छ्पी-अनछपी: वेरिफिकेशन नहीं तो 1 अगस्त से वोटर कार्ड बेकार, आज वक़्फ़ बचाओ सम्मेलन
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। बिहार में शुरू किया जा रहे वोटर वेरीफिकेशन के भारी विरोध के बीच यह खबर सामने आई है कि जिनका वेरिफिकेशन नहीं होगा उनका वोटर कार्ड 1 अगस्त से अमान्य माना जाएगा। विवादास्पद वक़्फ़ क़ानून के खिलाफ आज पटना में ‘वक़्फ़ बचाओ-संविधान बचाओ’ सम्मेलन हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि 42609 सिपाहियों की बहाली होगी।
और, जानिएगा कि सीतामढ़ी में जानकी मंदिर के निर्माण पर 1000 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
पहली खबर
जागरण के अनुसार चुनाव आयोग ने विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) के कारण नए मतदाता पहचान पत्र ‘ईपिक’ बनाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही एसआईआर में भाग नहीं लेने वाले मतदाताओं का मतदाता पहचान पत्र भी पहली अगस्त को प्रारूप का प्रकाशन होने के साथ ही अमान्य हो जाएगा। नई मतदाता सूची में बूथ भी बदलने की संभावना है। इसे ध्यान में रखते हुए आयोग की ओर से तत्काल प्रभाव से ‘ईपिक’ बनाने वाली एजेंसियों को भेज डेटा पर काम रोकने का निर्देश भी दिया है। वहीं आयोग की कोशिश है कि अब विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण में भाग लेने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर मतदाता सूची में नाम सम्मिलित करने के साथ ‘ईपिक’ उपलब्ध करा दिया जाए।
इस समय हैं 77895 बीएलओ
एसआईआर में भाग लेने के लिए इस समय बिहार चुनाव आयोग के पास 77895 बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) हैं। इसके अलावा अतिरिक्त नए मतदान केदो के लिए लगभग 20603 नए बीएलओ की नियुक्ति की जा रही है। इस समय बिहार में 7 करोड़ 89 लाख 69 हज़ार 844 मतदाताओं में लगभग 4.96 करोड़ के नाम पहले से पहली जनवरी 2003 की अंतिम गहन पुनरीक्षित मतदाता सूची में है। उन्हें केवल इसकी पुष्टि करनी है।
मतदाता सूची की जांच पर सवाल
हिन्दुस्तान के अनुसार बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य शनिवार से शुरू हो गया । इस पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए। झामुमो, तृणमूल और एआईएमआईएम ने कहा कि इस प्रक्रिया से राज्य मशीनरी का प्रयोगकर जानबूझकर मतदाताओं को बाहर किए जाने का खतरा है। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इसे गुपचुप तरीके से एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) लाने का एक कुटिल प्रयास बताया। उन्होंने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इंडिया गठबंधन की पार्टियां संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे को उठाएंगी। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुपचाप एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) को लागू कर रहा है। ओवैसी ने चेतावनी दी कि चुनाव आयोग के इस कदम से कई भारतीय नागरिक वोट देने के अधिकार से वंचित हो सकते हैं और चुनावों से पहले चुनाव आयोग में लोगों का भरोसा कम हो सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे संविधान की मूल भावना के विरुद्ध बताया। इसका उद्देश्य आदिवासी, दलित, मुस्लिम एवं पिछड़े वर्गों के मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना है।
वक़्फ़ बचाओ, संविधान बचाओ सम्मेलन आज
भास्कर के अनुसार पटना के गांधी मैदान में रविवार को ‘वक़्फ़ बचाओ, संविधान बचाओ’ सम्मेलन होगा। इमारत-ए-शरीया और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों ने इसका आयोजन किया है। आयोग की ओर से बताया गया कि बिहार झारखंड उड़ीसा बंगाल समेत कई राज्यों से 5 लाख से अधिक लोग इसमें शामिल होंगे। जिला प्रशासन द्वारा जेपी गंगा पथ, अटल पथ और मिलर हाई स्कूल मैदान में करीब 3000 वाहनों की पार्किंग का इंतजाम किया गया है। गांधी मैदान के सभी गेट से लोगों की एंट्री होगी। गांधी मैदान के अंदर और चारों ओर करीब 500 जवानों की तैनाती रहेगी। सीसीटीवी कैमरा और ड्रोन से भी निगरानी होगी। डीएसपी सेंट्रल दीक्षा ने बताया कि भीड़ प्रबंधन के लिए अलग से टीम बनाई गई है। ट्रैफिक एसपी अपराजित लोहान ने बताया कि ट्रैफिक के जवानों की तैनाती रहेगी। गांधी मैदान में छोटे वाहन और बाइक की पार्किंग होगी। इधर इदारा-ए-शरीया ने रविवार को होने वाले सम्मेलन को लेकर कहा कि यह मुसलमानों को ठगने के लिए किया जा रहा है।
42609 सिपाहियों की बहाली होगी
प्रभात खबर के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सरकार जल्द ही 42609 सिपाहियों की बहाली प्रक्रिया पूरी करेगी। इस पर काम शुरू कर दिया गया है। इनमें से 19838 पदों पर बहाली की लिखित परीक्षा अगले ही महीने जुलाई में हो रही है। उन्होंने इच्छा जताई कि लिखित परीक्षा के बाद बचे हुए 22771 पदों पर भी बहाली का काम तेजी से हो। मुख्यमंत्री ने शनिवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन स्थित बापू सभागार में नवनियुक्त 21391 पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र दिया।
सीतामढ़ी के जानकी मंदिर के निर्माण पर एक हजार करोड़ खर्च होंगे
अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तर्ज पर सीतामढ़ी में बनने वाले माता जानकी मंदिर के निर्माण पर एक हजार करोड़ खर्च होंगे। पुनौराधाम को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र, अयोध्या की तरह विकसित किया जाएगा। इसके डिजाइन कंसल्टेंट के रूप में नोएडा की कंपनी मेसर्स डिजाइन एसोसिएटस इनकॉरपोरेटेडस का चयन किया गया है। पर्यटन विभाग के सूत्रों के अनुसार, निर्माणकर्ता एजेंसी की ओर से डिजाइन विकसित किए जाने के बाद अब इस क्षेत्र के विकास के लिए ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष इस ड्राफ्ट का प्रजेंटेशन एजेंसी की ओर से जल्द ही किया जाएगा।
कुछ और सुर्खियां:
- पाकिस्तान के वजीरिस्तान जिले में आत्मघाती हमले में 16 सैनिकों की मौत
- विभागीय बैठक से गायब रहे 73 राजस्व अधिकारियों से जवाब तलब किया गया
- निकाय चुनाव में निबंध 75% मतदाताओं ने की ई-वोटिंग
- गुप्तचर एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का नया प्रमुख आईपीएस पराग जैन को बनाया गया
अनछपी: चुनाव आयोग के हवाले से यह खबर आई है कि स्पेशल वोटर रोल रिवीजन को ना तो रोका जाएगा ना ही बंद किया जाएगा। इसके साथ यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग की लिस्ट में जिन्हें ‘अवैध’ माना जाएगा उनके खिलाफ नागरिकता कानून के तहत कार्रवाई के लिए भी लिखा जाएगा। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से आधिकारिक तौर पर यह बात नहीं कही गई है लेकिन इसकी आशंका पहले से जताई जा रही है और कई लोगों ने यह कहा था कि चुनाव आयोग दरअसल वोटर वेरीफिकेशन के नाम पर एनआरसी को ही लागू करवा रहा है। बेहतर तो यह होता कि चुनाव आयोग इन सभी मामलों में पारदर्शिता बरतते हुए इसकी जानकारी देता कि वोटर वेरिफिकेशन के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है और जो लोग वह दस्तावेज नहीं दे पाएंगे उन्हें किस तरह की कार्रवाई का सामना करना होगा। पहले यह कहा गया था कि जो वोटर वेरीफिकेशन का काम नहीं करवा पाएंगे उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा लेकिन अब यह जानकारी सामने आ रही है कि उन पर नागरिकता कानून के खिलाफ पर कार्रवाई होगी। ध्यान रहे कि चुनाव आयोग 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल लोगों को इस वोटर वेरीफिकेशन के लिए मजबूर नहीं करेगा लेकिन इसके अलावा बिहार में लगभग 3 करोड़ ऐसे वोटर हैं जो 2003 के बाद वोटर लिस्ट में शामिल हुए हैं। इन 3 करोड़ वोटरों को अपने बारे में वह दस्तावेज देने पड़ेंगे जिनके बारे में अभी चुनाव आयोग कुछ नहीं बता रहा है लेकिन बीएलओ की ओर से उसकी मांग की जाएगी। एक और चिंता की बात यह है कि अभी तो बीएलओ को ट्रेनिंग ही दी जा रही है। ऐसे में बीएलओ आम लोगों को दस्तावेज देने के लिए कितना समय दे पाएंगे? फिलहाल चुनाव आयोग अपनी ओर से केवल आदेश जारी कर रहा है और राजनीतिक दलों और आम लोगों की जो चिंताएं हैं उसके लिए उसकी ओर से कोई जवाब सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में इस बात का डर है कि बिहार में वोटर वेरीफिकेशन के नाम पर एक बड़ी अफ़रातफरी मचाने वाली है और मनमाने ढंग से लोगों का नाम जोड़ा यह हटाया जा सकता है।
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