्रावधान है। भारत ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि कनाडाई राजनयिकों द्वारा लगातार हमारे मामलों में हस्तक्षेप किया जा रहा था। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि अगर कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति दिखी तभी वहां नागरिकों को वीजा जारी करने का काम बहाल होगा।

दुर्गा पूजा की भीड़

हिन्दुस्तान के अनुसार राज्यभर में महाअष्टमी के मौके पर रविवार को मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। आस्था का सैलाब पटनदेवी समेत राज्य के सभी 10 शक्तिपीठ, देवी मंदिरों, पूजा पंडालों में उमड़ा। शहरों से लेकर गांव-कस्बों तक में भक्ति भाव चरम पर रहा। खासतौर से भगवती दर्शन एवं खोइंछा भरने के लिए दिनभर सुहागिनों का मंदिर-पंडालों में तांता लगा रहा।

कुछ और सुर्खियां

  • विश्व कप क्रिकेट में न्यूज़ीलैंड को चार विकेट से हराकर भारत सेमीफाइनल के करीब
  • नेपाल सहित बिहार के कई जिलों में भूकंप का झटका
  • अब रविवार को भी मिलेगा रसोई गैस सिलेंडर
  • नौवीं और दसवीं की शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी, 26 हज़ार 89 अभ्यर्थी सफल
  • तेलंगाना में भाजपा ने तीन सांसद विधानसभा चुनाव में उतारे
  • समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान और उनके बेटे को सीतापुर व हरदोई जेल भेजा गया

अनछपी: ग़ज़ा के लोगों के लिए मेडिकल और दूसरी राहत सामग्री भेजकर भारत ने बढ़िया काम किया है जो इसराइल के हमलों से त्रस्त फलस्तीनियों के लिए बहुत ज़रूरी मदद है। अफसोस की बात यह है कि यह राहत सामग्री भारत सीधे फलस्तीनियों को ग़ज़ा में नहीं पहुंचा सकता। खबरों के मुताबिक यह राहत सामग्री मिस्र पहुंचाई गई है जहां से उम्मीद की जाती है कि संयुक्त राष्ट्र के ट्रकों से उसे ग़जा भेजा जाएगा। अभी तक संयुक्त राष्ट्र के ट्रकों से जो राहत सामग्री पहुंची है उसे ऊंट के मुंह में जीरा के समान बताया जा रहा है। ग़ज़ा में जिस स्तर की तबाही है उसके हिसाब से वहां काफी ज्यादा मदद की जरूरत है। लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत और दूसरे देश सिर्फ राहत सामग्री पहुंचाने तक अपनी भूमिका निभाएंगे? यह देखना जरूरी है कि ग़ज़ा को राहत सामग्री की ज़रूरत क्यों पड़ रही है? जाहिर है यह सब कुछ इसराइल का किया धरा है जिसके हमलों में लोग हज़ारों की संख्या में घायल हो रहे हैं और बेमौत मारे जा रहे हैं। इन हमलों में जो लोग बचे हुए हैं वह दाना पानी के मोहताज हैं। इसलिए जरूरी है की सबसे पहले इसराइल पर इस बात के लिए प्रभावी दबाव डाला जाए कि वह निर्दोष लोगों पर हमले बंद करे। अभी तो हालत यह है कि जरूरतमंदों की मदद के लिए भी ग़ज़ा जाना खतरे से ख़ाली नहीं है क्योंकि कब किधर से इसराइल बमबारी कर दे किसी को नहीं मालूम। इसराइल पर यह दबाव डालना इसलिए भी जरूरी है कि वह अब दूसरे देशों को भी अपने हमले का निशाना बन रहा है। इसराइल के हमलों को रोके बिना राहत सामग्री पहुंचाने का कोई खास मतलब नहीं रह जाता है। भारत को भी इस बात के लिए कोशिश करनी चाहिए कि विश्व समुदाय ग़ज़ा में राहत सामग्री पहुंचाने के साथ-साथ इसराइल पर इस बात का दबाव डाले कि वह निर्दोष लोगों पर हमले तत्काल बंद कर दे।

 

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