छपी-अनछपी: शराब के सबसे बड़े धंधेबाज पटना में, ”गुमराह करने से नहीं बनता इतिहास”

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। 26 नवंबर को बिहार में नशा मुक्ति दिवस मनाया जाता है और यही संविधान दिवस भी है। इस मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इशारा किया कि शराब का धंधा सबसे ज्यादा पटना में होता है। यही खबर आज सभी जगह लीड है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इतिहास को बदले जाने की बारे में दिए गए बयान के जवाब में बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पलटवार किया है। इसकी खबर भी सभी अखबारों में प्रमुखता से है। एक और महत्वपूर्ण खबर की सुर्खी है कि इमामों को पारिश्रमिक देना संविधान के अनुरूप नहीं। यह बयान केंद्रीय सूचना आयुक्त का है।
भास्कर की पहली खबर है: नीतीश बोले- शराब की सबसे अधिक गड़बड़ी पटना में ही, बड़े धंधेबाज यही। जागरण ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को सुर्खी में जगह दी है: शराब के असली धंधेबाज को पकड़ कर जेल में डालें। प्रभात खबर ने लिखा है: पटना डीएम-एसएसपी को मंच पर बुला बोले सीएम, यहीं है शराबबंदी की अधिक गड़बड़ी। हिंदुस्तान की हैडलाइन है शराब की असली धंधे बाजो पर करें कार्रवाई: नीतीश। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस के लोग अलर्ट रहेंगे तो गड़बड़ी नहीं होगी, वैसा कोई पुलिस वाला नहीं होगा जिसको भीतर की बात का पता नहीं रहता। उन्होंने कहा कि अगर पटना ठीक हो गया तो पूरा बिहार ठीक हो जाएगा।

“गुमराह करने से इतिहास नहीं बनता”
बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और वरिष्ठ जदयू नेता का यह बयान सभी अख़बारों में है जिसमें उन्होंने कहा कि गुमराह करने से इतिहास नहीं बनता। श्री चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा लगातार भारत के इतिहास को फिर से लिखने की बात दुहराई जा रही है। पिछले दिनों असम के प्रख्यात योद्धा लाचित बोड़फुकन दिवस पर तो गृह मंत्री ने इतिहास के पुनर्लेखन के लिए केंद्र सरकार द्वारा मदद दिए जाने की घोषणा भी कर दी। यह पूरे राष्ट्र के लिए खतरे एवं चेतावनी की सूचना है। कहा कि इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है, न कि प्रचार तंत्र के माध्यम से जनमानस को गुमराह करने से। देश की जनता सब देख रही है और समझ रही है। उन्होंने कहा कि अभी तक तो केंद्र सरकार द्वारा ढंके-छिपे रूप से देश का इतिहास बदलने की कोशिश हो रही थी, अब खुल्लम-खुल्ला इतिहास से छेड़छाड़ का ऐलान हो रहा है। दरअसल, आधुनिक भारत के इतिहास एवं खासकर स्वतंत्रता संग्राम में मूल रूप से कांग्रेसियों एवं समाजवादियों की भूमिका रही है। इसमें जिनका न कोई योगदान रहा, न कोई भूमिका रही, वे आज इतिहास बदलकर अपने को प्रासंगिक बनाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।

इमामों को पारिश्रमिक
हिंदुस्तान के पहले पेज पर सुर्खी है: इमामों को पारिश्रमिक देना संविधान के अनुरूप नहीं। जागरण की सुर्खी है: करदाताओं के पैसे से ही इमामों वेतन नहीं। केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि मस्जिदों में इमामों को पारिश्रमिक देने का सुप्रीम कोर्ट का 1993 का आदेश संविधान के अनुरूप नहीं है। यह गलत उदाहरण पेश करने के अलावा अनावश्यक राजनीतिक विवाद एवं सामाजिक असामंजस्य का कारण बन रहा है। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने दिल्ली सरकार और दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा इमामों को मिलने वाले वेतन की जानकारी मांगी थी। सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त उदय महूरकर ने कहा, अदालत का आदेश उन संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है, जिनमें कहा गया है कि करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल किसी विशेष धर्म के पक्ष में नहीं किया जाएगा। महूरकर ने कहा, दिल्ली वक्फ बोर्ड मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को दिए जा रहे 18 हजार रुपये और 16 हजार के मासिक मानदेय का भुगतान दिल्ली सरकार करदाताओं के पैसे से कर रही है, जो याचिकाकर्ता द्वारा उद्धृत उस उदाहरण के उलट है, जिसमें एक पुजारी को न्यास से महज दो हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं।

कृषि अफसर की अवैध कमाई
बक्सर के जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार के चार ठिकानों पर शनिवार को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने छापेमारी की। भास्कर की सुर्खी है: कृषि अफसर की अवैध कमाई; मुंबई में फ्लैट, बिहार में भी प्लॉट। जागरण ने लिखा है: बक्सर के जिला कृषि पदाधिकारी के चार ठिकानों पर छापे। हिन्दुस्तान के अनुसार आय से अधिक संपत्ति के मामले में पकड़े गए मनोज कुमार के बक्सर स्थित आवास एवं कार्यालय की ब्यूरो की सात सदस्यीय टीम ने सघन तलाशी ली। हाजीपुर स्थित उनके आवास पर छापेमारी के दौरान मुम्बई में फ्लैट खरीदे जाने के कागजात भी हाथ लगे हैं। घर मे रखा कैश और सोने-चांदी भी भारी मात्रा में बरामद किया गया है।

भारत से संचालित होता है पूरा विश्व: भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत आजकल बिहार के दौरे पर हैं। इस बारे में जागरण की सुर्खी है: शाहजहां ने काशी के विद्वानों के शास्त्रार्थ के बाद हटाया ‘जज़िया’ कर: भागवत। यह बात उन्होंने बक्सर में एक कार्यक्रम के दौरान कही। हिंदुस्तान में इस खबर की सुर्खी है: भारत से संचालित होता है पूरा विश्व: भागवत।

अनछपी: इमामों के वेतन के बारे में केंद्रीय सूचना आयोग के सूचना आयुक्त उदय माहूरकर की बात अपनी जगह सही हो सकती लेकिन जिस तरह उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में टिप्पणी की है वह एक गंभीर मुद्दा बन सकता है। वक्त संपत्ति से दिए गए वेतन के बारे में यह कहना कि इमामों को करदाताओं के पैसे से वेतन दिया जाता है खुद एक विवादास्पद बात है। अलबत्ता सरकार द्वारा इस तरह के वेतन दिए जाने पर सवाल किया जा सकता है। इसके साथ यह भी देखना होगा कि सरकार करदाताओं के पैसों से और कौन-कौन से धार्मिक कार्य करवाती है। वैसे तो सूचना आयुक्त का काम सिर्फ सूचना देना होता है लेकिन उनकी इस टिप्पणी से विवाद पैदा होना लाजमी है। उधर सुप्रीम कोर्ट को भी सूचना आयुक्त की इस टिप्पणी का नोटिस लेना चाहिए। यह भी हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट से कहा जाए कि वह अपने पुराने आदेश पर पुनर्विचार करे। कुल मिलाकर यह एक संवेदनशील मुद्दा है और सूचना आयुक्त द्वारा इसे छेड़ा जाना अनावश्यक विवाद लगता है।

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