छ्पी-अनछ्पी: फरवरी के अंत मे हो सकती है चुनाव की घोषणा, बंगाल में ईडी की टीम पर हमला

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। क्या लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकते हैं? भास्कर के अनुसार ऐसा संभव है और अप्रैल में ही वोटिंग शुरू हो सकती है। पश्चिम बंगाल में छापेमारी करने गई ईडी की टीम पर हमले की खबर भी सभी जगह है। पटना हाई कोर्ट समेत 12 हाई कोर्ट को बम से उड़ने की धमकी दिए जाने की खबर को भी प्रमुखता मिली है।

भास्कर की सबसे बड़ी सुर्खी है: फरवरी अंत में चुनाव की घोषणा, अप्रैल में ही मतदान के तीन चरण। लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर चुनाव आयोग ने बिहार सहित सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की बैठक बुलाई है। बैठक राम मंदिर के उद्घाटन यानी 22 जनवरी के करीब 10 दिन पहले 11-12 जनवरी को संभावित है। संकेत साफ हैं कि इस बैठक में चुनाव की तैयारी की समीक्षा के साथ-साथ संभावित तारीखों पर चर्चा होगी। बैठक के तत्काल बाद आयोग की टीम बिहार सहित अन्य राज्यों का दौरा करेगी और उसके बाद चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया जाएगा। फरवरी के पहले पखवाड़े में चुनाव आयोग की टीम बिहार का दौरा कर सकती है। बिहार में चुनाव को लेकर चल रही तैयारी बता रही है कि 2019 की तुलना में इस बार थोड़ा पहले चुनाव की घोषणा हो सकती है। उम्मीद है कि इस बार फरवरी के अंतिम सप्ताह या फिर 10 मार्च के पहले चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। 2019 में 10 मार्च को चुनाव की घोषणा हुई थी। सूत्रों की माने तो इस बार अप्रैल में ही चुनाव के तीन चरण होंगे।
बंगाल में ईडी की टीम पर हमला
जागरण की दूसरी सबसे बड़ी खबर है: ईडी की टीम पर जानलेवा हमला। बंगाल के राशन घोटाले की जांच के सिलसिले में कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में शुक्रवार सुबह तृणमूल नेता के घर पर छापा मारने पहुंची ईडी की टीम पर नेता के समर्थकों ने जानलेवा हमला कर दिया। टीम तृणमूल नेता शाहजहां शेख के घर पर छापेमारी करने पहुंची थी। हमले में ईडी के कई अधिकारी जख्मी हो गए। इनमें तीन की हालत गंभीर है। उनके सिर फट गए हैं। इन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बड़े पैमाने पर इकट्ठा हुए टीएमसी नेता के समर्थकों ने जहां-तहां छिपे ईडी अधिकारियों की चुन चुन कर पिटाई की। सूत्रों के मुताबिक समर्थकों ने अधिकारियों के एक लैपटॉप, चार मोबाइल फोन व दस्तावेजों से भरे बैग भी छीन लिए।
हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी
हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी खबर है: देश के 12 हाई कोर्ट को बम से उड़ने की धमकी। देशभर के एक दर्जन से अधिक उच्च न्यायालयों में विस्फोटक रखने की धमकी भरा ई-मेल मिलने के बाद हड़कंप मच गया। धमकी भरे मेल के नीचे ‘टेरोराइजर 111 ग्रुप’ लिखा था। इसमें यह भी धमकी दी गई है कि शनिवार की सुबह तक कोर्ट को बम से उड़ा दिया जायेगा। यह खबर मिलते ही पटना पुलिस के तमाम अधिकारी पटना हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट में शुक्रवार की दोपहर सघन तलाशी ली गई। एटीएस (आतंकवाद निरोधी दस्ता) की टीम ने हाईकोर्ट के चप्पे-चप्पे को खंगाला। बम स्क्वॉयड भी एटीएस के साथ मौजूद थी। मेटल डिटेक्टर व अन्य उपकरणों का इस्तेमाल भी किया गया। हालांकि किसी तरह का कोई संदेहास्पद सामान एटीएस की टीम को नहीं मिला। पटना के अलावा इलाहाबाद, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, बम्बई समेत अन्य हाईकोर्ट में भी विस्फोटक होने की धमकी मेल के जरिये दी गई थी। सूत्रों के मुताबिक सुबह के छह बजे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के मेल पर विस्फोटक रखे होने का संदेश आया।
जदयू को चाहिए 16 सीट
प्रभात खबर की सबसे बड़ी सुर्खी है: सीटिंग 16 सीटों पर जदयू का दावा, कांग्रेस का कोटा तय करेगा राजद। जदयू ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही बिहार में इंडिया गठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो जाएगा। पार्टी ने संकेत दिया है कि बिहार में उसके पास लोकसभा की 16 सीटें हैं और इससे कम सीट उसे स्वीकार नहीं होगी। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि लोकसभा में “हमारे 16 सांसद हैं, परंपरा है और आम सहमति भी बन रही है कि सीटिंग सांसद वाली सीटें विजय पार्टी के पास रहेंगी।” उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी नेता बैठकर सीट शेयरिंग पर सबसे पहले आम सहमति बिहार पर ही बनाएंगे। इधर,
जदयू के वरीय नेता व जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा है कि कांग्रेस राजद से बात कर अपनी सीट तय करेगी। सीटों के बारे में जदयू राजद से बात करेगा।
बांग्लादेश में चुनाव का मज़ाक
भास्कर की सुर्खी है: विपक्ष अड़ा- वोटिंग रोक कर रहेंगे, सत्ताधारी पार्टी की जनता को धमकी- मदद छीन लेंगे। बांग्लादेश में चुनाव को लेकर एक दिन बचा है। चुनाव में विपक्ष के 14 दलों की दूरी हिंसा की वजह बन रही है। यही शेख हसीना के लिए नई मुसीबत है। विपक्ष की अपील पर लोग चुनाव से दूर रहे तो दुनिया में गलत संदेश जाएगा। विपक्ष का कहना है कि चुनाव में पारदर्शिता नहीं है। ऐसे में चुनाव को चुनाव जैसा दिखाने के लिए हसीना सरकार का पूरा जोर अब वोटिंग बढ़ाने पर है। पिछली बार 80% वोट पड़े थे। चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार 50% भी मुश्किल लग रही है। सत्ताधारी अवामी लीग के नेता पूर्व मंत्री रमेश चंद्र सेन ने चेतावनी दी है कि जो लोग वोट नहीं डालेंगे उनकी सरकारी मदद छीन ली जाएगी। हालांकि उनके इस बयान से पार्टी के अन्य नेता खुद को अलग कर रहे हैं लेकिन चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों में संदेश चला गया है।
जल्द बनाएं पंचायत सरकार भवन: सीएम
जागरण की सबसे बड़ी खबर है: जमीन की पहचान कर जल्द बनाएं पंचायत सरकार भवन। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को कहा है कि सभी पंचायत में पंचायत सरकार भवन के निर्माण की गारंटी करें। “अगर जमीन के कारण भवन निर्माण बाधित हो रहा है तो शीघ्र इसका प्रबंध करें। पंचायत सरकार भावनाओं के लिए जहां जमीन मिल गई है जल्द निर्माण कराएं।” उन्होंने शुक्रवार को पंचायती राज विभाग के समीक्षा के दौरान अधिकारियों को कई निर्देश दिए।

कुछ और सुर्खियां
● टी 20 वर्ल्ड कप क्रिकेट 1 जून से, भारत और पाकिस्तान का मैच नौ जून को
● पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने पार्टनर पर कराया 15 करोड़ की धोखाधड़ी का केस
● अभी और बढ़ेगी ठंड, 3 दिन में पटना में दो-तीन डिग्री तक गिरेगा पारा
● आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी की डिप्टी रजिस्ट्रार कुमारी अंजना को उनके पद से हटाया गया
● 15 दिन से अधिक गैर हाजिर रहने पर 24 लाख बच्चों के नाम काटे गए
● पांचवीं कक्षा तक के बीएडधारी नियोजित शिक्षक फिलहाल बने रहेंगे
● डाकघर से बदल सकेंगे ₹2000 के नोट
अनछपी: पश्चिम बंगाल में ईडी की टीम पर हमले की खबर चिंताजनक है और हमें इस पर सोचने को मजबूर होना चाहिए। इस समय ईडी और राज्य सरकारों के बीच तनाव की बात आम है। ईडी के बारे में समझा जाता है कि यह केंद्र सरकार की वैसी एजेंसी है जिसका इस्तेमाल विपक्षी दलों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि इस समय झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों ईडी के निशाने पर हैं। दोनों मुख्यमंत्री को ईडी का लगातार समन भेजा जा रहा है और इन दोनों का कहना है कि ऐसा नियम के विरुद्ध किया जा रहा है। ऐसे में आम लोगों का ईडी के विरुद्ध गुस्सा निकालना स्वाभाविक बात लगती है हालांकि कानून को हाथ में लेकर सरकारी अधिकारियों पर हमले को किसी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है। सवाल यह है कि पश्चिम बंगाल में ईडी की टीम पर हमला क्यों हुआ और उसे तत्काल पुलिस की मदद क्यों नहीं मिली। आरोप है कि हमले के दौरान जब ईडी के अधिकारियों ने जिले के पुलिस अधीक्षक व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने उनसे बात ही नहीं की। जब अधिकारियों का इस्तेमाल केंद्र सरकार और राज्य सरकार अपने-अपने स्वार्थों के लिए करने लगती है तो ऐसी स्थिति पैदा होती है जो निश्चित रूप से बेहद निराशाजनक है। यह माना जाना चाहिए कि अगर ईडी को कहीं छापेमारी करनी है तो वह स्थानीय पुलिस को पहले विश्वास में ले ले। ईडी के अधिकारी शायद यह कहें कि स्थानीय पुलिस को सूचना देने से जिनके खिलाफ छापेमारी करनी है वह भाग सकते हैं। लेकिन स्थानीय पुलिस को विश्वास में नहीं लेने से उनके साथ मारपीट हो सकती है। यह बहुत मुश्किल स्थिति है। इससे राज्य और केंद्र के टकराव की बात को समझा जा सकता है। दोनों सरकारों को केंद्रीय एजेंसियों के काम करने के तौर तरीकों पर बात जरूर करनी चाहिए वरना ऐसी स्थिति जारी रह सकती है।

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