2013 के पटना ब्लास्ट में 4 को फांसी, दो को उम्रकैद, दो को 10-10 साल और एक को 7 साल कैद

बिहार लोक संवाद डाॅट नेट, पटना।
27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान, पटना में सीरियल बम ब्लास्ट्स में दोषी करार दिये गये नौ अभियुक्तों में से चार को फांसी, दो को उम्र कैद, दो को 10-10 साल और एक को सात साल कैद की सजा सुनायी गयी है। यह सजा एनआईए के स्पेशल कोर्ट ने एक नवंबर को सुनायी है। एनआईए के स्पेशल कोर्ट के विशेष जज गुरविन्दर सिंह मल्होत्रा ने यह फैसला सुनाया है।

इन धमाकों में आरोपित किये गये दस अभियुक्तों में से नौ को एनआईए के स्पेशल कोर्ट ने आठ साल बाद यानी 27 अक्टूबर 2021 को दोषी करार दिया था। एक अभियुक्त फख्रउद्दीन को सबूत नहीं मिलने की बुनियाद पर बरी किया गया है।
कोर्ट के सूत्रों के अनुसार इस कांड में हैदर अली, नोमान अंसारी, मो मुजीबुल्लाह अंसारी और इम्तियाज अंसारी को फांसी की सजा सुनाई गई है। इन लोगों को 5 अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई गई है और आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है।
इसके साथ ही उमर सिद्दिकी और अजहरुद्दीन कुरैशी को आजीवन कारावास, अहमद हुसैन और फिरोज आलम को 10 साल एवं मोहम्मद इफ्तिखार आलम को 7 साल की सजा सुनाई गई है।
ये धमाके गांधी मैदान में उस समय के भाजपा के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान पटना रेलव जंक्शन और गांधी मैदान के आसपास हुए थे जिसमें छह लोगों की जान चली गयी थी। इनके अलावा करीब सात दर्जन लोग घायल हुए थे।
जिन अभियुक्तों को बुधवार को मुजरिम करार दिया गया है उनमें से कोई बिहार का नहीं है। इनमें से छह रांची के, उत्तर प्रदेश से एक और रायपुर से दो हैं। जिन अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया था उनमें रांची के इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, नुमान अंसारी, इफ्तिखार आलम, फिरोज आलम और मुजीबुल्लाह अंसारी शामिल थे। दोषी करार दिये गय रायपुर के अभियुक्तों का नाम उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन है जबकि उत्तर प्रदेश के अभियुक्त का नाम अहमद हुसैन है। एनआईए की अदालत ने इनमें से पांच- हैदर अली, अजहरुद्दीन, उमर सिद्दीकी, इम्तियाज अहमद और मुजीबुल्लाह को बोधगया ब्लास्ट में पहले ही उम्रकैद की सजा सुना रखी है।
एनआईए के वकील ललन प्रसाद सिन्हा का आरोप था कि दोषी करार दिये गये सभी इंडियन मुजाहिदीन क सक्रिय सदस्य हैं। उनके मुताबिक मुख्या आरोपितों में से छह को देशद्रोह, आपराधिक साजिश, हत्या का प्रयास और यूएपीए की धाराओं के तहत सजा सुनायी गयी है। दूसरी तरफ बचाव पक्ष के वकील सैयद इमरान गनी का कहना है कि अदालत के फैसले का अध्ययन करने के बाद आगे की रणनीति बनाएंगे।

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