मस्जिदों में राम जाप की आरएसएस की खतरनाक चाहत

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने रविवार को मुसलमानों से 22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर मस्जिदों, दरगाहों और मदरसों में ‘श्री राम, जय राम, जय जय राम’ जपने की अपील की। इंद्रेश कुमार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक भी हैं। उन्होंने अपील की कि 22 जनवरी को सुबह 11:00 बजे से दिन के 1:00 तक जब अयोध्या में रामलाल की प्राण-प्रतिष्ठा हो दरगाह हो मदरसों, मकतबों और मस्जिदों में देश की उन्नति, प्रगति, सौहार्द के लिए इबादत करें। शाम को इन स्थानों पर चिराग रोशन करें। इंद्रेश कुमार रविवार को आकाशवाणी के रंग भवन में ‘राम मंदिर, राष्ट्र मंदिर- एक साझी विरासत, कुछ अनसुनी बातें’ पुस्तक के विमोचन समारोह का संबोधित कर रहे थे।

आरएसएस के इंद्रेश कुमार चाहते हैं कि 22 जनवरी को मस्जिदों में राम जाप किया जाए। उनकी यह चाहत अविवेकपूर्ण और धार्मिक सद्भावना के खिलाफ है। उन्होंने यह बात फिलहाल अपील के अंदाज में कही है लेकिन बाद में यही अपील जिद बन जाती है। आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी अक्सर यह कहती है कि राम मंदिर का कार्यक्रम राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक है लेकिन हकीकत यह है कि दोनों इसका राजनीतिक इस्तेमाल करते हैं। अगर यह धार्मिक कार्यक्रम है तो इसमें दूसरे धर्म के लोगों को इस तरह घसीटने की क्या जरूरत है? इंद्रेश कुमार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी चलाते हैं और इस नाते उनसे मुसलमानों का संपर्क बना रहता है।

इंद्रेश कुमार को अच्छी तरह पता है की मस्जिदों में सिर्फ अल्लाह की इबादत की जाती है और इसके अलावा किसी दूसरे की इबादत की गुंजाइश और इजाजत नहीं है। इंद्रेश कुमार की यह चाहत भी है कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन मस्जिदों में देश की प्रगति के लिए इबादत की जाए। श्रीराम के लिए सम्मान व्यक्त करना अलग बात है लेकिन उन्हें सब का आराध्य बताना दरअसल धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ करना है। इसी तरह देश की प्रगति के लिए दुआ करने में कोई हर्ज नहीं लेकिन इसके लिए दिन का निर्धारण इंद्रेश कुमार क्यों करें? देखा जाए तो मुसलमान हर दिन देश में शांति और प्रगति के लिए दुआ करता है, मगर इंद्रेश कुमार को इस बात का ध्यान नहीं रहता।

इंद्रेश कुमार की चाहत वास्तव में धार्मिक व सांस्कृतिक वर्चस्व की चाहत है और आम भारतीयों की धार्मिक स्वतंत्रता पर गहरा आघात है। इंद्रेश कुमार आरएसएस की एक मजबूत आवाज हैं और उनकी ऐसी ही चाहतों का बिगड़ा स्वरूप आए दिन हम कई जगहों पर देखते रहते हैं। उदाहरण के लिए जय श्री राम का नारा जबरदस्ती लगवाने की कई घटनाएं हमारे सामने हैं। दरअसल निचले स्तर पर की गई इस तरह की जबरदस्ती की शुरुआत ऊपरी स्तर से होती है। ऊपरी स्तर पर मीठे-मीठे बोल से ऐसे जहर फैलाए जाते हैं जो निचले स्तर पर आते-आते ज़हरीले बोल में बदल जाते हैं। इंद्रेश कुमार को यह बात शालीनता से लेकिन दृढ़ता से बताने की जरूरत है कि वह मस्जिदों और मदरसों को उसी काम के लिए रहने दें जिस काम के लिए है।

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