क्या अल्पसंख्यक मद में बजट की सिर्फ़ 11 प्रतिशत राशि ही खर्च होगी? अधिकारी चुप

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट

पटना, 5 जनवरी: विज्ञापनों के माध्यम से ‘आॅल इज़ वेल’ का दावा करने वाली सरकार के साहेबान कैमरे पर कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं होते। मीडिया अगर उनके मन-मुताबिक़ बातों को जनता के सामनेे परोस रहा है तो ठीक, वर्ना वे बाइट देने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं।

मिसाल के लिए, बिहार उर्दू अकादमी दो वर्षों से मुर्दा पड़ी है। कार्यकारिणी समिति का गठन नहीं होने की वजह से उर्दू के विकास की सारी गतिविधियां ठप पड़ी हैं। एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि उर्दू अकादमी का बायलाॅज़ बदला जा रहा है। नये बायलाॅज़ के मुताबिक़ अगर कार्यकारिणी फंकशन में न भी हो तो अकादमी का सेक्रेटरी अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए फ़ैसले ले सकता है। इसपर आॅल इंडिया मजलिसे मुशावरत, बिहार चैप्टर के जेनरल सेक्रेटी अनवारुल होदा ने बिहार लोक संवाद डाॅट नेट से बातचीत करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसी हालत में उर्दू अकादमी का हाल भी अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू बिहार जैसा हो जाएगा।

गया के एक स्कूल में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले का मामला सामने आया। आरोप है कि बच्चों की संख्या से ज़्यादा स्काॅलरशिप की रक़म स्कूल ने प्राप्त कर ली। एक अधिकारी ने यह तो बताया कि स्कूल के खि़लाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है। लेकिन यह नहीं बताया कि सब कुछ आॅनलाइन होने के बावजूद घोटाला कैसे हो गया। डाॅक्टर ज़ाकिर हुसैन हाई स्कूल के प्रिंसिपल मोहम्मद नक़ी इमाम वारसी इसके लिए सरकार को भी ज़िम्मेदार मानते हैं।

बिहार में अल्पसंख्यकोे के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट वर्ष 2020-21 में पांच सौ करोड़ रुपये था। वित्तीय वर्ष समाप्त होने को है। लेकिन बजट का कितना पैसा ख़र्च हुआ, इसके बारे में बताने के लिए कोई तैयार नहीं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने आॅफ़ दि रिकाॅर्ड बताया कि सरकार ने केवल 11 फ़ीसद राशि ही ख़र्च करने का आदेश दिया है क्योंकि कोरोना काल में टैक्स क्लेक्शन काफ़ी कम हुआ है।

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