छ्पी-अनछपी: ट्रंप ने टैरिफ बम फोड़ा, बिहार में 100 करोड़ की इंडस्ट्री लगाने पर 10 एकड़ जमीन मुफ्त
बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। अमेरिका ने भारत पर 25% और टैरिफ के साथ कुल 50% टैरिफ लगाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। बिहार सरकार ने घोषणा की है कि बिहार में 100 करोड़ रुपए से इंडस्ट्री लगाने के लिए 10 एकड़ जमीन मुफ्त में दी जाएगी। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि देश में वर्षों से वोट की चोरी चल रही है।
और, जनिएगा कि डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री अशोक चौधरी के बीच किस बात पर तू-तू मैं-मैं हुई।
पहली ख़बर
हिन्दुस्तान के अनुसार भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी अमेरिकी शुल्क (टैरिफ) बुधवार से लागू हो जाएगा। अमेरिका के गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इसके बाद भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा। इससे भारत का 48 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात प्रभावित होगा। वहीं, अमेरिकी टैरिफ पर प्रधानमंत्री कार्यालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई। अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क पहले से लागू है। बुधवार से अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाया जाएगा। अमेरिकी अधिसूचना के अनुसार, बढ़ा हुआ शुल्क उन भारतीय उत्पादों पर लागू होगा, जिन्हें 27 अगस्त 2025 को अमेरिकी समयानुसार रात 12 बजकर एक मिनट या उसके बाद देश में लाया जाएगा या गोदाम से निकाला जाएगा।
48 अरब के एक्सपोर्ट पर पड़ेगा असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर आयात शुल्क को दोगुना कर दिया है। पहले 25 फीसदी शुल्क लग रहा था, जिसे बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया है। ट्रंप के इस कदम से प्रमुख भारतीय निर्यात उद्योगों को तेज झटका लग सकता है और अमेरिका को भारत के 48 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के निर्यात पर असर पड़ेगा। इनमें प्रमुख तौर पर वाहन, कपड़ा और कृषि उद्योग शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सामान से सबसे अधिक छोटे और मझोले उद्योग जुड़े हुए हैं, जिनकी भारत के कुल निर्यात में लगभग 45 फीसदी हिस्सेदारी है। अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ लागू होने के पांच क्षेत्रों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की आशंका है। ऊंचे शुल्क के चलते एमएसएमई पर दबाव बढ़ेगा। प्रतिस्पर्धा के लिए उनके सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी। उदाहरण के लिए अमेरिका के भेजे जाने वाले ऑटो कुलपुर्जों में गियरबॉक्स और ट्रांसमिशन उपकरण की मांग सबसे अधिक है।
100 करोड़ की इंडस्ट्री लगाने पर 10 एकड़ जमीन मुफ्त देने की घोषणा
प्रभात खबर के अनुसार बिहार सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुफ्त जमीन से लेकर टैक्स में छूट देने तक का फैसला लिया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसके लिए बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज (बीआईआईपीपी 2025) को मंजूरी दी गई। कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस पैकेज का मकसद बिहार में नए उद्योगों को आकर्षित करना और रोजगार के अवसर बढ़ाना है। मुख्य सचिव ने बताया कि यह पैकेज 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगा। इसके तहत जो कंपनियां बिहार में 100 करोड़ रुपए या उससे अधिक का निवेश करेंगी और 1000 से ज्यादा रोजगार देंगी, उन्हें 10 एकड़ तक जमीन मुफ्त दी जाएगी। इसके अलावा 1000 करोड़ से अधिक का निवेश करने वाली कंपनियों को 25 एकड़ जमीन मुफ्त देने का फैसला किया गया है। अगर फॉर्च्यून 500 कंपनियां निवेश को आगे आती हैं तो उन्हें भी 10 एकड़ जमीन मुफ्त में दी जाएगी। सरकार ₹1 के टोकन मनी पर कंपनियों को यह जमीन देगी।
वर्षों से चल रही वोट की चोरी: राहुल
हिन्दुस्तान के अनुसार वोटर अधिकार यात्रा के तहत मंगलवार दोपहर मधुबनी के फुलपरास पहुंचे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सामाजिक संवाद में कहा कि देश में वर्षों से वोट की चोरी हो रही है। वोट की शक्ति के बिना 50 फीसदी आरक्षण की दीवार नहीं टूटेगी।यात्रा में शामिल कांग्रेस महासचिव व सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, वोट आपका सबसे कीमती अधिकार है। इसे चोरी मत होने दें। एक बार वोट चोरी हो गई तो आपकी पहचान खत्म हो जाएगी। पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव से पहले कहा था कि कांग्रेस वाले आएंगे तो आपकी भैंस चुरा लेंगे, पर भाजपा वाले वोट चोरी करने लगे। राहुल ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाजपा सरकार 40 साल तक चलेगी। अब समझ में आया कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था? राहुल ने दावा किया कि सबसे पहले गुजरात और फिर 2014 के चुनाव में वोट की चोरी की गई। इसके बाद राजस्थान और हरियाणा के चुनाव में गड़बड़ी की गयी। इनकी वोट चोरी हमने महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में पकड़ ली।
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री अशोक चौधरी में भिडंत
भास्कर के अनुसार डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी मंगलवार को भिड़ गए। भिड़ंत ऐसी रही कि अगर कुछ मंत्री व अफसर बीच-बचाव नहीं करते, तो कुछ भी हो सकता था। बीच-बचाव करने वाले लोग, दोनों को नॉर्मल करने में कामयाब रहे। यह सब एक कॉलेज के लिए जमीन को लेकर हुआ। यह कॉलेज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमां खान के विधानसभा क्षेत्र (चैनपुर) में बनना है। विजय और अशोक के बीच तनातनी वाली बतकही की शुरुआत कैबिनेट की मीटिंग में हुई। कैबिनेट के बाद यह तू-तू मैं-मैं पर उतर आई। सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट हॉल में अशोक ने विजय से इस कॉलेज के लिए जमीन देने की बात कही। उनकी लाइन थी- अपने विभाग (कृषि) की जमीन कॉलेज को दे दीजिए न उन्होंने जमीन देने की घोषित शर्त बताई। कहा- नियम है कि कृषि विभाग जितनी जमीन देता है, उसके बदले उतनी ही जमीन लेता है। ऐसा हो जाए, तो मैं विभाग की जमीन दे दूंगा। अशोक का कहना था कि बदले में जमीन मिलने की प्रत्याशा में जमीन दे दीजिए। अशोक चौधरी ने विजय सिन्हा से कहा कि वह हमेशा कृषि मंत्री नहीं रहेंगे तो विजय सिन्हा ने तंज किया कि आप तो हमेशा मंत्री रहिएगा।
कुछ और सुर्खियां:
- झारखंड विधानसभा में एसआईआर के विरोध में प्रस्ताव पारित
- इंटर्न डॉक्टरों की हड़ताल से पीएमसीएच और एनएमसीएच में ओपीडी ठप रहा
- मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में फिर हुई रैगिंग, छह आरोपित छात्र को सस्पेंड किया गया
- भारतीय सामान पर अमेरिका में और 25% टैरिफ लागू करने की अधिसूचना जारी होने से सेंसेक्स 849 अंक लुढ़का
- जम्मू में वैष्णो देवी मार्ग पर जमीन खिसकने और डोडा में बादल फटने से 13 लोगों की मौत
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटना मेट्रो को अगले महीने हरी झंडी दिखाएंगे
- दनियावां- बिहार शरीफ एनएच 30 ए पर बाढ़ का पानी चढ़ा
अनछपीअनछपी: सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देश दिया है कि वह अपने चीफ जस्टिस को उन फैसलों का विवरण दें जो 3 महीने तक सुरक्षित रखे गए हो मगर उसके फैसले नहीं सुनाए गए। इससे पहले भी लंबे समय तक फैसलों को सुरक्षित रखे जाने का मामला चर्चा में आ चुका है। सुनवाई पूरी होने के बाद लंबे समय तक फैसले को सुरक्षित रखे जाने का कोई मतलब समझ में नहीं आता। अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाने में देरी के एक ऐसे ही मामले को बेहद चौंकाने वाला बताया है। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा एक आपराधिक मामले में दिसंबर 2021 में फैसला सुरक्षित रखने के बावजूद उसे सुनने में विफल रहने पर चिंता व्यक्त की। यह सोचकर हैरत होती है कि किसी मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद चार-चार साल तक फैसला सुरक्षित कैसे रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने ठीक ही कहा कि ऐसी स्थिति में मुकदमा करने वाले ज्यूडिशल प्रोसेस में अपना भरोसा खो देते हैं। अंग्रेजी की कहावत है कि जस्टिस डिलेड इज़ जस्टिस डिनाइड। आसान हिंदी में कहा जाता है कि देरी से असंतोष बढ़ता है। एक तो पहले से ही अदालती मामले देरी क्या शिकार होते हैं और कई मामले तो 20-30 साल तक चलते हैं। एक तरफ जहां अदालतों की इस लेट लतीफी को ठीक करने की तुरंत जरूरत है वही इस बात पर भी गहन चिंतन मन होना चाहिए की फैसला सुरक्षित रखने के कितने दिनों बाद तक फैसला सुनाया जाना जरूरी है। पारदर्शिता के लिए बेहतर यह होगा कि सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुनाने की एक निश्चित तारीख तय हो और अगर फैसला सुरक्षित रखने के बाद ज्यादा देरी हो तो इसकी वजह भी बताई जाए कि आखिर इसमें इतनी देर क्यों हो रही है। अगर ऐसा नहीं होता है तो लोगों का भरोसा अदालती कार्रवाई पर कम होता रहेगा।
:
192 total views