बिहार: पटना हाईकोर्ट ने तब्लीग़ियों को किया बाइज़्ज़त बरी, गोदी मीडिया के मुंह पर तमाचा
बिहार लोक संवाद डाॅट नेट
पटना, 25 दिसंबर: तब्लीग़ी जमाअत से जुड़े लोगों के बाइज़्ज़त बरी होने का सिलसिला जारी है। सबसे पहले बाॅम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने तब्लीग़ियों को बाइज़्ज़त बरी करने का फ़ैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फ़ैसले में यह टिप्पणी भी की थी कि तब्लीग़ी जमाअत से जुड़े लोगों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। उसके बाद दिल्ली और फिर अन्य प्रदेशों की अदालतों ने तब्लीग़ियों को रिहा करने का आदेश जारी किया। नई दिल्ली के हज़रत नेज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में विदेशों और देश के अन्य हिस्सों से ताल्लुक़ रखने वाले ये तब्लीग़ी सालाना इज्तेमा में शिरकत करने आए थे लेकिन जनता कफ़्र्यू और लाॅकडाउन की वजह से फंस गए थे। लेकिन देश की साम्प्रदायिक ताक़तों और गोदी मीडिया ने यह आरोप लगाया था कि तब्लीग़ी जमाअत से जुड़े इन लोगों ने कोरोना वायरस फैलाया है और टूरिस्ट वीज़ा नियमों का उल्लंघन किया है।
इन्हीं में से 18 विदेशी तब्लीग़ियों का मामला पटना हाईकोर्ट में चल रहा था। इनमें से 9 बांग्लादेश और 9 मलेशिया से ताल्लुक़ रखने वाले हैं। हाईकोर्ट की जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की बेंच ने पाया कि गिरफ़्तारी और मुक़दमा झेल रहे इन तब्लीग़ियों के खि़लाफ़ की गई कार्रवाई सरासर ग़ैर क़ानूनी थी। अररिया पुलिस ने इसी साल 12 अप्रील को इन विदेशी तब्लीग़ियों के खि़लाफ़ मुक़दमा दायर किया था। 12 अप्रील को अररिया जामा मस्जिद और नरपतगंज प्रखंड के रवाही स्थित मरकज़ से ये तब्लीग़ी गिरफ़्तार कर लिए गए थे। हालांकि ज़िला जज से उन्हें ज़मानत मिल गई थी और सभी 9 जून को ही जेल से बाहर आ गए थे लेकिन मुक़दमा का फ़ैसला आने तक उन्हें भारत छोड़ने की इजाज़त नहीं थी। ये तब्लीग़ी दिल्ली मरकज़ में शिरकत के बाद 23 मार्च का अररिया पहुंचे थे।
अपने फ़ैसले में पटना हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि वीज़ा संबंधी क़ानून का ग़लत और नकारात्मक मतलब निकालते हुए पुलिस ने विदेशियों के खि़लाफ़ मुक़दमा दर्ज किया। अदालत ने केन्द्र और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द इन सभी विदेशियों को उनके देश भेजने का प्रबंध किया जाए। अदालत ने पाया कि मुक़दमा झेल रहे विदेशी तब्लीग़ियों के पास से आॅडिया-वीडियो कैसेट, लीफ़लेट या पम्फ़लेट जैसा कुछ भी नहीं पाया गया जिससे ये पता चला कि वे धार्मिक गतिविधियों में शामिल थे। कोर्ट ने इस तरह इन 18 विदेशी तब्लीग़ियों को क्लीन चिट दे दी।
पटना हाईकोर्ट ने अपना ये फ़ैसला 10 दिसंबर को रिज़र्व कर लिया था लेकिन सुनाया 22 दिसंबर को। हालांकि पब्लिक डोमेन में ये फ़ैसला 24 दिसंबर को आया।
जैसी कि उम्मीद थी मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस फ़ैसले को कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी। ज़्यादातर हिन्दी-अंग्रेज़ी अख़बारों ने इसे नज़र अंदाज़ किया। कुछ ने छापा भी तो बहुत प्रमुखता से नहीं। हालांकि उर्दू अख़बारों ने बेहतर कवरेज दिया।
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