मोहब्बत व इंक़लाब की ज़बान है उर्दू: मौलाना वली रहमानी

बिहार लोक संवाद डॉट नेट पटना
उर्दू मोहब्बत की जबान है, इंकलाब की जबान है और आजादी का हथियार है।
ये बातें इमारत शरिया बिहार, झारखंड व उड़ीसा के अमीर मौलाना सैयद मोहम्मद वली रहमानी ने रविवार को फुलवारी शरीफ में आयोजित एक सभा में कहीं।
उर्दू की तरक्की व सुरक्षा पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में पूरे बिहार से उर्दू प्रेमी का जुटान हुआ था।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में मौलाना वली रहमानी ने कहा कि हम उर्दू बोलेंगे, लिखेंगे, उर्दू को बढ़ाएंगे तो उर्दू आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हम आने वाली नस्ल को उर्दू पढ़ाएंगे, उन्हें तहजीब से सजाएंगे तो समाज में सद्भावना और सभ्यता आएगी।
मौलाना वली रहमानी ने इस बात पर अफसोस जाहिर की कि नई शिक्षा नीति में उर्दू का कहीं उल्लेख नहीं है जबकि अभी तक उत्तर भारत में संपर्क का एक बड़ा साधन उर्दू है।
उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जाहिर की कि उर्दू भाषा के शिक्षक बनने की इच्छा रखने वाले लोगों को राज्य सरकार ने अभी तक यह अवसर प्रदान नहीं किया है जबकि उनके इम्तिहान भी हो गए हैं।
मौलाना ने कहा कि उर्दू के लिए काम करने वाले सरकारी या गैर सरकारी संस्थान हैं मगर किसी के चेयरमैन नहीं है, किसी के सेक्रेटरी की बहाली नहीं हुई है और कोई निष्क्रिय है। उनके अनुसार बस एक उर्दू निदेशालय है जो जीवंतता का साक्ष्य दे रहा है।
मौलाना ने उर्दू की तरक्की के लिए सामूहिक प्रयास अपनाने की बात कही।
इस अवसर पर मौलाना आदिल फरीदी ने उर्दू भाषा-भाषी को होने वाली परेशानियों का विस्तार से उल्लेख किया। उनके अलावा वरिष्ठ पत्रकार रेहान गनी और अनवारुल हुदा आदि ने भी विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में मौलाना शमीम अकरम रहमानी ने उर्दू पर एक नज़्म सुनाई: उर्दू है मेरा नाम
मैं खुसरो की पहेली।
कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना मोहम्मद हस्सान की तिलावते कलाम ए पाक से हुई। कारी मुजीबर रहमान साहब ने नातिया कलाम पेश किया।

 

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