छपी-अनछपी: मंत्री मंगल पांडेय के काफिले पर पथराव, 110 राजस्व कर्मचारी बर्खास्त

बिहार लोक संवाद डॉट नेट, पटना। स्कूली भाई-बहन की मौत के मामले में कार्रवाई न होने का आरोप लगाते हुए पटना के अटल पथ पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के काफिले पर हमला कर दिया। बिहार के 110 राजस्व कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
और, जनिएगा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री दिखाने के आदेश पर रोक लगा दी है।
पहली ख़बर
जागरण के अनुसार भाई-बहन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने का आरोप लगाते हुए सैकड़ो लोगों ने सोमवार को पटना के अटल पथ पर हंगामा करते हुए दो वाहनों को भी फूंक दिया। मंत्री मंगल पांडेय के काफिले पर भी पथराव किया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आईजी, एसएसपी सहित स्थानीय स्थान की पुलिस मौके पर पहुंची। रात 8:30 बजे स्थिति नियंत्रण में आई। शाम लगभग 6:00 बजे बच्चों की मौत के मामले में इंसाफ की मांग कर रहे लोग देखते-देखते उग्र हो गए। दो घंटे से अधिक समय तक उपद्रव किया। अटल पथ पर यातायात बाधित हो गई। पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण का प्रयास किया तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू किया। पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। उग्र प्रदर्शनकारियों ने एक स्कॉर्पियो और एक बाइक को फूंक दिया। उधर से गुजर रहे बाइक सवारों के साथ मारपीट की गई। पथराव में आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए। एक दर्जन से अधिक चार पहिया वाहनों के शीशे पथराव के दौरान टूट गए। जाम के दौरान ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का काफिला गुजर रहा था जिस पर पथराव किया गया। इससे एस्कॉर्ट गाड़ी का शीशा टूट गया। 7:00 बजे से रात 8:00 बजे तक रुक रुक कर पथराव होता रहा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार फायरिंग भी हुई लेकिन पुलिस ने से इनकार किया है। उपद्रव के मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
110 राजस्व कर्मचारी बर्खास्त
हिन्दुस्तान के अनुसार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राजस्व महाभियान के दौरान हड़ताल पर डटे रहने के मामले में राज्य के संविदाकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की है। विभाग ने सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में 110 संविदाकर्मियों की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है। इनमें 60 विशेष सर्वेक्षण अमीन, 16 विशेष सर्वेक्षण कानूनगो, 14 विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी एवं 20 विशेष सर्वेक्षण लिपिक शामिल हैं।
संविदा शर्तों के उल्लंधन के आरोप में इनपर विभाग ने कार्रवाई की है। जिनकी सेवा समाप्त की गई है, उसमें हड़ताली संगठनों की अध्यक्ष रौशन आरा और सचिव विभूति कुमार के नाम भी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री सार्वजनिक करने के आदेश पर रोक
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को खारिज कर दिया। इस आदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक की डिग्री की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने इस मामले में 27 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। नीरज नाम के व्यक्ति के आरटीआई आवेदन के बाद सूचना आयोग ने 21 दिसंबर, 2016 को 1978 में बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी थी। इसी वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने भी बीए की परीक्षा पास की थी। हाईकोर्ट ने 23 जनवरी, 2017 के आयोग के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता संबंधी जानकारी को सार्वजनिक करने के केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को भी कोर्ट ने रद्द कर दिया। जस्टिस सचिन दत्त की पीठ ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता की जानकारी का सार्वजनिक करना जनहित में नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक पद पर होने के बावजूद किसी व्यक्ति के शैक्षिक रिकार्ड व्यक्तिगत जानकारी की श्रेणी में आते हैं और उन्हें सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत छूट प्राप्त है।

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अनछपी: लाखों रुपए के नोट जलाने और लगभग 100 करोड़ रुपए की काली कमाई के मालिक बताए जा रहे ग्रामीण कार्य विभाग के गिरफ्तार इंजीनियर विनोद कुमार राय के बारे में इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट (ईओयू) ने बिल्कुल सही फैसला लिया है कि इस भ्रष्ट इंजीनियर ने किस-किस को लाभ पहुंचाया और कैसे-कैसे काली कमाई की है। जांच का दायरा संबंधित विभाग के मंत्री तक पहुंचना चाहिए वरना इस तरह की जांच का बहुत लाभ नहीं मिलता है। बताया जा रहा है कि ईओयू गिरफ्तार इंजीनियर की पूरी कुंडली खंगाल रही है और अब तक की उसकी पोस्टिंग, बैंक खाता और पैन कार्ड आदि की जानकारी भी निकाली जा रही है। इस भ्रष्ट इंजीनियर से जुड़े लोगों और इससे लाभ लेने संभावित लोगों की तलाश भी शुरू कर दी गई है। यह पता लगाया जा रहा है कि सरकारी पद पर रहकर इंजीनियर ने ऐसा कौन सा काम किया कि उसके पास इतनी बड़ी रकम हो गई। उसकी काली कमाई का स्रोत क्या था? ईओयू इसके लिए ग्रामीण कार्य विभाग को पत्र लिखकर मदद मांग सकती है लेकिन सवाल यह है कि क्या संबंधित मंत्री के विभाग में बने रहने के बाद कोई खास जानकारी मिल सकती है? दरअसल घूसखोरी ऐसा मामला है जो निचले स्तर से नहीं बल्कि सबसे ऊपर के स्तर से शुरू होती है। माना यह जाता है कि अक्सर छोटे कर्मचारियों पर घूसखोरी के मामले में कार्रवाई कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है और इसके सबसे ऊपर के दोषी पर कार्रवाई नहीं होती। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में भ्रष्टाचार का मामला महामारी का रूप ले चुका है और आए दिन ऐसी खबरें मिलती रहती हैं। बहुत से ऐसे विभागों में भी घूसखोरी चल रही होती है जिसकी चर्चा कम होती है। आज ही मछली पालन विभाग के एक अधिकारी को 10 लाख अनुदान में 10 फ़ीसद घूस लेते पकड़ा गया। इस विभाग में, और ऐसे हर विभाग में ऊपर तक जांच हो तब पता चलेगा कि घूसखोरी की बीमारी कितनी गहरी है।

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