शैक्षिक संस्थानों की हुई फीकी शुरूआत, पढ़ाई को लेकर बच्चे हैं चिंतित

सैयद जावेद हसन, बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 4 जनवरी: नौ महीने बाद और कोविड नाइनटीन के मद्देनज़र कई बंदिशों के बीच 4 जनवरी से शैक्षिक संस्थानों की शुरूआत काफ़ी फीकी रही। जहां एक तरफ़ छात्र-छात्राओं की हाज़िरी काफ़ी कम रही, वहीं कोविंड नाइनटीन के तहत जारी हुए सरकारी गाइडलांस का पालन करना स्कूल-कालेजों के लिए काफ़ी मुश्किल होता नज़र आया। स्कूलों में सरकारी स्तर से मास्क उपलब्ध कराने की बात तो हुई थी लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से इसकी उपलब्धता को सुनिश्चित नहीं किया जा सका। ज़्यादातर बच्चे या तो बिना मास्क के थे या अपने घर से मास्क लेकर आए थ। वर्ग ख़ाली-ख़ाली से नज़र आए जबकि मैदान में तो बिलकुल ही सन्नाटा पसरा था।

बिहार लोक संवाद की टीम ने राजधानी पटना के कई सरकारी स्कूलों का जायज़ा लिया। स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि पहला-पहला दिन होने की वजह से बच्चे बहुत कम आए हैं। उनके अनुसार स्कूल में कोविड नाइटीन के गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है।
लेकिन बच्चों को चिंता अपनी पढ़ाई को लेकर है। उनका सिलेबस कम्प्लीट नहीं हुआ है और सिर पर इम्तेहान है। एक फ़रवरी से लेकर तेरह फ़रवरी तक इंटर और सतरह से लेकर चैबीस फ़रवरी तक मैट्रिक का इम्तेहान है। बच्चों ने स्कूल प्रशासन से स्पेशल क्लासेज़ की मांग की।
दूसरी तरफ़ स्कूल प्रशासन ने कहा कि बच्चों के लिए आॅनलाइन क्लासेज़ चलाए गए हैं। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि आॅनलाइन शिक्षा क्लासरूम की पढ़ाई का विकल्प नहीं हो सकती।

ओरियंटल काॅलेज में 10 फ़रवरी से क्लासेज़ शुरू होंगे। प्रिंसिपल ने बताया कि फिलहाल काॅलेज में इम्तेजान हो रहे हैं इसलिए पढ़ाई का सिलसिला शुरू नहीं हुआ है।

इस बात में कोई शक नहीं कि कोविड नाइटीन के नाम पर सबसे ज़्यादा फ़ायदे में सियासतदां और सरकारी अफ़सर रहे हैं। अब यह उनकी ज़िम्मेदारी है कि वे बच्चों का जो शैक्षिक नुक़सान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए कोई ठोस रास्ता निकाले।

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