हेरिटेज से भरा है बिहार का पटना

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट पटना

हर साल 18 अप्रील को वल्र्ड हेरिटेज डे मनाया जाता है। राजधानी पटना के साथ-साथ पूरा बिहार हेरिटेज यानी गौरवशाली विरासत से भरा पड़ा है। इनमें से कई को पर्यटल स्थल का दर्जा हासिल है। बात अगर सिर्फ़ पटना की करें तो यहां भी कई ऐसी विरासतें हैं, जो आम और ख़ास लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।

गोलघर
गोलघर का निर्माण 20 जुलाई, 1786 में हुआ था। गोलघर को बनाने का विचार तब पैदा हुआ था जब भयंकर सूखे के दौरान काफी लोगों की मौत हो गई थी। गोलघर में लगभग 1 लाख 37 हजार टन अनाज रखने की क्षमता है। शौक़ीन लोग गोलघर की सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाते हैं और वहां से दूर-दूर तक का नज़ारा देखते हैं।

पटना म्युज़ियम
पटना म्युज़ियम भी काफी महत्वपूर्ण स्थान है। इसे आम भाषा में जादूघर भी कहते हैं। इसकी स्थापना 1917 में हुई थी। इसका भवन इंडो-सारसैनिक शैली में निर्मित है। म्युज़ियम में दुर्लभ संग्रह का भंडार है जिसमें नाना प्रकार की मूर्तियां, पेड़ का जीवाश्म, पेंटिंग, ऐतिहासिक साज़ोसामान शामिल हैं।

दरभंगा हाउस
दरभंगा हाउस भी काफी मशहूर स्थान है। दरभांगा महाराज ने 119 साल पहले इस भवन को अपने निवास स्थान के रूप में बनवाया था। आजकल यहां पटना विश्वविद्यालय के पीजी की पढ़ाई होती है। फ़ारसी, हिन्दी और मास कम्युनिकेशन के पीजी डिपार्टमेंट भी यहीं से संचालित होते हैं।

बुद्ध स्मृति पार्क
पटना जंक्शन के पास निर्मित बुद्ध स्मृति पार्क भगवान बुद्ध को समर्पित है। पार्क के बीचोबीच एक स्तूप है जिसे पाटलिपुत्र करुणा स्तूप कहा जाता है। इसके अंदर बुद्ध के अस्थि अवशेष सुरक्षित हैं।

कुम्हरार
पटना का कुम्हरार भी ऐतिहासिक स्थल है। यहां पर 80 स्तंभों वाला एक समभवन मिला है जहां तृतीय बौध संगीति हुई थी। इसके अलावा यहां पर गुप्तकालीन अस्पताल का भी प्रमाण मिलता है। इसकी पुष्टि यहां से प्राप्त एक सील से होती है जिसपर ‘आरोग्य विहारे भिक्षु संघस्य’ लिखा है।

खुदा बख़्श लाइब्रेरी
खुदा बख़्श लाइब्रेरी भारतीय संस्कृति की धरोहर है जिसकी स्थापना 1891 में हुई थी। इस लाइब्रेरी को पुस्तक प्रेमी खुदाबख़्श खं़ा ने क़ायम किया था। लाइब्रेरी में 21 हजार से अधिक फारसी, पशतो, उर्दू, तुर्की और अरबी पाण्डुलिपियां मौजूद हैं। इसके अलावा यहां हजारों प्रिंटेड किताबों का जख़ीरा भी है। यहां महात्मा गांधी, लाॅर्ड कर्जन, वैज्ञानिक सीवी रमण, प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और बहुत सारे गणमान्य लोग आ चुके हैं।

वल्र्ड हेरिटेज डे इसलिए मनाया जाता है कि हम अपनी विरासतों की अहमीयत को समझें और इसके संरक्षण के लिए हमेशा तत्पर रहें।

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